अनूठी पहल : इंदौर जिले में कुपोषित बच्चों को बांटी गई विशेष न्यूट्रिशन किट

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इंदौर जिले में कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिये लगातार प्रभावी प्रयास किये जा रहे है। जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अनेक अनूठी पहल जन-सहयोग और शासकीय प्रयासों से की जा रही है। इसके बेहतर परिणाम सामने दिखाई दे रहें है। जिले में अब अति कुपोषित बच्चों के साथ ही मध्यम कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिए भी न्यूट्रीशियन किट देने का कार्य प्रारंभ किया गया है। यह किट सदाचार समिति द्वारा एक अभिनव पहल करते हुये दी जा रही है। इसके उपयोग से जिले में मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या में 75 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। आज सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने जिले में 15 परियोजना के 2300 मध्यम कुपोषित बच्चों के लिये विशेष तरह की न्यूट्रीशियन किट वितरित की।

इस अवसर पर अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर, सदाचार संस्था के अध्यक्ष तथा समाजसेवी डॉ. अनिल भंडारी, सचिव भरत दोशी,महिला एवं बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधोलिया भी मौजूद थे। कार्यक्रम में मध्यम कुपोषित बच्चों के लिये न्यूट्रीशियन किट का वितरण अतिथियों द्वारा किया गया। उक्त किट के लिये सदाचार समिति द्वारा सात लाख रूपये मूल्य की किट प्रदान की गयी है। उक्त बच्चों को समिति द्वारा लगातार तीन महीने तक न्यूट्रीशियन किट वितरित की जा जाएगी।

मध्यम कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिये दी जाने वाली विशेष न्यूट्रीशियन किट में राजगिरे के लड्डू, भूना चना, खोपरे का गोला, सत्तु, मुंगफली एवं गुड़ की चिक्की और खजूर पर्याप्त मात्रा में रखें गये है। इस किट का वजन लगभग 3 किलो है। यह किट सदाचार समिति द्वारा मध्यम कुपोषित बच्चों के लिये प्रदाय की गई है। यह किट लगभग डेढ़ से दो माह तक चलेगी। इसके उपयोग से मध्यम कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में अपेक्षित सुधार आयेगा।

इस अवसर पर प्रतीक के रूप में चयनित बाल परियोजनाओं की आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उक्त किट वितरित की गई। कार्यक्रम में मौजूद महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर तथा आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिये कि उक्त किट सभी मध्यम कुपोषित बच्चों को घर-घर जाकर अनिवार्य रूप से दी जाये। संबंधित आँगनवाड़ी कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करे कि उक्त किट का उपयोग मध्यम कुपोषित बच्चे द्वारा ही किया जाये।