कांग्रेस ने जारी की शिवराज सरकार के घोटालों की लिस्ट, दर्जनों घोटाले आए सामने

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भोली भाली सूरत और लच्छेदार भाषण और अपने आप को दीन-हीन तथा गरीब का बेटा बताकर शिवराज सिंह चैहान और उनके परिवार द्वारा भ्रष्टाचार करने की गाथा बहुत पुरानी है। शिवराज सिंह चैहान के द्वारा किए गए घोटालों और भ्रष्टाचार के जीते जागते प्रमाण आज भी जमीन पर खड़े हैं और सरकारी फाइलों में देखे जा सकते हैं। विदिशा का वेयरहाउस, वहीं पर बनी हुई विशालकाय डेयरी, ससुराल गोंदिया में रिश्तेदारों की संपत्ति, पुत्रों की अमेरिका में पढ़ाई के खर्चे, भोपाल में भाइयों की संपत्ति, यह सब बातें शिवराज सिंह के तथाकथित ‘गरीब’ जीवन और उनके द्वारा किए गए घोटालों से जुड़ी जनश्रुतियाँ के हिस्से हैं और इतिहास में दर्ज हो चुके हैं । ये सब बातें कभी ना कभी विधानसभा की चर्चाओं में आयीं हैं और रिकार्ड में हैं। शिवराज सिंह का आचरण पाखंड और झूठ की पराकाष्ठा है । सात महीने पहले जब खरीद-फरोख्त के माध्यम से जनता की चुनी हुई सरकार गिराई है तो शिवराज सिंह के असली चरित्र की पोल खुल गयी । आज फिर से शिवराज सिंह के पाखंडी और ‘कलाकारी’ के चरित्र को सामने लाना बहुत आवश्यक है। जनता को शिवराज सिंह चैहान के पिछले कारनामों की याद दिलाने के लिए उनके कार्यकाल की भ्रष्टाचार और घोटालों की फेहरिस्त फिर से जनता के सामने प्रस्तुत है।

।। शिवराज सरकार आई, नए घोटाले लाई ।।

सात महीनों में नए घोटाले:-
15 साल के अपने कार्यकाल में भाजपा और शिवराज घोटालों और भ्रष्टाचार के पर्याय बन गए थे। जनता ने इसीलिए 2018 में शिवराज सिंह को घर बैठाया था। लेकिन खरीद-फरोख्त करके शिवराज सिंह चैहान फिर मुख्यमंत्री बन गए। अपने सात महीने के कार्यकाल में अपनी आदत के अनुसार ‘आपदा में अवसर’ यहाँ भी शिवराज सिंह चैहान और उनसे जुड़े लोगों ने देख लिए। इन सात महीनो के भी कम समय में शिवराज सिंह सरकार ने नए-नए घोटाले कर फिर कीर्तिमान बना लिये।

आटा चोरी घोटाला:-
ग्वालियर में लाखों पैकेट आटे के जो बाहर से आए मजदूरों को प्रदाय किए जाने थे। उन आटे के पैकेटों को जब तौला गया तो 10 किलो के आटे के पैकेट में 6 से लेकर 8 किलो तक आटा पाया गया। गरीबों की विपत्ति के समय में उनके निवाले पर डाका डालने में इस सरकार को कोई लाज नहीं आई।

त्रिकुट चूर्ण घोटाला:-
जनता की इम्यूनिटी बढ़ाने के के नाम पर करोड़ों की संख्या में त्रिकुट चूर्ण बांटना बताया गया जबकि प्रदेश में 10 में से 9 घरों में यह चूर्ण पहुंचा ही नहीं। करोड़ों पैकेट का वारा न्यारा हो गया। सरकार में बैठे भ्रष्टाचारियों को त्रिकूट चूर्ण से पेट नहीं भरा तो उन्होंने एक काढ़ा बनवाया और उसे भी करोड़ों लोगों को पिलाने का दावा किया गया किंतु किसी भी घर में काढ़ा नहीं पहुंचा। विपत्ति को मौका बनाने में लगी मध्य प्रदेश की सरकार सफाई दे कि कितने लोगों ने इस काढ़े का सेवन किया। मध्यप्रदेश में इस कार्य को बनाने के लिए जितना कच्चा मटेरियल चाहिए क्या उतना प्रदेश में पैदा भी होता है?

शराब एमआरपी घोटाला:-
सरकार बदलते ही सबसे पहले सरकार ने शराब माफिया पर हाथ रखा ।शराब ठेकेदारों को ठेका स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया गया। लॉकडाउन के कारण शराब ठेकेदारों ने हाथ खड़े किए तब सरकार ने खुद ही शराब बेचने का फैसला किया और शराब की दुकान लाॅकडाउन में भी खोल दी गई। महिलाओं को शराब की दुकानों पर शराब बेचने के लिए बैठा दिया गया। जब सरकार पूरी तरह से असफल हो गई तब ठेकेदारों से टेबल के नीचे समझौते हुए और ठेकेदारों को एमआरपी से अधिक कीमतों पर शराब बेचने की छूट मिल गई सरकार के अमले ने आंखें फेर ली और आबकारी ठेकेदारों ने जी भर कर एमआरपी से कई गुनी कीमतों पर शराब बेची प्रदेश की जनता लुटी और प्रदेश को राजस्व की हानि से चूना लगाया गया।

तबादला उद्योग घोटाला:-
सरकार बदलते ही हजारों की तादाद में तबादले कर मुद्रा विकास का काम शुरू हो गया।एक दिन में तीन तीन बार अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए। 500 से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारी इधर से उधर किए गए । उद्योग चल पड़ा तो हालात ऐसे हो गए कि मुख्यमंत्री कोविड-19 होते हुए भी अस्पताल से ट्रांसफरों की सूचियां निकालते रहे। कमलनाथ सरकार में तो आॅनलाइन ट्रांसफर होते थे। लेकिन टेबल के नीचे सौदा.होने से आफलाईन तबादले चालू हो गये।10 हजार तबादले तो शिक्षा विभाग में हुए। यहां तक कि आचार संहिता में भी तबादले की खदान धन उगलती रही और अंततः चुनाव आयोग को तबादले निरस्त करना पड़े

अन्य प्रदेशों के गरीबों का चोरी का खाद्यान्न
शासकीय खरीदी में लेने का घोटाला:-
जैसे ही सागर के एक गैर विधायक मंत्री मंडल में खाद्य मंत्री बने उनके चुनाव क्षेत्र में सहकारी समितियों में ललितपुर से गरीबों के लिए भेजा गया चोरी होकर कोविड-19 का गेहूं सिहोरा की समितियों में खरीदा जाने लगा । आठ ट्रक पकड़े गए एफ आई आर दर्ज हुई। एफ एफ आई आर दर्ज करने वाली कलेक्टर बदल दी गई मगर घोटाले बाजों का बाल बांका भी नहीं हुआ। एफ आई आर कहां फेक दी गई इसकी खोज हमारी सरकार आकर करेगी

फर्जी बिल बिजली बिल घोटाला:-
कमलनाथ जी की सरकार 100 रूपये में 100 यूनिट बिजली देने का काम इंदिरा ज्योति योजना के तहत कर रही थी एक करोड़ हितग्राहियों के घर में ₹100 के बिजली के बिल आ रहे थे जैसे ही अनैतिक संसाधनों से गिराया गया वैसे ही बिजली वितरण कंपनियों का के माध्यम से जनता को लूटने के नए हथकंडे शुरू हो गए जिन लोगों के 100 रूपये के बिल आ रहे थे, वह अब 5 हजार, 10 हजार से लेकर लाखों में आने लगे। हमने मुरैना के अंबाह क्षेत्र के सैकड़ों बिजली बिल सार्वजनिक किए हैं जिनमें हर उपभोक्ता की अंतिम वाचन 140 दिखाया गया है। उपभोक्ता का कनेक्शन 500 वाट के लिए स्वयं बिजली विभाग बता रहा है किंतु खपत दो हजार यूनिट की बताई जा रही है। अप्रैल महीने से ही यह लूट चालू हो गई भाजपा ने आम जनता की यह ठगी संबल के नाम पर कराई। क्या कोई लाभ की योजना ऐसी हो सकती है जो उपभोक्ता के ऊपर 5 गुना बोझ डाल दे। इस घोटाले के कारण खुद मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि उपभोक्ता बिजली का बिल ना भरे और अगस्त के बिल में वह पुराना एरियर नहीं दिखाएंगे ।यह घोटाले की खुद शासन द्वारा स्वीकृति है।

पीपीई किट घोटाला:-
इंदौर और पूरे प्रदेश में कारोना की महामारी से निबटने के लिए दवाई और पीपीई किट की खरीद में घोटाला किया गया।

मध्यान्ह भोजन घोटाला:-
मध्यप्रदेश की जनता जब कोरोना महामारी से जूझ रही थी, सभी स्कूल बंद थे, बच्चे स्कूलों में नहीं आ रहे थे, तब भी मध्यान्ह भोजन पर 316 करोड़ से अधिक की राशि व्यय हुई। पूरा प्रदेश जानना चाहता है कि यह भोजन किन लोगों को करवाया गया।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि घोटाला:-
मध्यप्रदेश की घोटालेबाज सरकार प्रधानमंत्री की किसान सम्मान निधि योजना तक में फर्जीवाड़े करने लगी, जिसकी भनक प्रधानमंत्री कार्यालय मंे लगने पर जांच में भारी घोटाले पाये गये। रतलाम जिले में 15242 अपात्र किसान पाये गये, बड़वानी में 889 किसान आयकर दाता निकले, झाबुआ में 30 हजार दस्तावेजों की जांच जारी है, खंडवा में 2300 पंजीयन अपात्र पाये गये, खरगोन के नौगांव में सत्यापन में 86 किसान अपात्र पाये गये।

सौभाग्य योजना घोटाला:-
सौभाग्य योजना के माध्यम से गांव-गांव में बिजली पहुंचाने का काम होना था। अकेले मंडला, डिण्डौरी और सीधी में ही इस योजना में बिजली तो नहीं पहुंची 29 करोड़ रूपये का घोटाला सामने आ गया, जिसमें पुराने ट्रांसफार्मरों के नाम पर घोटाला किया गया, 44 अधिकारी इस घोटाले में पकड़े गये। ऊपर कितना माल गया, जांच में सामने आयेगा।

चावल घोटाला:-
मध्यप्रदेश सरकार ने खरीदी गई धान से चावल बनवाकर जो चावल भण्डारण कराया वह जानवरों के खाने योग्य था, धान मिलर्स और सरकार का माफिया मिलकर लगभग 1000 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया, जिसे केंद्र सरकार की एजेंसियों ने पकड़ा और चावल को जानवरों के खाने योग्य बताया। यह घोटाला मामा राज में निरंतर चला आ रहा है। अगस्त 2020 में घोटाला पकड़े जाने के बावजूद और सरकार की राष्ट्रव्यापी फजीहत होने के बावजूद अभी फिर से 26 हजार क्विंटल घटिया चावल की रैक शिवपुरी भेजी गई, जिसमें से 1000 क्विंटल चावल जानवरों के खाने योग्य बताये जाने का आरोप है। यह चावल अशोकनगर, गुना और दतिया में बांटा जाना है।

किसानों की सब्सिडी हड़पने का घोटाला:-
मध्यप्रदेश के कृषि विभाग ने वरिष्ठालय के निर्देश के नाम पर निजी कंपनियों को बिना टेंडर दिये गये करोड़ों के सप्लाई आॅडर्र, कांगे्रस की शिकायत पर रीवा के कई आदेश निरस्त, बाकी जिलों में करोड़ांे रूपयों का खेल। सीबीआई जांच जरूरी।

फर्नीचर खरीदी घोटाला:-
मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम में फर्नीचर खरीदी घोटाले में चार कंपनियां ब्लैक लिस्ट की गई। घोटाला 18 करोड़ रूपयों का बताया जा रहा है। गलत जानकारी के आधार पर लघु उद्योग निगम में निविदाओं में किया जा रहा है घोटाला।

प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना घोटाला:-
प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना में जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए बीज खरीदी में एक शब्द के हेरफेर से 110 करोड़ रूपयों का घोटाला आरोपित है। जिसकी जांच करने में जांच एजेंसियों असमर्थता जाहिर कर रही हैं।

बायो-फर्टिलाईजर घोटाला:-
केंद्र सरकार ने लिक्विड बायो-फर्टिलाईजर खरीदने के लिए जो राशि मध्यप्रदेश सरकार को दी थी, उसमें फर्टिलाईजर केप्सूल खरीद लिये गये। करोड़ांे के इस घोटाले में मध्यप्रदेश खेतों को केप्सूल खिलाने वाला विश्व का पहला राज्य बना।

प्रवासी मजदूर खाना घोटाला:-
प्रवासी मजदूरों को कोरोनाकाल में हजारों जनसंगठनों, सामाजिक संगठनों ने भोजन की व्यवस्था की, लंगर खोले, मगर उन्हें भूखा नहीं रहने दिया। लेकिन भाजपा सरकार के भ्रष्ट अधिकारी यहां भी नहीं चूके, खाना जनता ने खिलाया और सरकारी अधिकारियों ने बिल बनाकर निजी खातों में राशि डाल ली। विजयपुर में 11 लाख रूपयों की राशि निजी खातों में खुर्दबुर्द की गई।

इन सात महीनों के भ्रष्टाचार और रोज नित नए घोटालों से भरे अपने कार्यकाल के अलावा शिवराज सिंह और भाजपा के पिछले 15 सालों पर जनता ने तो 2018 में ही अपना फैसला सुना दिया था लेकिन छल और धनबल के सहारे की गयी खरीद फरोख्त से कांग्रेस की सरकार गिरा दी गयी ।

एक बार फिर से शिवराज सिंह के पन्द्रह साल के घोटालों की फेहरिस्त का आरोप पत्र जनता की अदालत में प्रस्तुत है।

घोटाला क्रमांक-1
डंपर घोटाला :-
इसमे शिवराज सिंह ने अपनी पत्नी के नाम पर कुछ डंपर रीवा की जेपी सीमेंट फैक्ट्री में लगवाए और फंसने पर कागजों में हेराफेरी करके लोगों को और कानून को भ्रमित किया।

घोटाला क्रमांक-2
व्यापम कांड:-
व्यापम किसी से छुपा नहीं है कि किस तरह इसमें मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी ने लाखों युवाओं की नौकरियों पर तुषारपात किया। व्यापम कांड में मुख्यमंत्री की देखरेख में लाखों युवाओं का भविष्य ना केवल बर्बाद हुआ बल्कि शिवराज सिंह से जुड़े हुए लोगों ने अरबों रुपए की संपत्ति बनाई। इस कांड में जिस तरह से मुख्यमंत्री ने अपने आपको बचाने के लिए अपने करीबी लोगों को शहीद कर दिया वह जनता से छुपा नहीं है। शिवराज सिंह प्रदेश के लाखों युवाओं की बेरोजगारी के गुनाहगार हैं

घोटाला क्रमांक-3
होशंगाबाद रेत घोटाला:-
आज भी नर्मदा मैया की छाती को छलनी करके हजारों ट्रक रेत, रोज अवैध रूप से निकाली जा रही है और महंगे दामों पर बेची जा रही है। पूरे रेत का अवैध व्यापार शिवराज सिंह उनके परिवार के भाइयों एवं उनसे जुड़े नेताओं की छत्रछाया में निर्बाध रूप से चल रहा है। प्रमाण के लिए आज भी सैकड़ों डंपर होशंगाबाद के आसपास और बुधनी विधानसभा क्षेत्र के गांव में दौड़ते देखे जा सकते हैं। शिवराज सिंह रेत के इस सुनियोजित घोटाले के जनक हैं। इसका पूरा पैसा और कमीशन मुख्यमंत्री और उनसे जुड़े लोगों तक पहुंचता है।

घोटाला क्रमांक-4
गृह निर्माण समिति घोटाला:-
शिवराज सिंह के भाइयों द्वारा भोपाल की रोहित गृह निर्माण समिति एवं अन्य गृह निर्माण समितियों में जबरदस्ती अवैध तरीके से प्लाट हथियाये गए।

घोटाला क्रमांक-5
ई-टेंडर घोटाला:-
शिवराज सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल में सुनियोजित तरीके से प्रदेश में होने वाले सिंचाई विभाग, अभियांत्रिकी विभाग, सड़क परिवहन एवं पीडब्ल्यूडी में टेंडरों में घोटाला करके अरबों रुपए का भ्रष्टाचार किया इसकी जांच कांग्रेस की सरकार करवा रही थी। जैसे ही आपको लगा की इसमें आपकी कलइ खुल जाएगी आपने खरीद-फरोख्त कर के सरकार गिरा दी।

घोटाला क्रमांक-6
सिंहस्थ घोटाला:-
शिवराज सिंह की सरकार और उनसे जुड़े लोगों ने भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में होने वाले कुंभ मेले में भी भ्रष्टाचार किया। सिंहस्थ में जिस तरह से नगरीय प्रशासन विभाग और अन्य विभागों ने 2 रूपये की चीज को 20 रूपये में खरीदा और करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया वह किसी से छुपा नहीं है। आज सिंहस्थ घोटाले की कई जांचों को रोक दिया गया है। भगवान महाकाल का पैसा खाने वाला आदमी कभी सुखी नहीं रह सकता ऐसा उज्जैन के साधु संत ही कहते हैं।

घोटाला क्रमांक-7
नर्मदा परिक्रमा घोटाला:-
मुख्यमंत्री ने अपने पिछले कार्यकाल में नर्मदा मैया का चुनावी यात्राओं में दुरुपयोग किया। चुनावी लाभ लेने के लिए प्रतिदिन की अपनी हवाई यात्राओं पर करोड़ों रुपये खर्च किये। यहां तक नर्मदा मैया की आरती तक करने में भ्रष्टाचार किया गया। शिवराज जी नर्मदा मैया के नाम पर किया गया छल नर्मदा मैया कभी माफ नहीं करती।

घोटाला क्रमांक-8
प्लांटेशन घोटाला:-
शिवराज सिंह ने नर्मदा मईया के नाम पर पौधे लगाने तक मे घोटाला कर डाला। लाखों वृक्ष फर्जी तरीके से लगाकर गिनिस बुक में नाम दर्ज कराया। इस घोटाले को हमारी सरकार जांच कर रही थी।

घोटाला क्रमांक-9
प्याज घोटाला:-
तीन साल पहले प्याज की अधिक पैदावार होने के कारण किसानों में पैदा हुए असंतोष को दबाने के लिए जब सरकार ने प्याज खरीदी तब इसमें भी शिवराज सिंह ने 500 करोड़ रुपये का घोटाला कर दिया। सभी लोग जानते हैं कि किस तरह से प्याज को सड़ा हुआ दिखाकर करोड़ों रुपए शिवराज सिंह और उनसे जुड़े लोगों और अधिकारियों ने कमाए।

घोटाला क्रमांक-10
बुंदेलखंड पैकेज घोटाला:-
बुंदेलखंड के लिए कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में चार हजार करोड़ का पैकेज दिया था। इस पैकेज को भी शिवराज सिंह और उनसे जुड़े लोगों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया।
लोग भूले नहीं है कि किस तरह स्कूटी के कागजातों पर डंपर और ट्रक दिखा कर मिट्टी का परिवहन किया गया। यह चार हजार करोड़ का घोटाला आप की ही देन है मुख्यमंत्री जी।

घोटाला क्रमांक-11
उद्यानिकी घोटाला:-
मुख्यमंत्री जी आपकी नाक के नीचे आपके पिछले कार्यकाल के दौरान लगातार किसानों और छोटे फल उत्पादक किसानों को जबरदस्ती घटिया कृषि यंत्र बांटे गए।
ड्रिप अनुदान के नाम पर संतरा, मिर्च और टमाटर की खेती करने वाले किसानों के साथ धोखा किया गया। लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का यह भ्रष्टाचार जब प्रकाश में आया तो इसकी जांच पर किसने रोक लगाई है। यह घोटाला भी आपकी देन है शिवराज सिंह जी।

घोटाला क्रमांक-12
घटिया चावल सप्लाई घोटाला:-
आपदा में अवसर तलाशने की कला कोई आपसे सीखे शिवराज जी। जब पूरा मध्य प्रदेश कोरोना के संकट से डरा हुआ और घरों में कैद था तब आपने गरीब लोगों के लिए घटिया चावल बटवा कर उसमें भी घोटाला कर लिया। घटिया चावल घोटाले की जांच को बीच में ही क्यों रोक दिया शिवराज जी इसका जवाब आपको देना पड़ेगा।

घोटाला क्रमांक-13
खासगी होलकर ट्रस्ट घोटाला:-
अरबों रुपए की संपत्ति जो इंदौर और देश भर में फैली हुई थी उसको कौड़ियों के मोल जब बेचा जा रहा था तब यह सब जानकारी आपको थी मुख्यमंत्री जी।
आपके मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ एक सचिव ने 2012 में आपको बाकायदा नोटशीट लिख कर दी थी और बताया था कि किस तरह से यह अरबों की संपत्ति बेची जा रही है। लेकिन तब आपने इस पर मौन रहकर बेचने वालों के साथ मिलकर घोटाला किया। इस घोटाले को रोकने के लिए आप ने सुप्रीम कोर्ट में अच्छे वकील क्यों खड़े नहीं किए। यह सरकारी संपत्ति आपने अपनी जानकारी ने बिकवाई है इसके दोषी आप है।

घोटाला क्रमांक-14
बिजली खरीद घोटाला:-
अपने 13 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री जी आपने सुनियोजित तरीके से सरकारी पावर प्लांट को चलने नहीं दिया और बदले में प्राइवेट पावर प्लांट से महंगी दरों पर बिजली खरीदी। इस बिजली खरीदी में कमीशन का खेल सब जानते हैं। बिजली खरीदी के इस 2 लाख करोड़ के घोटाले के जिम्मेदार आप हैं।

घोटाला क्रमांक-15
ट्रांसफर पोस्टिंग घोटाला:-
अपने कार्यकाल में जिस तरह से मुख्यमंत्री जी आपने कलेक्टर, कमिश्नर, एसपी, आईजी और महत्वपूर्ण पदों पर बैठने वाले अधिकारियों के पदों की नीलामी की है वह किसी से छुपा नहीं है। मुख्यमंत्री निवास में रहने वाले आपके परिवारजन और चुनिंदा अधिकारी किस तरह से मलाईदार पदों पर लोगों को पदस्थ करने में भ्रष्टाचार करते थे जनश्रुतियों का हिस्सा है।