धैर्यशील येवले इंदौर
हे गौतम
बताओ मुझे
आत्मबोध
पाना कितना सरल है ।
बताओ मुझे
वे गूढ़ रहस्य
जो तुमने जाने
बोधी की शीतल छाया में
अनेक दैहिक प्रयोग से ।
बताओ मुझे
वे उतार चढ़ाव
वे अंधकूप
जो मन के अतल गहराई में
तुमने देखे ,
बताओ कैसे
प्रकाश से भर दिया उन्हें ।
बताओ मुझे
कैसे दया व क्षमा से
शरणागत रिपु का
किया जाता है
सत्कार ।
बताओ मुझे
कैसे आत्ममुग्धता
नही होती
आत्मबोध ।
बताओ मुझे बताओ
वो पथ
जो गौतम से आरंभ हो कर
तथागत बुद्ध
पर समाप्त होता है ।