सतीश जोशी
इंदौर की राजनीति में साफ, सपाट और बेधड़क अपनी बात कहने वाले शेर ए इंदौर महेश जोशी नहीं रहे। कांग्रेस की लोकल से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में धाक जमाने में वे कामयाब रहे। एक जमाने में वे संजय गांधी के खास तो राजीव गाँधी के सलाहकार थे। इंदिराजी के वे प्रमुख सलाहकारों में रहे। युवक कांग्रेस की सक्रियता और जीवटता से देश को परिचित उन्होंने ही कराया। शरद पंवार, गुन्डूराव, अशोक गहलोत, अंबिका सोनी उन्हीं के नेतृत्व में राजनीति करते रहे।
प्रदेश सरकार में मंत्री रहते उन्होंने जो परिकल्पना की थी, वे सभी आज की स्मार्ट सिटी का हिस्सा है। कांग्रेस का सत्ता संचालन का तरीका इतना अजीब था कि अच्छे काम भी फाइलों में दब जाते थे। शोर जिन्दाबाद की राजनीति ने कार्यकर्ता आधारित राजनीति का बडा नुकसान किया। महेश जोशी कार्यकर्ताओं को गढ़ने, उनको आगे बढाने वाले नेताओं में थे।
एक समय मीडिया से लेकर व्यवस्था तक उनके साथ नहीं थी पर उन्होंने अपनी बेबाक शैली, कार्यकर्ताओं के बल पर झंडे गाडे। नदी सुधार, झुग्गी मुक्त शहर, नदियों के किनारे बगीचे, सडके और चौराहों का विकास उन्हीं का विजन था, पर तंत्र की मक्कारी ने महेश जोशी के सपनों को लाल किताब का हिस्सा बना दिया। एक कर्मठ राजनेता अपने ही सपनों को मरते देखता रहा, उन्हीं के दल की सरकारें आती रही, पर उनकी योजनाओं ने मूर्त रूप नहीं लिया। कालान्तर में आज भाजपा की सरकारें उन्हीं योजनाओं को जमीन पर उतार कर अपने को काम करने वाली सरकारें कह रही हैं।
उनसे जब मुलाकात होती वे इसी दर्द को व्यक्त करते। 2014 में कांग्रेस के पतन पर मुझे कहा था कि कांग्रेस को कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एक संघर्ष करने वाला दल नहीं बनाया, तो बहुत बुरे दौर के लिए तैयार रहना चाहिए। कमलनाथ सरकार के पतन पर मुझसे कहा था कि देखो जब तक हम अपने भीतर लड़ते रहेंगे, योग्यता को अवसर नहीं देंगे, ऐसे ही जीतकर हारते रहेंगे। वे ऐसे जननायक थे सच्चाई को स्वीकारते थे और उसे बेबाकी से कहने में भी नहीं झिझकते थे। अलविदा महेश भाई। हमेशा यादों में रहोगे। इंदौर आपको अपनी स्मृतियों में बनाए रखेगा।