धीरे बढ़ने वाले पौधे लंबे चलते है, जैसे नीम, अमलतास और पीपल

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इंदौर। प्रवासी भारतीय सम्मेलन को बेहतर बनाने को लेकर पूरे प्रदेश का प्रशासनिक अमला अपनी कवायद में लगा है। नगर निगम का हर विभाग अपने स्तर की तैयारियों में जुटा है, वहीं उद्यान विभाग ने भी ग्लोबल गार्डन तैयार किया है, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और देश विदेश के अन्य वीआईपी मेहमान इस गार्डन में पोधारोपण करेंगे। वहीं हाल ही में आला अधिकारियों ने यह निर्देश दिए है, कि ऐसे पौधों को लगाना है जिनकी आयु ज्यादा हो या लंबे समय तक चलें।

इसी को लेकर हमने कृषि विज्ञान केंद्र कस्तूरबा ग्राम के उद्यान विशेषज्ञ डा. डीके मिश्रा से बात की उन्होंने बताया, की मालवा रीजन में कई प्रकार की मिट्टी है जो जगह के हिसाब से बदल जाती है। वहीं शहर में भी किसी जगह अलग प्रकार की मिट्टी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर काली मिट्टी पाई जाती है, और इसकी थोड़ी गहराई में मुरम शुरू हो जाती है। इसकी गुणवत्ता यह है की यह चिकनी होती है, जो की कई पौधों के लिए उपयुक्त है। वहीं अगर बात वातावरण की करें तो इंदौर सेमी एडिट जॉन (अर्ध शुष्क क्षेत्र) में आता है।

मिट्टी और वातावरण के हिसाब से करें पौधों का चयन

मिट्टी और वातावरण के हिसाब से अगर हम पौधों का चयन करें तो मोलश्री, कचनार,नीम, अमलतास, पीपल, गुलर, पाकड़, अशोका और अन्य पौधे जो की शहर के वातावरण के हिसाब से सही है और साथ ही यह लंबी आयु के पौधे है। यह पौधे पर्यावरण के हिसाब से भी काफ़ी अच्छे माने जाते है। वहीं यह पौधे मौसम के अनुकूल होने के साथ कम पानी में बेहतरीन हैबिटेट देते है।

धीरे बढ़ते है, सैकड़ों साल जीवित रहते है

हर पौधे की अपनी तासीर होंती है, जो पौधा धीरे चलता है, वह लंबे समय तक जीवित रहता है। और वातावरण को अनेक दूषित गैस से साफ कर ऑक्सीजन देते है। और यह पौधे भारतीय नेचर के होते है जो की हर मौसम में हरे भरे रहते हैं।

ऐसे पौधे नही उपयुक्त

कई जगह एलेस्टोमिया नामक पौधा लगा दिया जाता है, जो की पावडर छोड़ता है जो की अस्थमा के मरीजों के लिए ठीक नहीं होता है, वहीं जल्दी बढ़ने वाले पौधे होते है जो जल्दी खत्म हो जाते हैं, जैसे गुलमोहर व अन्य पौधे।

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पौधों के फ्यूचर को ध्यान में रखे

कई बार ऐसे पौधे आंगन में या उद्यान में लगा दिए जाते है, जिनकी ऊंचाई और चौड़ाई बढ़ती है, कई बार ऐसा भी हो जाता है कि इनके ऊपर या साइड से बिजली के तार गुजरते है। जिससे हादसे का अंदेशा बना रहता है।