148 साल बाद 10 जून को ऐसा संयोग बन रहा है जिसमें एक ही दिन में शनि जयंती और सूर्यग्रहण एक साथ आ रही है। खास बात यह है कि पिता को ग्रहण लगेगा और पुत्र का जन्म दिन होगा। शास्त्रों की मानें तो दोनों ही पिता पुत्र के बीच में दूरियां रहती हैं और सूर्य पिता हैं और शनि पुत्र हैं। मान्यता है कि सूर्य छाया पुत्र शनि का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को हुआ था इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन शनि जयंती मनाई जाती है।
ऐसे में सूर्य ग्रहण के दिन शनि जयंती आ रही है तो इस दिन पूरे विधि- विधान से शनि देव की पूजा- अर्चना की जाती है तो शुभफल मिलता है। इस बार शनि जयंती बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और ना ही इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा और ना न ही किसी भी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस समय अपने पिता सूर्य की चाल के कारण शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में वक्री हैं और शनि जयंती पर ही सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।
बता दे, ऐसा संयोग 148 साल पहले 26 मई 1873 में बना था जब शनि मकर राशि में थे और उस समय सूर्य ग्रहण और शनि जयंती एक साथ आई थी। सबसे अहम् बात ये है कि इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र के वृषभ राशि में लगने जा रहा है मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है और इस समय मंगल मकर राशि में वक्री शनि की पूर्ण दृष्टि मीन राशि एवं कर्क राशि में स्थित मंगल पर पड़ रही है। इसके आलावा मंगल की दृष्टि से गुरु पर भी है और सूर्य, चंद्र, राहु एवं बुध की युति भी बनी हुई। लेकिन भारत में सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा। ना ही किसी राशि के जातक जातक पर कि भी प्रकार कोई असर देखने को मिलेगा।