सुप्रीम कोर्ट ने कहा, व्हाट्सऐप मैसेज का कोई प्रमाणिक मूल्य नहीं

Akanksha
Published on:

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार को कहा कि, व्हाट्सएप पर आदान-प्रदान किए गए मैसेजेस का कोई प्रमाणिक मूल्य नहीं है। ऐसे व्हाट्सएप मैसेजेस के ऑथर को विशेष रूप से बिजनेस पार्टनरशिप के तहत किए गए समझौतों में उनसे नहीं जोड़ा जा सकता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि, ‘लोकप्रियता विश्वसनीयता का पैमाना नहीं है।’ वहीं चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस एएस बोपन्ना और रिषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि, “आजकल व्हाट्सएप मैसेजेस का साक्ष्य मूल्य क्या है? सोशल मीडिया पर आजकल कुछ भी बनाया और हटाया जा सकता है। यही कारण है कि हम व्हाट्सएप मैसेजेस को कोई महत्व नहीं देते हैं।” आपको बता दें कि, यह मुद्दा 2 दिसंबर, 2016 को दक्षिण दिल्ली नगर निगम और A2Z इंफ्रासर्विसेज और वेस्ट मटेरियल्स के कलेक्शन और ट्रांसपोर्ट के लिए एक कंसोर्टियम के बीच रियायत समझौते से संबंधित है।

कैसे शुरू हुआ मामला

दरअसल, 28 अप्रैल, 2017 को एटूजेड ने अनुबंधित कार्य के एक हिस्से को पूरा करने के लिए क्विपो इंफ्रास्ट्रक्चर (अब व्योम इंफ्रा वेंचर्स) के साथ एक और समझौता किया गया। साथ ही इस बात की सहमति की गई कि एटूजेड द्वारा मिले सभी पैसे एक एस्क्रो अकाउंट में जमा किए जाएंगे, जिससे भुगतान किया जाएगा। वहीं बीते साल 28 मई को A2Z ने अनुबंध समझौते को समाप्त कर दिया और क्विपो इंफ्रास्ट्रक्चर ने एटूजेड के साथ अनुबंध समझौते से संबंधित कुछ मुद्दों पर मध्यस्थता पैनल की नियुक्ति के लिए 14 सितंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया। जिसके बाद अब पक्ष इस साल 14 जनवरी को एक मध्यस्थ के लिए सहमत हुए है।

वहीं बुधवार को सुप्रीमकोर्ट के समक्ष एटूजेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि, “समझौता समाप्त कर दिया गया था और विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित किया गया था। यह समझ से बाहर था कि हाईकोर्ट ने एसडीएमसी से सभी प्राप्तियों को एस्क्रो अकाउंट में जमा करने का आदेश क्यों दिया? मैं दिल्ली में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के कलेक्शन और ट्रांसपोर्टेशन में लगे श्रमिकों को भुगतान नहीं कर पाऊंगा. हाईकोर्ट को एक व्हाट्सएप मैसेज पर विश्वास क्यों करना चाहिए? हालांकि हमने इसे जाली और मनगढ़ंत बताया है।”