कही – अनकही

Share on:

नरेंद्र सलूजा

भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने बनिया व ब्राह्मण वर्ग को लेकर जो टिप्पणी की है , उसकी सर्वत्र आलोचना हो रही है खुद भाजपा के इन वर्गों के नेता भी इस टिप्पणी से नाराज है। भाजपा के नेता व राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने भी इस टिप्पणी पर अपनी तीखी कविता लिखी है। इस टिप्पणी के समय उनके पास में ही बैठे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी उनके बचाव में एक शब्द तक नहीं कहा , खुद मुख्यमंत्री ने भी उनके बचाव में एक शब्द नहीं कहा और ना अन्य किसी बड़े नेता का उनके बचाव में बयान आया। उनके बचाव में सिर्फ बयान आया तो गृहमंत्री जी का ,जो खुद इसी वर्ग से आते हैं।

इससे समझा जा सकता है कि भाजपा में एक धड़ा उनके बयान के विरोध में हैं और दूसरा धड़ा समर्थन में।गृह मंत्री के उनके पक्ष में दिए बयान के बाद अगले दिन ही प्रभारी उन्हें धन्यवाद देने उनके घर पहुंच गए। अब भाजपा में यह नया गठबंधन नज़र आयेगा। भोपाल के कमला नेहरू हॉस्पिटल हादसे के बाद अगले दिन के लिये एक शीर्ष भाजपा नेता की ,हमेशा की तरह वाली एक स्क्रिप्ट रात में ही तैयार कर ली गयी थी लेकिन पता नही किसने रात में ही डिनर के व अगले दिन के मिठाई खाने के फ़ोटो वाइरल कर दिये और वो स्क्रिप्ट धरी रह गयी।अब फ़ोटो पोस्ट करने वाले नेता निशाने पर है।

भोपाल में 15 नवंबर को प्रधानमंत्री की मौजूदगी में होने वाले जनजातीय सम्मेलन को लेकर प्रदेश के एक शीर्ष नेता ने एक झटके में ऐसा दांव चला कि जो-जो नेता मंच पर मोदी जी के साथ बैठने के सपने देख रहे थे ,उनके सपने धराशायी हो गए।इस कार्यक्रम को लेकर गाइड लाइन तय हो गई है ,उसके तहत सिर्फ चुनिंदा नेता ही मंच पर बैठेंगे।बेचारे कई मंत्री और कई वरिष्ठ नेता जो मंच पर बैठने के सपने संजोये हुए थे , वे सब अब उस नेता को कोस रहे है। एक तरफ भाजपा में बिकाऊओ के खिलाफ कई नेता दिन-प्रतिदिन मुखर होते जा रहे हैं , अभी हाल ही में भाजपा के एक पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष ने बिकाऊओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर बड़ी सख्त टिप्पणी की और वही दूसरी तरफ बिकाऊओं के सरताज हाल ही में निर्वाचित एक नई नेता को अपने कोटे में मंत्री बनाने की लॉबिंग में जुड़ गए हैं।

जिसको लेकर पार्टी में घमासान मचा हुआ है क्योंकि पहले ही कई योग्य, निष्ठावान नेता मंत्री बनने से वंचित रह गए हैं और ऐसे में यदि एक बिकाऊ का नाम और सामने आता है तो सब ठगे रह जाएंगे।इसको लेकर पार्टी में ऊपर से नीचे तक संघर्ष जारी है। भाजपा ने खंडवा का उपचुनाव स्व.नंदू भैया के नाम पर लड़ा ,उनके सपनों को पूरा करने के नाम पर लड़ा लेकिन नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार व भाजपा प्रत्याशी की जीत तक पर कहीं भी नंदू भैया के टिकट के दावेदार सुपुत्र नजर नहीं आये।

यहां तक की भाजपा प्रत्याशी के साथ भोपाल में खंडवा के समस्त जनप्रतिनिधि आए लेकिन कहीं भी नंदू भैया के यह सुपुत्र नजर नहीं आये , इससे उनकी टिकट वितरण के समय से चली आ रही नाराजगी आज भी साफ दिखाई दे रही है। भाजपा के दो शीर्ष नेताओं के परिवारों में जमकर शीत युद्ध चल रहा है।दोनों में पावर केंद्र बनने को लेकर एक-दूसरे से जमकर प्रतिस्पर्धा चल रही है।एक दूसरे कर जमकर अनुसरण किया जा रहा है ,एक कहीं जाता है तो दूसरा भी वहीं पहुंच जाता है ,एक जो करता है , दूसरा उसे उससे पहले करने में लग जाता है।बेचारे अधिकारी इन दो पावर केंद्रों से परेशान हो चले हैं कि वो

आख़िर सुने तो किसकी सुने ?

तारीफ तो बनती है – भाजपा के मंत्री गोपाल भार्गव अपने कामों से सदैव चर्चित रहते हैं।कोरोना के दौरान सरकार को छोड़कर उन्होंने अपने खर्च से अपने क्षेत्र की जनता के लिये तमाम सुविधाएं जुटाई ,उस समय उनका अपने खर्चे से डॉक्टर की आवश्यकता को लेकर दिया गया विज्ञापन बड़ा चर्चित रहा।बाद में डेंगू के इलाज को लेकर भी उनके द्वारा निजी खर्चे से की गई व्यवस्था व जारी हेल्पलाइन नंबर ख़ासा चर्चा में रहा और अब जब भाजपा ने उपचुनाव में उनकी ड्यूटी लगाई थी , इस दौरान उनकी पत्नी बीमार हो गई , अस्पताल में भर्ती रही लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के प्रति कर्तव्य निष्ठा का परिचय देते हुए अपना पूरा समय चुनाव में ही बिताया और वह पत्नी की देखभाल के लिए भी नहीं आ सके। चुनाव खत्म होने के बाद ही वह घर लौटे। वास्तव में पार्टी के प्रति उनकी यह कर्तव्यनिष्ठा तारीफ़े काबिल है और ऐसी निष्ठा की सराहना की जाना चाहिए।