भोपाल -15 नवंबर 2021
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज मध्यप्रदेश के भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के समारोह पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 100 करोड़ से अधिक खर्च कर किये गये इस आयोजन ने प्रदेश की जनता व आदिवासी वर्ग को बुरी तरह से निराश किया। इस आयोजन से प्रदेशवासियों को और आदिवासी वर्ग को बड़ी सौगातो की उम्मीद थी लेकिन एक भी सौगात इस आयोजन के माध्यम से नहीं मिली।
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उम्मीद थी कि मोदी जी अपने 7 वर्ष की सरकार के दौरान आदिवासी वर्ग के हित में उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों ,लिए गए निर्णयो , लागू व जारी योजनाओं पर बात करेंगे लेकिन वह तो नृत्य ,संगीत ,टीकाकरण और कांग्रेस को कोसने में ही लगे रहे।उन्होंने अपने भाषण में पूर्व की सरकारों पर तमाम आरोप लगाये जबकि आज पूरा देश व पूरा आदिवासी वर्ग अच्छी तरह से इस सच्चाई को जानता है कि इंदिरा गांधी जी की सरकार ने आदिवासियों के हित में कई क्रांतिकारी निर्णय लिए ,उनके उत्थान और कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू करी ,जिसका लाभ आज तक आदिवासी भाइयों को मिल रहा है।
केंद्र की मनमोहन सरकार ने वर्ष 2006 में वन अधिकार अधिनियम लागू कर आदिवासियों के हित में एक सशक्त निर्णय लिया था।आदिवासी वर्ग के जल-जंगल जमीन के अधिकार ,
आदिवासी वर्ग के शिक्षा ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने ही कई उल्लेखनीय निर्णय लिए। बेहतर होता मोदी जी पूर्व की सरकारों को कोसने की बजाय ,अपनी सरकार के 7 वर्ष के कार्यकाल के दौरान आदिवासी वर्ग के हित में किए गए कार्य , लिए गए निर्णय व लागू योजनाओं के बारे में बात करते। कितने शर्म की बात है कि मध्य प्रदेश में पिछले 17 वर्ष से भाजपा की सरकार है और आज 17 वर्षों बाद प्रदेश के 30 लाख परिवारों को जल जीवन मिशन योजना के माध्यम से नल से जल देने के अभी भी सपने दिखाए जा रहे हैं।
मोदी जी कह रहे हैं कि कई आदिवासी बाहुल्य जिले अभी तक पिछड़े हुए हैं। बात करे तो मोदी सरकार में ही वर्ष 2018 में नीति आयोग ने देश के 101 अति पिछड़े जिलों की सूची जारी की थी, जिसमें मध्य प्रदेश के 7 जिले शामिल थे ,इसमें ख़ुद मुख्यमंत्री का गृह जिला विदिशा ,आदिवासी बाहुल्य जिला बड़वानी ,गुना ,खंडवा ,छतरपुर ,दमोह और राजगढ़ ज़िले शामिल थे , यह सच्चाई भी उन्हीं की सरकार ने उजागर की थी। पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने ही आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकार ,उनकी संपदा और संसाधनों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए थे। नाथ ने कहा कि वही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तो अपने पूरे भाषण में आदिवासी वर्ग पर कम बोले , वह तो पूरे समय अपनी कुर्सी बचाने के लिए मोदी जी का महिमामंडन ही करते नज़र आये।
वे इस कार्यक्रम में खाद के लिए मोदी जी को धन्यवाद दे रहे थे और इस सच्चाई को स्वीकार नहीं रहे कि आज प्रदेश में पिछले एक माह से रबी के सीजन की बोवनी के लिए किसान खाद के लिए भटक रहा है ,प्रदेश में खाद का भारी संकट है। वह भी अपने भाषण में अपनी 17 वर्ष की सरकार में आदिवासी वर्ग के हित में किए गए कार्यों ,लिए गए निर्णयो के बारे में कुछ भी नहीं बता पाए। उन्हें तो इस मंच से प्रदेश के आदिवासी वर्ग से माफी मांगना चाहिए थी क्योंकि उन्हीं की सरकार में प्रदेश आदिवासी उत्पीड़न में देश में शीर्ष पर आया है व नेमावर ,नीमच ,खरगोन की आदिवासी उत्पीड़न व अत्याचार की घटनाएँ भी उन्ही की सरकार में हुई है।
उम्मीद थी कि मोदी जी आज इस यात्रा पर भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल भी जायेंगे ,जहाँ 6 दिन पूर्व हुई आगज़नी की घटना में 16 से अधिक मासूमों की मौत हो गयी थी ,पीड़ित परिवारों से भी वे मिलेंगे लेकिन उन्होंने जाना तो दूर इस दर्दनाक घटना पर एक शब्द भी नही बोला। उपस्थिति के मान से भी यह कार्यक्रम फ़्लॉप रहा।आदिवासियों के नाम पर भीड़ बढ़ाने के लिये पूरे प्रदेश भर के भाजपा कार्यकर्ताओं व सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों को लाकर इस कार्यक्रम में बैठाया गया , वही आदिवासी वर्ग ने इस कार्यक्रम से दूरी बनायी।