भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में ड्यूक बॉल की खराब क्वालिटी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान गेंद के जल्दी खराब होने की वजह से कई बार रिप्लेसमेंट मांगा गया और कप्तान शुभमन गिल की अंपायरों से बहस तक हो गई। अब इस पूरे विवाद पर भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने भी आवाज उठाई है। कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट को संतुलित बनाए रखने के लिए लार के इस्तेमाल की अनुमति देने की बात कही है।
ड्यूक बॉल को लेकर बढ़ा विवाद
लॉर्ड्स टेस्ट के पहले दो दिनों में भारतीय गेंदबाजों को बार-बार गेंद बदलवाने की जरूरत पड़ी। गेंद का आकार जल्दी खराब हो रहा था, जिससे न तो स्विंग मिल रही थी और न ही बॉल की चमक टिक रही थी। शुभमन गिल को इस मुद्दे पर अंपायरों से बहस करते देखा गया, जबकि सिराज ने भी स्टंप माइक पर शिकायत की कि उन्हें 10 ओवर पुरानी गेंद दी जा रही है।
कुंबले बोले – लार की वापसी जरूरी
अनिल कुंबले ने इंटरव्यू में कहा, गेंद अगर 10 ओवर में ही खराब हो रही है और बार-बार बदलनी पड़ रही है, तो यह खेल की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में गेंद की देखभाल के पुराने तरीकों की ओर लौटना जरूरी है। लार का इस्तेमाल फिर से शुरू किया जाना चाहिए। कुंबले ने यह भी जोड़ा कि लार से गेंद की चमक बनी रहती है और गेंदबाज़ों को स्विंग या रिवर्स स्विंग करने में मदद मिलती है।
पुराने तरीके अपनाने होंगे: कुंबले
कुंबले ने कहा कि ड्यूक बॉल को पहले जिस तरह बनाया जाता था, उसी तरीके को फिर से अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, पहले ड्यूक बॉल 80 ओवर तक टिकती थी, लेकिन अब 15–20 ओवर में ही बेजान हो जाती है। अगर ऐसा चलता रहा तो गेंदबाजों का टेस्ट क्रिकेट में असर खत्म हो जाएगा। उन्होंने इंग्लैंड के पूर्व गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड की बात का समर्थन करते हुए कहा कि ड्यूक बॉल की मौजूदा गुणवत्ता टेस्ट क्रिकेट के लिए ठीक नहीं है।
ICC को लेने होंगे बड़े फैसले
कुंबले का कहना है कि अगर आईसीसी टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाए रखना चाहती है, तो उसे इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे आईपीएल में लार का इस्तेमाल होने लगा है, वैसे ही टेस्ट क्रिकेट में भी यह नियम फिर से लागू किया जाए। टेस्ट क्रिकेट का संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि गेंदबाजों को पर्याप्त मदद मिले, वरना यह फॉर्मेट धीरे-धीरे एकतरफा हो जाएगा, कुंबले ने कहा।