मौत पर भारी मंदिर

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कीर्ति राणा

इंदौर। पटेल नगर के बावड़ी हादसे में तीन दर्जन निर्दोषों की मौत के साथ आम इंदौरियों को ही यह भी याद रखना है कि प्रशासन ने बावड़ी ध्वस्त करने के साथ मंदिर को भी अतिक्रमण मान कर ध्वस्त कर दिया था। उन 36 लोगों की मौत के दोषियों की धरपकड़ पर तो जांच-प्रतिवेदन का मलबा गिर गया है। मंदिर गिराने की कार्रवाई को भी एक तरह से सरकार ने अवैधानिक ही मान लिया है। जनप्रतिनिधियों का भी इंट्रेस्ट मंदिर निर्माण में ही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने तो पहले ही घोषणा कर दी थी मंदिर तो फिर से बनाएंगे, भोपाल से भी आवाज आ गई खुद सरकार बनाएगी मंदिर, क्षेत्रीय विधायक ने भी कह दिया मंदिर तो बन कर रहेगा।

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पटेल समाज से पहले सिंधी समाज ने कह दिया मंदिर निर्माण जरूरी है। बावड़ी हादसे के मुख्य आरोपियों को संरक्षण के आरोपों से घिरे सांसद भी मंदिर निर्माण के लिए प्रयासरत हो गए। इन सबसे आगे निकल गईं विधायक-पूर्व महापौर जो सिंधी समाज को सीएम से मिलवा कर ले आईं। समाज के लोगों ने सरकार का मंदिर निर्माण की पहल पर आभार भी व्यक्त कर दिया। इस मुलाकात से खलबली मची हुई है, कारण एक तीर से कई शिकार जो हो गए हैं। अब विधायकी का सपना देख रहे माननीय को संदेश दे दिया है कि समाज तो हमारे साथ है।

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महापौर को विधानसभा की आसान राह बताने वाले उनके रणनीतिकारों के साथ ही तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मास्टर माइंड पिता को भी इस मुलाकात के दूरगामी परिणाम समझ आ रहे हैं। एक साथ इतनों को अपने मंसूबे बताने वाली विधायक की अब परेशानी यह है कि सीएम से मेल मुलाकात के बाद उनके विरोधियों को तलाशना-पुचकारना अन्य दावेदारों ने शुरु कर दिया है। बेटे से सिंधी समाज की नाराजी, थाने में दर्ज प्रकरण सहित अन्य तमाम किस्सों के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं। बावड़ी हादसे के बाद से चल रही इस राजनीतिक उथलपुथल का लाभ किसे मिलेगा इसमें उन परिवारों की तो कतई दिलचस्पी नहीं है जिन्होंने अपने लोगों को खोया है, उन्हें तो यह समझ आ चुका है कि उन सब की मौत पर मंदिर भारी पड़ता जा रहा है।