हर फील्ड में बिखरे पड़े है सुशांत, फिर Nepotism पर बहस क्यों?

Akanksha
Published on:
Divya gupta

चलो अच्छा हुआ एक फज़ूल सी बहस का अंत हुआ भंडा किसी और के सर फोड़ दिया गया है ! षड्यंत्र की बू तो इसमें भी आ रही है क्या पता nepotism गैंग की कोई नई चाल हो! इस थ्योरी में भी कई कई झोल हैं , पर आज तो बहस यू टर्न ले चुकी है ! पर इसके पहले तो हमने ये शब्द सुना ही नहीं था ! Nepotism !!!

आखिर है क्या ये बला ? रोज़ टीवी पर बयानबाज़ी होती थी, रोज़ एक नया चेहरा आकर अपनी दस्तान सुनाने लगता था। बड़ी गरमा गरम बहस छिड़ी हुई थी ! कोरोना , चीन , वुहान , वैक्सीन , राजस्थान पर ध्यान जाने ही लगता था कि फिर एक ताजा तरीन मसालेदार इंटरव्यू आ जाता ! और शब्द वही , Nepotism !!!!

कान पकने लगे थे सुन सुनकर Dictionary देखी ! उसमें लिखा था , जो लोग ऊँचें ओहदों पर होते हैं , जब वे अपने या अपनों को फायदा पहुंचाते हैं , तो उसे नेपोटिसम कहते हैं !!!!!

बस !!!! इतना ही ???? क्या नया है जी इसमें ??? इतिहास के पन्नों से लेकर आज तक यही तो होता आया है , इसमें नया क्या है ? राजा का बेटा ही तो राजा बनता था , कोई फकीर तो नहीं !!!! अरे चाचा का बेटा ही बना दिया जाता तो आफत आ जाती थी !! Nepotism नहीं था क्या ये ? अरे तभी तो महाभारत हुई , जी !!!! वर्ण व्यवस्था का भेद मनु ने कर ही दिया था ! ये सब हमने पढ़ा और देखा है ! क्षत्रीय का बेटा क्षत्रीय और शूद्र का बेटा शूद्र !!! तब हमें nepotism नहीं याद आया ??? कंर्ण को याद करिए !!!! अनेको उदाहरण भरे पड़े हैं इतिहास में , सिर्फ भारत में नहीं समूचे विश्व में भी !!!! इंग्लैंड की महारानी इसका जीवंत उदाहरण हैं , और प्रिंसेस डायना का दुख हमने सहा है!!

आज उन्हीं का बेटा फिर एक साधारण परिवार की बेटी से विवाह कर राजगद्दी त्याग कर अमेरिका चला गया है !!! नेपोटिसम का घिनोना रूप था वो !! आईये , कलयुग के राजाओं से मिलते हैं !!!! राजनेता का बेटा राजनीति में आता है , उसे तैयार कराया जाता है , क्योंकि उसका भी राज्याभिषेक होना लगभग तय होता है !

वो मूर्ख हो , मूढ़ हो , मंद बुद्धि हो , बदचलन हो , बददिमाग हो , बदतमीज़ हो , नाकारा हो , नालायक हो , कुछ भी हो , राज्याभिषेक तो उसका ही होगा !!!! कर लो बहस nepotism पर है हिम्मत तो करो !!!! और हां , यहां एक और बात कहना उचित होगा कि किसी किसी विरले में दम होता है , तो चाय वाला भी आगे बढ़ जाता है और शीर्ष पर पहुंच जाता है !!!!!!
तभी , nepotism की बीन बजाने वालों को आग लगती है,

ऐसा हो कैसे गया ???? डॉक्टर का बेटा डॉक्टर होगा , नहीं तो हॉस्पिटल का साम्रज्य कौन संभालेगा ??? व्यापारी का बेटा गल्ले पे नहीं बैठा तो वो नाकारा हो जाता है। कॉर्पोरेट ऑफिस हो या छोटी सी फैक्ट्री सब बेटे को ही तो जाती है ! हाँ , आज के संदर्भ में बेटे या बेटी को थोड़ा मॉडर्न परिदृश्य हो गया है इसलिए बराबरी हो रही है !!!!! फिर यहां नेपोटिसम की बहस क्यों नहीं छिड़ी ???

फिर यदि फ़िल्म इंडस्ट्री में nepotism आ गया तो क्या अनोखा हुआ ???
एक्टर का बेटा एक्टर ही बनने की लालसा रखेगा न ? वो सफल होगा के नहीं , ये पिताजी तय नहीं कर पाएंगे पर अंत तक कोशिश अवश्य करेंगे !!

सीधी सी बात है साहब , मुकेश अम्बानी अपने ही खून को वारिस बनाएगा,आपको, मुझको, अनिल को, अनिल के बेटे को या फिर अपने सबसे काबिल CA को या CA के बेटे को या अपने सबसे काबिल एडवाइजर को या उसके बेटे को कदापि नहीं !!!!! ये है Nepotism !!!!

पर क्या ये हर समय सही है ???? इसका उत्तर नहीं भी है और हाँ भी !!!क्योंकि ये रिलेटिव टर्म है जो टेबल के उस तरफ बैठ गया, वो बोलेगा ofcourse , only my son or daughter will take my seat , no one else Can !!!!! लेकिन जो टेबल के सामने बैठा है वो क्रान्ति की बात करेगा !!!!

Nepotism की बहस उनके लिए सही है जो अपनी जगह बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं संघर्ष कर रहे हैं। निरंतर स्यतेम से लड़ रहे हैं। लड़ने और जीतने की जद्दो जहद में लगे हुए हैं!! कुछ जीत जाते है उनके लिए बहस खत्म हो जाती है और वो मिसाल बन जाते हैं !!! कुछ सुशांत की तरह हार जाते हैं , जिनके कारण बहस शुरू हो जाती है !!! हर फील्ड में अनेकों सुशांत बिखरे पड़े हैं !!! सपने देख रहे हैं , बढ़ना चाहते हैं , सिस्टम उन्हें पोल्युट कर देता है वो , वो नहीं रहते !!! फिर भी शिखर उन्हें पुकारता है ! उस शिखर तक पहुंचते पहुंचते लहू लुहान हो जाते हैं , पर नज़र वहीं टिकाएरखते हैं !

सिर्फ एक बात , कुछ नया करने जाओगे तो ठोकर तो बहुत खानी होगी ! सिस्टम बेरहम है , घिनोना है बदबूदार है !! पर कुछ नया करना है तो आग के इस दरिया को लांघना तो होगा !!!! उसके लिए तैयार रहना होगा कमर कस कर और यदि नहीं भी कर पाओ. होता ये है कि हम अपने ही लिए अपने आसमान तय कर लेते हैं। उस तक ना पहुंच पाए तो अपनी ही नज़रों में गिरना हमें मंज़ूर नहीं होता !!!

आपकी काबलियत जज करने वाले ये होते कौन हैं. बस गावस्कर की तरह क्रीज़ पर टिके रहिये। एक न एक दिन सेंचुरी तो बन ही जाएगी !!!! जिंदगी बहुत खूबसूरत है पर तभी जब वह किसी और के लिए जी जाए !!!!

आईये खुशियाँ बाँटे !!!! हमारे गम , दुख भूल कर !!!! किसी रोते को हसायें !!!! किसी के चेहरे पर मुस्कान का कारण बनें ज़िन्दगी गुलज़ार हो जाएगी !!! याद रखिये Nepotism हमेशा से था और हर फील्ड में था। कुछ नया नहीं है बस बहस नई है !!!! महत्वकांक्षी होना बुरा नहीं है पर असफल होने पर हार मान लेना गुनाह है पाप है !!!!!

डॉ दिव्या गुप्ता