कहो तो कह दूँ- मामा ये क्या किया आपने, थोड़ी बहुत ‘मलाई’ थी वो भी ‘मंत्रियों’ को चटा दी

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चैतन्य भट्ट

चारों तरफ से आर्त स्वर में एक ही पुकार मामाजी यानि अपने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कानों में आ रही है ‘मामाजी आखिर हमें कब बनाओगे मंत्री या निगम मंडल अध्यक्ष’ नौ महीन हो रहे है आपको सत्ता संभाले उपचुनाव भी निबट गए अब तो दया करो प्रभु हमें मंत्री बना दो, मंत्री न सही तो किसी निगम या मंडल की ही बागडोर सौंप दो पर आप तो ऐसे चुप्पी साध कर बैठे हो ना कोई ‘ऊँ न सूं’ कितने अरमाँ थे हम लोगों के, कमलनाथ की सरकार जाने के बाद जब आपने मुख्यमंत्री का पद भार संभाला था तो हम लोगों ने आपके नाम पर अपने अपने घरों में घी के दिए जलाये थे कि एक बार फिर हम सब मंत्री बनकर ऐश करेंगे, गाड़ी होगी, बंगला होगा, डिपार्टमेंट होगा, डिपार्टमेंट के अफसर हम लोगों के चारो तरफ घूमेंगे,

जंहा कंही भी जायेंगे वंहा जबरदस्त स्वागत होगा पर सारे अरमान धरे के धरे रह गए अधिकतर मंत्री सिंधिया जी के कोटे में चले गए हम लोग जो बरसों से बीजेपी का ‘दरी फट्टा’ उठाते आये थे वंही के वंही रह गए फिर भी हम लोगों ने अपने आप पर कंट्रोल के लिया कि चलो कोई बात नहीं जिनकी दम पर हमारी पार्टी फिर सत्ता में आई है उसके लिए थोड़ा बाहर ‘सैक्रिफाइस’ तो करना ही पड़ेगा, फिर उप चुनाव भी हो गए और अब तो ये हालत है कि बेचारे ‘गोविन्द राजपूत’ और ‘तुलसी सिलावट’ जो बिना चुनाव जीते मंत्री थे अब चुनाव जीतने के बाद भी मंत्री नहीं बन पा रहे है इधर मामाजी आपने एक और घोषणा कर हम लोगो की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है कि निगम और मंडलों की कमान उस डिपार्टमेंट के मंत्रियो के हाथों में ही रहेगी यानि जो थोड़ी बहुत मलाई बची थी वो भी आपने मंत्रियों को चटा दी,

अब हम लोग क्या करें आप ही बताओ हम में से से कई ऐसे नेता है जो बरसों तक मंत्री रहे है आपके कन्धे से कंधा मिलाकर चले हैं पर आज आपने अपने कंधे से हमारे कंधे को ऐसा झटका मारा है कि हम दूर जा गिरे हैं मंत्री बनने का सपना हम लोग रोज देखते थे और गाना गाते थे ‘चलो बुलावा आया है शिवराज ने बुलाया है’ पर आपने फिर एक बयान देकर कि अभी मंत्री मंडल के विस्तार का कोई विचार नहीं है हम लोगों के सीने पर ‘घन’ पटक दिया है मामाजी आप इतने निष्ठुर कैसे हो गये हो अब से पहले तो आपके दयालु पन की कहानियां सुनाए जाती थी पर एकाएक आपके कैरेक्टर ने ऐसा ‘यूटर्न’ कैसे ले लिया आखिर कब तक इन्तजार करें हम लोग,

कोई ‘टाइम लिमिट’ भी आप हम लोगों को नहीं बतला रहे हो, नौ महीने हो गए आपको सत्ता संभाले नौ महीने में तो एक इंसान दुनिया में जन्म ले लेता है पर हम लोग मंत्री की कुर्सी तक नहीं पंहुच पाए हैं, अब इन लोगों को कौन समझाए कि भैया मामाजी निष्ठुर नहीं हुए हैं उनके मन में दया भी है और करुणा भी पर एक अनार है और सौ बीमार किस किस को खिलाएं वो अनार, जिसको न खिलाओ वो ही नाराज हो जाएगा मामाजी किसको मंत्री बनाये किसको छोड़े ये तो उन्हें भी समझ में नहीं आ पा रहा है कोई एकाध नेता हो तो ‘एडजैस्ट’ भी कर लें पर यहां तो ‘जोधा’ नेताओ की भरमार है ऐसे में अपनी तो यही सलाह है मामाजी को कि आप तो ऐसे ही बने रहो जैसे हो l

बच्चे तो ईश्वर की देन हैं

केंद्र सरकार ने एक याचिका पर अपना जवाब पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने साफ कर दिया कि कौन कितने बच्चे पैदा करे ये दंपत्ति ही तय कर सकते हैं किसी को बच्चे पैदा करने से सरकार नहीं रोक सकती l बहुत सही बात कही है केंद्र सरकार ने, अपने यंहा तो माना ही जाता है कि बच्चे तो ऊपर वाले की देन है और जो चीज ईश्वर दे रहा है उसको रोकने वाले हम आप या सरकार कौन होती है भले ही देश की आबादी बढ़ती जाए, संसाधनो की कमी होती जाए, बेरोजगारों की गिनती करोड़ों तक पंहुच जाए पर बच्चों के पैदा होने पर कोई रोक टोक नहीं लगनी चाहिये l

कई बरस पहले हम लोगों को याद है पूरे देश में परिवार नियोजन का प्रचार युध्द स्तर पर होता था ‘हम दो हमारे दो’ ये नारा गली, कूचों, मोहल्लो, बस्तियों में गूंजा करता था, नसबंदी के शिविर लगते थे, नसबंदी करवाने वालों को सरकार पुरूस्कार देती थी, सरकारी डिपाटमेंट में दो बच्चो के बाद ऑपरेशन करवाने वालों को ‘इंक्रीमेंट’ का फायदा मिलता था लेकिन वो सारी बाते अब हवा हो गई, देख लेना अब वो वक्त दूर नहीं है जब हम हिन्दुस्तान वाले भले ही दूसरे मामले में विश्व गुरु न बन पाए पर ‘जनसंख्या’ के मामले में सारी दुनिया को पछाड़ देंगे इसमें कोई शक नहीं है l

‘सुपर हिट ऑफ़ द वीक’

‘क्या तुम मेरे फिल्म में काम करोगी’ श्रीमान जी ने श्रीमती जी से पूछा

‘जरूर पर सीन क्या है’

‘तुम्हें धीरे धीरे पानी में जाना होगा’

‘ठीक है लेकिन फिल्म का नाम तो बताओ’ श्रीमती जी ने फिर पूछा

‘गयी भैंस पानी में’ श्रीमान जी का उत्तर था