ग्लोबल फोरम फॉर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की टीम ने डायरेक्टर एमएसएमई एवं एमडी MPLUN श्री श्री रोहन सिंह से मुलाकात की एवं एमएसएमई तथा स्टार्टअप को रोजमर्रा के कार्य में आने वाले प्रैक्टिकल कठिनाइयों के बारे में चर्चा की l उद्यमियों ने बताया कि भारत में एमएसएमई वित्तीय सहायता, व्यावसायिक विशेषज्ञता की कमी और तकनीकी अप्रचलन की समस्याओं से पीड़ित हैं। उदारीकरण, निरर्थक विनिर्माण रणनीतियों और अनिश्चित बाजार परिदृश्यों के कारण भारतीय एसएमई को अपने वैश्विक समकक्षों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस छेत्र के उद्यम खराब कार्य प्रणाली और कम जोखिम वाले छोटे पारंपरिक उद्यमों के सामने आने वाली समस्याएं, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी तक पहुंचने और प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने में, विफल रही हैं। इसके साथ ही किफायती और आसान शर्तों पर संस्थागत वित्त की अनुपलब्धता को एमएसएमई के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाता है। औपचारिक संविदात्मक संबंधों की कमी और नकद भुगतान पर निर्भरता एमएसएमई की कठिनाइयों को और बढ़ा रही है।अधिकांश छोटे पैमाने के उद्यमों के पास अच्छी तरह से शोध किए गए डेटाबेस तक पहुंच नहीं है – चाहे वह बाजार खुफिया या प्रौद्योगिकी से संबंधित हो। इस जानकारी को सक्रिय रूप से और नियमित आधार पर प्रसारित करने की आवश्यकता है।
मांग में गिरावट और उच्च परिवहन लागत के कारण कच्चे माल (Raw Material) की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि पिछले कुछ वर्षों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रमुख समस्या बनकर उभरी हैं. लगभग 47 प्रतिशत यूनिट, अपने मर्चेंडाइज के लिए नए ऑर्डर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. संस्था के अध्यक्ष दीपक भंडारी का कहना है कि उपभोक्ताओं की कम खरीद शक्ति के कारण मांग में कमी आई है और ईंधन की कीमतों में वृद्धि से उच्च परिवहन लागत के कारण कच्चे माल की लागत में वृद्धि हुई है. संस्था के आनंद रायकवार एवं राज व्यास ने बताया कि हमने कई मुद्दों पर अपने विचार रखें एवं सरकार से स्टार्टअप फाइनेंस क्लस्टर डेवलपमेंट इत्यादि पर मदद की पेशकश कीl
उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश छोटे व्यवसाय मालिकों (44%) के लिए मुद्रास्फीति शीर्ष चिंता का विषय बनी हुई है। इसकी तुलना में, बढ़ती ब्याज दरें, राजस्व और आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे जैसे अन्य मुद्दे दूसरी श्रेणी की चिंताएं बने हुए हैं। जीएफआईडी के अनुसार लघु उद्योगों के सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं हैं (1) वित्त (2) कच्चा माल (3) निष्क्रिय क्षमता (4) प्रौद्योगिकी (5) विपणन (6) बुनियादी ढांचा (7) क्षमता का कम उपयोग (8) परियोजना योजना इत्यादि है l
भारत में 2023 में लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के सामने आने वाली 10 प्रमुख चुनौतियाँ, प्रतिभा को काम पर रखना और बनाए रखना है तथा महंगी रियल एस्टेट, उच्च प्रतिस्पर्धा,ख़राब नकदी प्रवाह
संस्थापक निर्भरता स्केल बनाम गुणवत्ता,अप्रभावी विपणन और विज्ञापन,अव्यवस्थित बहीखाता पद्धति,सीमित ग्राहक कॉर्पोरेट ब्रांड बिल्डिंग इत्यादिlसंस्था की ओर से अलंकार भार्गव आदित्य रघुवंशी रुद्रांष एवं सिद्धार्थ रघुवंशी मैं भी सुझाव दिए तथा कहा कि भारत में छोटे और मध्यम व्यवसायों को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके विकास और स्थिरता में बाधा बन सकती हैं l