वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में कम मतदान की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि स्थिति का अत्यधिक विश्लेषण किया जा रहा है। सीतारमण ने आगे कहा, ”हो सकता है कि यह 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचा हो, लेकिन मुझे लगता है कि हम इस स्थिति को जरूरत से ज्यादा समझ रहे हैं।” उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हालांकि मतदान 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचा, लेकिन यह अभी भी महत्वपूर्ण है कि 60 प्रतिशत को पार कर गया है।
‘सांसद संसद में प्रभावशाली नहीं रहे हैं?’
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है, वहां कम मतदान उनके सांसदों की अस्वीकृति का संकेत दे सकता है। उन्होंने कहा, “क्षेत्रीय पार्टियां कई राज्यों में शासन कर रही हैं, उनके पास अपने सांसद हैं। जब मतदान प्रतिशत कम होता है, तो क्या वे स्वीकार करेंगे कि उनके सांसद संसद में प्रभावशाली नहीं रहे हैं?”
‘विपक्ष द्वारा यह कहानी गढ़ी जा रही है’
वित्त मंत्री से मीडिया द्वारा पूछा गया कि क्या चुनावों को फीका माना जा रहा है, तो सीतारमण ने कहा कि विपक्ष द्वारा यह कहानी गढ़ी जा रही है। द हिंदू बिजनेसलाइन के अनुसार उन्होंने कहा, “विपक्ष जानता है कि वे पिछले दस सालों की उपलब्धियों के आधार पर मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते। इसलिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि सबसे सस्ता तरीका अपनाया जाए और हर दिन आरोप लगाए जाएं।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि मतदाता भाषणों के बजाय वास्तविक वितरण और पूरे किए गए वादों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने दक्षिण में अच्छा प्रदर्शन किया है और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वादे भी पूरे किये हैं।