सर्वे में हुआ खुलासा, बादाम खाना पसंद करते है भारतीय नौजवान

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जून 2021: जैसे-जैसे हमारे आसपास की दुनिया तेजी से बदल रही है और सूचना तक लोगों की पहुंच तेजी से बढ़ी है। वैसे-वैसे देश भर में  भारतीयों की लाइफस्टाइल और खाने-पीने के मामले में पसंद भी बदलती जा रही है। युवा भारतीयों और 18 से लेकर 35 वर्ष के लोगों के आयुवर्ग की जीवन शैली में खासतौर से बदलाव देखने को मिल रहा है, जो अपनी लाइफस्टाइल के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं और इसे सुधारने के लिए बेहद सतर्कता से कदम उठा रहे हैं।

एक शोध सलाहकार फर्म इप्सॉस इंडिया ने 5 से 25 मार्च 2021 के बीच हाल ही में कराए गए सर्वे के अनुसार सर्वे में भाग लेने वाले 78 फीसदी भागीदारों ने महसूस किया कि पौष्टिक और सेहतमंद  स्नैकिंग बेहद जरूरी है। सर्वे में 58 फीसदी लोगों ने बदलते लाइफस्टाइल के बीच इसे बहुत महत्वपूर्ण बताया और 20 फीसदी लोगों ने काफी महत्वपूर्ण बताया। इप्सॉस इंडिया द्वारा कराए गए सर्वे का उद्देश्य लोगों में स्नैकिंग की बदलती आदत को पहचाना है। इस सर्वे का लक्ष्य तेजी से उभरती आधुनिक जीवन शैली के बीच यह पता लगाना था कि भारतीय युवकों की  प्राथमिकताएं कहां तक बदलती है। संपूर्ण रूप से सर्वे के ये नतीजे दिखाते हैं कि किस तरह भारती युवाओं में अपनी सेहत  का ख्याल रखने की चिंता बढ़ती जा रही है और यही युवाओं को अपनी स्नैक्स खाने की आदत को बदलने के लिए प्रेरित कर रहा है। सर्वे में यह भी विशेष रूप से उभारा गया कि किस तरह भारत के नौजवान ज्यादा से ज्यादा तादाद में में हाई कैलोरी वाले जंक फूड्स की जगह बादाम और फलों को सेहतमंद और पौष्टिक स्नैक्स के विकल्प के रूप में आजमा रहे हैं।

भारत के 12 शहरों में 18 से 35 साल के आयुवर्ग के एनसीसीएस ए पुरुष और महिलाओं, कुल 4148 लोगों, ने सर्वे में पूछे गए सवालों का जवाब दिया। भारत के इन 12 शहरों में दिल्ली, लखनऊ, लुधियाना, जयपुर, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, भुवनेश्वर, चेन्नई, बेंगलुरु, कोयंबटूर और अहमदबाद शामिल है।

बादाम भारतीय नौजवानों की नंबर 1 पसंद बनकर उभरा है। सर्वे में भाग लेने वाले 64 फीसदी लोगों ने कहा कि हमने बादाम को खाने से सेहत को होने वाले नियमित फायदों को देखते हुए बादाम को स्नैक्स के विकल्प के रूप में खाने पर विचार किया। सर्वे में भाग लेने वाले ने पसंदीदा स्नैक्स के रूप में बादाम का चयन मुख्य रूप से स्वाद, स्वास्थ्य और पौष्टिकता से प्रभावित होकर किया। सर्वे में दिलचस्प बात यह सामने आई कि जेनरेशन जेड और मिलेनियल्स  में से 41 फीसदी नौजवानों ने बादाम को पोषक बताया। 39 फीसदी ने सेहतमंद, 38 फीसदी ने प्रोटीन से भरपूर और 36 फीसदी नौजवानों ने इसे विटामिन से लैस बताया। सर्वे में भाग लेने वाले (84 फीसदी) बहुत से लोगों का मानना है कि नियमित रूप से बादाम खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है, जिसके चलते बादाम खाना और भी प्रासंगिक और समय की जरूरत बन गया है। सर्वे में भाग लेने वाले करीब 50 फीसदी लोगों ने बताया कि बादाम के अलावा उन्होंने अपने स्नैकिंग रूटीन में हरी पत्तेदार सब्जियों, ताजा फलों और जूस को भी शामिल किया है।

भारतीय नौजवानों का बादाम जैसे सेहतमंद स्नैक्स के प्रति झुकाव मुख्य रूप से युवाओं की सेहत संबंधी चिंताओं से प्रभावित प्रतीत होता है क्योंकि सर्वे में 66 फीसदी नौजवानों ने खासतौर पर बताया कि वह इसके प्रति चिंतित हैं। उत्तर भारत के शहरों (दिल्ली, लखनऊ, लुधियाना और जयपुर) से सर्वे में भाग लेने वाले नौजवान अपनी पौष्टिकता संबंधी जरूरतों को पूरा करने केलिए काफी सावधान दिखे। इस जोन के करीब तीन चौथाई उत्तरदाताओं ने यह बात खास तौर से बताई। 51 फीसदी नौजवानों ने दावा किया कि वह खाने के लिए किसी भी स्नैक्स का चुनाव करने से पहले फूड आइटम बनाने में इस्तेमाल किए गए पदार्थों और पोषक तत्वों पर ध्यान देते हैं। इसमें 26 से 35 साल की महिलाओं की तादाद काफी थी। सर्वे के नतीजों से यह दिलचस्प तथ्य उभरकर सामने या कि दरअसल सर्वे में भाग लेने 61 फीसदी लोग पैकेट बंद खाद्य पदार्थों की तुलना में घर में बने खाने खाने या स्नैक्स को तरजीह दे रहे हैं।

पिछले साल मार्च से ही कई युवा प्रोफेशनल्स घर से ही काम कर रहे हैं। स्कूल और कॉलेज के छात्र अपनी क्लासेज को वर्चुअल रूप से अटेंड कर रहे है। कोरोना महामारी का प्रकोप फैलने के बाद इससे पहले के सारे रूटीन में एक ठहराव आ गया है। बहुत से लोग इस नई नार्मल स्थिति के अनुकूल अपने को ढालने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं। नौजवान उपभोक्ताओं ने अपनी लाइफस्टाइल पर दोबारा नजर डालने की जरूरत को पहचाना है। उन्होंने अपने व्यक्तित्व में कुछ अच्छी और सेहतमंद आदतों को शामिल किया है, जैसे सोच-समझकर स्नैक्स खाना, नियमित रूप से व्यायाम करना और अपने आसपास मौजूद मोबाइल, कंप्यूटर,लैपटॉप और टीवी की स्क्रीन  से समय-समय पर ब्रेक लेना है।

न्यूट्रिशन एंड वेलनेस कंसल्‍टेंट, शीला कृष्णस्वामी ने सर्वेक्षण के नतीजों पर टिप्पणी करते  कहा, पिछला डेढ़ साल हम सभी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस अवधि ने अपनी सेहत को दुरुस्त रखने को प्राथमिकता देने के लिए सभी को मजबूर किया। सर्वे के नतीजे वाकई बेहद सुखद हैं और दिल को खुश करने वाले हैं। सर्वे के नतीजों से यह जानकर बेहद अच्छा लगा कि भारतीय नौजवान अपनी सेहत को दुरुस्त रखने और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। पौष्टिक तत्वों से भरपूर बादाम खाना अपना वजन को बरकरार रखने का अच्छा तरीका है। इससे आपके भोजन में पौष्टिक तत्व भी जुड़ जाते हैं। इसलिए एक मुट्टठी बादाम हर रोज खाना सुनिश्चित करें और दूसरों से भी स्नैक्स के रूप में बादाम खाने का आग्रह करें। ऐसा करने से आपकी सेहत को अनगिनत लाभ हासिल होंगे।

दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर हॉस्पिटल में डायटेटिक्स विभाग की रीजनल हेड रितिका समद्दर ने कहा, इस सर्वे के नतीजे काफी दिलचस्प है। इससे भारत मे जनसंख्या के बहुत बड़े हिस्से, युवाओं की खाने-पीने की आदतों और स्नैक्स खाने के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव प्रमुखता से नजर आता है। अपनी उम्मीदों के विपरीत यह देखकर काफी खुशी हुई कि भारत में रहने वाले नौजवान किस तरह से अपनी जीवनशैली और पौष्टिकता संबंधी जरूरतों के लिए पहले से ही काफी चिंतित हैं। वह सक्रिय रूप से स्वस्थ रहने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बादाम निश्चित रूप से से बहुत अच्छा स्नैक्स है।  इसमें किसी व्यक्ति की पेट की भूख को तृप्त करने की विशेषताएं होती हैं।, जिससे किसी भी व्यक्ति को अपना पेट भरा हुआ महसूस होता है। बादाम को दिन में किसी भी समय खाया जा सकता है।  ऐसे बहुत से तरीके हैं, जिससे नौजवान बादाम के साथ प्रयोग कर सकते हैं। वह अपनी पसंद के अनुसार बादाम को कच्चा, पानी में भिगोकर, भुने हुए और नमकीन और कई दूसरे फ्लेवर और डिशेज के साथ इसे मिलाकर खाया जा  सकता है । अगर पौष्टिक नजरिये से देखा जाए तो बादाम आपके आहार में शानदार पौष्टिक तत्वों को शामिल करते हैं। वह दिल की सेहत को भी दुरुस्त रखते हैं और डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।  ये दोनों जीवनशैली से संबंधित गड़बड़ियां है, जो नौजवानों पर काफी गहराई से बहुत ज्यादा प्रभाव डाल रही है।

सर्वे में एक उल्लेखनीय नतीजे ने इस तथ्य को उभारा है कि महामारी के दौरान भारतीय युवकों में स्नैक्स खाने की आदत में बढ़ोतरी हुई। करीब एक चौथाई लोगों ने इसका जिक्र किया है। सर्वे में भाग लेने वाले एक तिहाई से ज्यादा नौजवानों को यह महसूस हुआ कि स्नैकिंग ने उनके भोजन की जरूरत को पूरी तरह बदल दिया है। इसके पीछे सामान्य कारणों में यह है कि आजकल के नौजवान काफी बिजी रहते हैं और उनके पास आराम से बैठकर खाना खाने के लिए समय नहीं है। या इसका एक यह भी कारण है, स्नैक्स बिजी शेड्यूल में काफी सुविधाजनक होते हैं। जहां सर्वे में 50 फीसदी लोगों ने कहा कि वह केवल एक बार स्नैक्स खाते हैं। वहीं 41 फीसदी नौजवानों ने सर्वे में बताया कि वह दो बार स्नैक्स खाते हैं। (18 -25 साल) के आयु वर्ग के नौजवानों को दिन में ज्यादा से ज्यादा बार स्नैक्स खाते देखा गया।

पाइलेट्स एक्सपर्ट और डाइट एंड न्यूट्रिशन कंसलटेंट माधुरी रुईया ने कहा, सर्वे के नतीजे यह संकेत देते हैं कि देश के कितने नौजवानों ने रोजाना स्नैक्स खाने के रूटीन में बढ़ोतरी की है और कुछ लोग समय की कमी और आसानी से सुविधा न मिलने के कारण भोजन नहीं कर पाते और वह स्नैक्स पर ही निर्भर रहते हैं। सर्वे के नतीजों में यह देखकर भी काफी अच्छा लगता है कि युवा वर्ग अब तले-भुने और हाई कैलोरी के स्नैक्स की जगह बादाम, फलों और जूस जैसे स्नैक्स का सहारा ले रहे हैं।  बचपन से ही स्नैक्स के रूप में  बादाम खाने की आदत सेहत को दुरुस्त रखने का बहुत अच्छा तरीका है। अगर एक बार बादाम खाने की आदत पड़ जाती है तो यह आपकी बाकी जिंदगी के लिए रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है। बादाम ऊर्जा प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। इसमें कई दूसरे पोषक तत्व जैसे कॉपर जिंक, फोल्ट, आयरन भी हैं, जो इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली सुचारू बनाने के लिए योगदान देते हैं।

भारत में स्नैक्स खाने के पैटर्न के प्रति युवाओं के व्यवहार में बदलाव देखने के मिल रहा है। आजकल लोग सेहत को दुरुस्त रखने के स्वस्थ विकल्पों को चुनने के प्रति काफी सतर्क हैं। बादाम को स्नैक्स के रूप में चुनने के युवाओं के झुकाव से यह उम्मीद है कि ये उनकी सेहत को लंबे समय तक दुरुस्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।