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संघर्षों से गुजरा है T20 वर्ल्ड कप के हीरो जसप्रीत बुमराह का बचपन, दाने-दाने को तरसे, मां ने किया 18 घंटे काम

संघर्षों से गुजरा है T20 वर्ल्ड कप के हीरो जसप्रीत बुमराह का बचपन, दाने-दाने को तरसे, मां ने किया 18 घंटे काम

क्या आप जानते हैं कि टी20 वर्ल्ड कप 2024 के हीरो जसप्रीत बुमराह का बचपन कितना दर्दनाक रहा था? जहां हर बच्चे को बचपन में अपने पिता के प्यार और साथ का सुख मिलता है, वहीं जसप्रीत बुमराह को यह खुशी नसीब नहीं हुई।

5 साल की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया। मां की जिम्मेदारी और बच्चों की परवरिश का बोझ दलजीत बुमराह पर आ गया। दिन-रात 16-18 घंटे काम करने वाली दलजीत बुमराह बच्चों को अकेले ही संभाल रही थीं। नन्हें जसप्रीत को कई बार दूध तक नहीं मिल पाता था।

भुखमरी और अभावों का सामना

बड़े होने पर भी, गरीबी का साया जसप्रीत के परिवार पर रहा। कई बार खाने के लिए सिर्फ बिस्किट ही मिल पाते थे और भूखे पेट सोना पड़ता था। 8 साल की उम्र में दीवाली के त्योहार पर भी उन्हें ठंड से बचने के लिए विंडचीटर नहीं मिल पाया था।

शांत और शर्मीले स्वभाव के

शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ ही जसप्रीत का स्वभाव भी शांत और शर्मीला था। उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वो अपना ज्यादातर समय प्लास्टिक की गेंद से खेलते हुए बिताते थे।

क्रिकेट ने बदली किस्मत

जसप्रीत के क्रिकेट प्रतिभा को देखते हुए, उनकी मां ने उन्हें क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाया। यहीं से जसप्रीत ने अपनी किस्मत बदलनी शुरू की और आज वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक हैं।

प्रेरणा की कहानी

जसप्रीत बुमराह की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से हार नहीं मानते। यह दर्शाता है कि गरीबी और अभावों के बावजूद भी यदि लगन और मेहनत हो तो कोई भी सफलता हासिल कर सकता है।

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