Teacher’s Day Special : भारत में गुरु पूर्णिमा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही थी जिसे वर्तमान समय में शिक्षक दिवस के रूप में देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एस राधाकृष्णन जी के जन्मदिन पर अलग से मनाया जाने लगा।
आज शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं अपने जीवन की कुछ ना भूलने वाली घटनाओं की चर्चा आपसे कर रहा हूं।
राजकीय इंटर कॉलेज इलाहाबाद से 12वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद मैंने सोचा था कि मेरे सबसे अरुचिकर विषय जीव विज्ञान ,भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान पढ़ने से अब मुक्ति मिल जाएगी ,किंतु मेरे बड़े भाई साहब जो बीएससी कर रहे थे और उनका मार्गदर्शन और उनकी किताबें मुझे मिल जाएंगी और नई किताबें नहीं खरीदनी पड़ेगी इसलिए मेरा बीएससी बायोलॉजी में एडमिशन करा दिया गया । जिससे एक अरुचिकर विषय भौतिक शास्त्र की पढ़ाई से तो मुझे मुक्ति मिल गई मगर बाकी 2 विषय पढ़ने पड़े।
मैं बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा में रसायन शास्त्र विषय में फेल हो गया जिसके कारण मैं बहुत निराश हो गया और मेरे माता-पिता को भी बहुत निराशा हुई। पिताजी ने तो मुझको सुधारने के लिए यह तक कहा कि अब आईटीआई में कोई कोर्स कर लो ताकि जीवन यापन ठीक ढंग से चलता रहे। उस समय पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ की मेरे जीवन में बहुत कुछ खराब होने जा रहा है ,जिससे मेरा जीवन किसी काम लायक नहीं रहेगा।
किंतु उस समय मेरी माता जी और पिता जी ने मुझे अपने पास बिठाकर बहुत अच्छे से समझाया और कहा कि अगर अभी पढ़ाई में ध्यान नहीं दिया तो बाकी का जीवन बहुत कष्टमय रहेगा। उनकी बातों का प्रभाव मेरे ऊपर ऐसा पड़ा कि मैंने उनसे वायदा किया कि एक अवसर बीएससी की पढ़ाई का और मिल जाये तो मैं कुछ सुधार कर पढ़ाई पर ध्यान दूंगा।
इसके पश्चात मैंने एक्स स्टूडेंट की हैसियत से बीएससी प्रथम वर्ष में पुनः ऐडमिशन लिया और रसायन विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रयागराज के चौधरी महादेव प्रसाद डिग्री कॉलेज के रसायन विज्ञान विषय के प्रोफेसर डॉ आरके श्रीवास्तव जी के मार्गदर्शन में रसायन विज्ञान विषय की शिक्षा प्राप्त करने लगा। उनके द्वारा कुछ इस तरह से मुझे पढ़ाया गया जिससे मेरा सबसे अरुचिकर विषय रसायन विज्ञान सबसे रुचिकर विषय हो गया। उन्होंने मुझे यह बताया कि रसायन विज्ञान पढ़ने के लिए सबसे आसान तरीका है कि लिखकर पढ़ो।उनके मार्गदर्शन के कारण मैं बीएससी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ।
उसके बाद मैंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमएससी रसायन विज्ञान में एडमिशन लिया और एमएससी फाइनल वर्ष में मेरे सबसे कठिन विषय कार्बनिक रसायन विज्ञान(ऑर्गेनिक केमिस्ट्री) में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया।
एमएससी करने के दौरान ही मैंने एयरफोर्स में पायलट ऑफिसर के लिए वाराणसी में एसएसबी का पहला इंटरव्यू दिया जिसमें मेरा फाइनल सिलेक्शन पायलट ऑफिसर के रूप में हो गया।
एमएससी फाइनल का रिजल्ट निकल चुका था और मेरे सभी साथी पीएचडी ज्वाइन कर रहे थे।
इसी दौरान मेरा दूसरा सेलेक्शन इसरो में साइंटिस्ट के लिए हो गया था।
जॉइनिंग के पत्र का इंतजार कर रहे थे।तभी एकदिन मेरे बड़े भाई साहब डॉ सोमेश श्रीवास्तव के मित्र डॉ उमाकांत पांडे जी मेरे घर आए हुए थे और उनसे मैंने अपने मन की यही इच्छा प्रकट की कि मैं पीएचडी करना चाहता हूं। तो उन्होंने बताया कि उनके परिचित डॉ जगदंबा सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर हैं और उनके पास पीएचडी ज्वाइन कर लो। वह मुझे लेकर डॉ जगदंबा सिंह सर के घर मिलाने के लिए ले गए। वहां पर सर ने हमसे बातें की चाय पिलाई और यह कहा कि यहां पीएचडी करने के बाद भी नौकरी के लिए कंपटीशन तो रहेगा ही।
इसलिए पहले तुम यूपीएससी की तैयारी करो और परीक्षा दो अगर आईएएस नहीं बने तो पीसीएस तो बन ही जाओगे और अगर पीसीएस भी नहीं बन पाओ तो मेरे पास आ जाना मैं तुम्हें कम से कम समय में पीएचडी पूरी करा दूंगा। मैं बहुत प्रसन्न हुआ और अगले दिन विश्वविद्यालय में पीएचडी के रजिस्ट्रेशन कराने के सपने देखने लगा। मैंने सर से कहा कि सर कल मैं जाकर डिपार्टमेंट में रजिस्ट्रेशन करा लेता हूं तो उन्होंने कहा कि नहीं पहले 2 साल कंपटीशन की तैयारी कर परीक्षा दो फिर उसके बाद रजिस्ट्रेशन , क्योंकि अगर अभी रजिस्ट्रेशन करा लिया तो रोज आकर डिपार्टमेंट में बैठोगे लोगों से गप्पे मारोगे और अपना समय खराब करोगे। इसलिए 2 साल बाद मेरे पास आ जाना।
मुझे थोड़ी निराशा जरूर हुई किंतु सर की बातों औऱ काउंसलिंग से यह बल जरूर मिला कि मैं भी जीवन में कुछ कर सकता हूं।
उसी दिन हम अपने पिता जी के मित्र के बेटे रूपेंद्र मिश्रा जी से मिलने गए जो हमारे बड़े भाई साहब के मित्र भी थे और यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने भी मेरी अच्छी तरह से कॉउंसलिंग की।
और वहां से आने के बाद दूसरे दिन से ही मैं अपनी यूपीएससी की तैयारी में जुट गया। प्रथम वर्ष से ही सफलता मिलनी शुरू हो गई और प्रारंभिक परीक्षा ,मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू तक पहुंचना शुरू होगया।
यूपीएससी के साथ ही मैंने पीएससी की परीक्षा भी देनी शुरू कर दी और मुझे मेरे प्रारब्ध के कारण यहां सफलता मिली। (प्रारब्ध की कहानी फिर कभी बताऊंगा)
शासकीय सेवा में आने के बाद मैंने रीवा संभाग के सतना जिले की मैहर तहसील में नौकरी प्रारंभ किया। उस समय मुझे दो बहुत अच्छे गुरु मिले पहले गुरु थे श्री नीरज दुबे साहब जो हमारे प्रथम एसडीएम थे और दूसरे गुरु थे श्री आर एस एल श्रीवास्तव साहब जो तहसीलदार मैहर थे और देवी भक्त।
कुछ समय बाद मेरी पदस्थापना जब अमरपाटन तहसील में हुई तो मुझे श्री बीबी श्रीवास्तव जी के रूप में एक ऐसे गुरु मिले जिन्होंने नौकरी की व्यवहारिक कठिनाइयों से कैसे सामना करते हैं औऱ हिकमत अमली से कैसे काम करना चाहिए यह सब सिखाया।
अन्त में
प्रथम शिक्षक मां, फिर परिवार के अन्य सभी सदस्य, फिर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक और उसके बाद अन्य शिक्षक,और फिर हमारे सभी सहपाठी,कनिष्ठ और वरिष्ठ सहकर्मी, निकट पड़ोसी और अन्य समाजजन जो किसी न किसी रूप में,हमारे जीवन में आते रहते हैं और हम को निरन्तर शिक्षा देते रहते हैं।
उनसे मिली शिक्षा हमें उत्कृष्ट और सफल जीवन जीने योग्य बनाती है।
आप सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर प्रणाम । आपका आशीर्वाद जीवन भर मुझे मिलता रहे।
शिक्षक दिवस पर सबको शुभकामनाएं।
रजनीश श्रीवास्तव
सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर
इंदौर