एक ऐसा अद्भुत और अनोखा झरना, जो चुटकियों में बता देगा आप पापी हैं या फिर पुण्य आत्मा!

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Vasudhara falls in Uttarakhand : हिंदू पुरातन काल में आपने कई ऐसी घटनाओं के बारे में सुना होगा को बेहद अदभुत और अनोखी हैं। उन अजीबों गरीब और आश्चर्य से भर देने वाले रहस्य के विषय में हम बात करने वाले हैं। दरअसल उत्तराखंड को बेहद पावन और पवित्र तीर्थ स्थल की उपाधि प्राप्त हैं। जहां आज भी कई ऐसे स्थल हैं जिनके विषय में पढ़कर, या फिर उन्हें सुनकर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा। क्योंकि ऐसी चीजे जानकर हमारे मस्तिष्क में कई अनगिनत प्रश्न खड़े हो जाते है कि ऐसा कैसे संभव हो सकता हैं?

उन्हीं दिल को दहला देने वाले स्थलों में आज हम बात करेंगे वसुधारा झरना… क्योंकि यह एक ऐसी अद्भुत और अनोखी जगह है जहां के विषय में यह मान्यता प्रचलित हैं कि इस वॉटरफॉल का जल दुष्ट और दुराचारी मनुष्यों के अंग पर नहीं पड़ता है और इस दिलचस्प गुण को चेक करने के लिए बद्रीनाथ आने वाले अधिकांश भक्तगण यहां घूमने लाखों की तादाद में आते हैं.. वहीं हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 13,500 फीट उच्च चोटी पर स्थापित इस वॉटरफॉल के जल से यह ज्ञात हो जाएगा कि आप दुष्ट हैं या फिर एक पवित्र पुण्य आत्मा।

ये चमोली जिले के बद्रीनाथ धाम से तकरीबन 8 किलोमीटर की खड़ी और पथरीली पैरों पर चलकर चढ़ाई करने के बाद श्वेत मोतियों सा चमकीला और दूध की तरह एकदम सफेद और तेज धारदार वसुधारा वॉटरफॉल दिखाई देता है। जो करीब करीब 400 फीट के उच्च शिखर से भूमि पर गिरता है और सूर्य की तेज किरणों में इसके जल की बूंदे श्वेत मोती सी चमकीली है। ट्रेकिंग कर जब टूरिस्ट यहां आते हैं तो वाटरफॉल की अप्रिम ब्यूटी को देख वें अपनी सारी सुस्ती भूलकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और उन्हें स्वर्ग में पहुंचने जैसी चीजों की अनुभूतियां होने लगती है।साथ ही ऐसा कहा जाता है कि इस वॉटरफॉल का जल जिस भी मनुष्य पर छींटे मात्र भी गिर जाए वह बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि दुराचारी लोगों पर इस झरने का जल जरा भी नहीं गिरता है।

पुरातन ग्रंथों में भी हुआ है इसका जिक्र!

दरअसल यहां बद्रीनाथ से 8 किमी और भारत के पहले गांव माणा से कुछ 5 किमी की दूरी पर स्थापित है। जहां समुद्र तल से 13,500 फीट उच्च दिखार तक इस झरने को वसुधारा के कहकर पुकारा जाता है। इस अद्भुत झरने का वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है। आपको बता दें, पवित्र झरना अपने अंदर कई गोपनीय और गुप्त चीजों को संजोए हुए है। इस वॉटरफॉल का जल लगभग 400 फीट के उच्च शिखर पर स्थापित हैं। जब पांडव स्वर्ग के लिए जा रहे थे तो पांच पांडवों में से एक सहदेव ने इसी जगह पर अपने देह को छोड़ा था। इसीलिए इस वॉटरफॉल का महत्व पुराणों में भी वर्णित है और कहा गया है कि जिस मनुष्य पर इस वॉटरफॉल का जल गिर जाए वह जीवनभर निरोगी और भक्ति साधना में लीन रहने वाले व्यवहार का होता है। इसी मान्यता के चलते वहां दूर दूर से श्रद्धालुगण इसकी महात्मा को देखने के लिए यहां पहुंचते हैं।