इंदौर: बुधवार के दिन गणेश भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इंदौर के अतिप्रचीन मंदिर बड़ा गणपति । इस मंदिर का इतिहास एक स्वप्न से जुड़ा है। मंदिर की आधारशिला के पीछे गणेश जी के अनन्य भक्त स्व. पं. नारायण दाधीच के द्वारा देखा गया एक स्वप्न है। भगवान गणेश ने नारायण को ऐसी ही मूर्ति के रूप में दर्शन दिए थे। स्व्वपन्न की घटना के बाद ही इस भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है।
मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1901 में पं. नारायण दाधीच द्वारा पूरा किया गया था। भगवान गणेश जी कि 25 फीट ऊंची प्रतिमा के रूप में दर्शन देते हैं। इस प्रतिमा के निर्माण में चूना, गुढ, रेत, मैथीदाना, मिट्टी, सोना, चांदी, लोहा, अष्टधातु, नवरत्न का उपयोग किया गया है। प्रतिमा के निर्माण में सभी तीर्थ नदियों के जल का उपयोग किया गया है। मूर्ति 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर विराजीत है। मूर्ति के निर्माण में करीब 3 साल लगे थे।
मंदिर के पुजारी पंडित प्रमोद दाधीच , राकेश दाधीच, राजेश दाधिच ने बताया कि भगवान गणेश जी का श्रृंगार में करीब 8 दिन का समय लगता है। वर्ष में चार बार यह चोला चढ़ाया जाता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है। मंदिर के रख रखाव की जिम्मेदारी नारायण दाधीच की तीसरी पीढ़ी के पं धनेश्वर दाधीच देख रहे हैं।
पूरे शहर के लोग इस अलौकिक प्रतिमा के दर्शन करने यूं तो सालभर ही जाते हैं। लेकिन गणेश उत्सव के समय यह संख्या हजारों में पहुंच जाती हैं। भक्तों के कल्याण के लिए मंदिर में बालाजी का मंदिर भी बना है। सभी इनके दर्शन करके भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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