Shwetark Ganpati :सभी मनोकामना पूर्ण करने के लिए करें श्वेतार्क गणपति की पूजा, ये है पूजन विधि और महत्त्व

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गणेश के लिए शास्त्रों में बुधवार का दिन माना गया है। कहा जाता है कि उनकी पूजा अर्चना करने से ही भक्तों की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। गणेश जी सभी डिवॉन में सबसे पहले पूजे जाते हैं। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणपत्ति बप्पा की पूजा होती है। हर एक पूजा से पहले उनकी पूजा होती है तभी वह पूजा मान्य होती है। बता दे, गणेश जी कि पूजा के बिना कोई भी कार्य शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए उनकी सबसे पहले पूजा की जाती है। इसके अलावा गणेश उत्सव जो कि इस साल 10 सितंबर से शुरु होने जा रहा है।

गौरतलब है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी महासिद्धि विनायक कहलाती है और इसी दिन से गणपति उत्सव की शुरुआत होती है। प्रत्येक शुभ कार्य के पहले की जाने वाली गणपति की साधना में उनकी विभिन्न प्रकार की प्रतिमाओं का अपना अलग ही महत्व है। श्वेतार्क की गणपति प्रतिमा अत्यंत ही शुभ फल प्रदान करने वाली होती है। दरअसल श्वेतार्क की जड़ में गणेश जी का वास होता है और यदि इस जड़ को शास्त्रोक्त विधि से प्राप्त किया जाये और अपने घर में स्थापित किया जाये तो घर में सुख-समृद्धि का वास हमेशा बना रहता है।

श्वेतार्क गणपति का महात्म्य
श्वेतार्क की जड़ का आकार भी लगभग गणेश जी के आकार जैसा होता है, जिसके कारण इसे श्वेतार्क गणपति कहा जाता है। मान्यता है कि यदि इस जड़ को यानी श्वेतार्क गणपति को अपने घर में स्थापित करके यदि प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाये तो यह प्रतिमा सिद्ध हो जाती है और इसमें गणपति का वास हो जाता है। जिसके बाद इस गणपति की प्रतिमा की पूजा का फल साधक को शीघ्र ही मिलने लगता है।

श्वेतार्क गणपति की पूजा के लाभ
श्वेतार्क गणपति की पूजा करने पर सभी प्रकार की दैविक बाधाओं से रक्षा होती है। गणपति की इस मूर्ति की पूजा से भूत, प्रेत, नजर दोष, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि का भय नहीं रहता है। साधक इन सभी चीजों से हमेशा सुरक्षित रहता है। श्वेतार्क गणपति की प्रतिमा तत्काल सिद्धि के लिए अत्यंत लाभप्रद मानी गई है।

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श्वेतार्क गणपति की पूजा विधि
श्वेतार्क की जड़ यदि आपको मिल जाए तो उसे साफ करके शुद्ध जल से स्नान कराएं और फिर लाल कपड़े पर स्थापित करके उसकी प्रतिदिन पूजा करें। गणपति की पूजा में लाल चन्दन, अक्षत, पुष्प, सिंदूर का प्रयोग विशेष रूप से करें। इसके धूप-दीप देकर नैवेद्य के साथ कोई सिक्का भी अर्पित करें। इसके बाद गणपति के मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का एक माला जप अवश्य करें. मंत्र जाप के लिए लाल माला या फिर रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।