भाग्य विधाता, अन्न दाता किसान को भगवान और खुद को पुजारी बताने वाले भेागी और ढोंगी भाजपा सरकार की पोल खुद भाजपा सरकार ने खोल दी। मध्यप्रदेश भाजपा सरकार ने हाल ही में विधानसभा में जो आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया है। उसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि पुरे हिन्दुस्थान में कृषि क्षेत्र में यशस्वी नेता कमलनाथ जी सर्वश्रेष्ठ साबित हुए है।
कांग्रेस नेता अभय दुबे ने बताया कि- भाजपा सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में सदन को बताया कि कृषि फसलों की वार्षिक वृद्धि दर 2019-20 में 7.1 प्रतिशत रही। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान का बहुत बड़ा झूठ भी उजागर हुआ जो वो लगातार कहते रहे है, कि मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर 24 प्रतिशत रही है, इस आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2017-18 में कृषि विकास दर माईनस (-2.2) प्रतिशत और 2018-19 में माईनस (-2.6) रही है। कृषि क्षेत्र में पूरे हिन्दुस्थान के राज्यों में कमलनाथ सरकार की यह सर्वाधिक ग्रोथ रेट है।
इतना ही नहीं, सभी क्षेत्रों में मध्यप्रदेश की विकास दर 2019-20 में भी 7.62 प्रतिशत रही जो पिछले वर्ष भाजपा शासनकाल की 2018-19 में 5.77 प्रतिशत की तुलना में काफी बेहतर रही।
भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से बदहाल और बर्बाद मध्यप्रदेश, कमलनाथ सरकार को सौंपा था। भाजपा सरकार ने लगभग 10 हजार करोड रूपये के भुगतानों को रोककर राजस्व आधिक्य 2018-19 में (रेवन्यु सरप्लस) 137.29 करोड़ रूपये बताया था जो कमलनाथ जी ने 2019-20 में 732.63 करोड़ किया।
कमलनाथ सरकार ने एक तरफ प्रदेश की आय बढ़ाई और दूसरी तरफ समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों को राहत पहुंचाई । भूराजस्व 500 करोड़ से 1000 करोड़ रूपये कर 100 प्रतिशत की वृद्धि की, इसी प्रकार स्टाम्पों एवं पंजीयन में 22.64 प्रतिशत वृद्धि की । राज्य उत्पाद शुल्क में 36 प्रतिशत वृद्धि की। इतना ही नहीं राज्य के खनन राजस्व में 31.51 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि 2019-20 में दर्ज की गई।
कृषि विकास दर की उपलब्धि यह दर्शाती है, कि किसान कर्ज माफी योजना, किसानों को बिजली, देश की सर्वाधिक सस्ती श्रेणी की 44 पैसे प्रति यूनिट, दलित, आदिवासी किसानों को मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं की वजह से भाग्य विधाता अन्न दाता किसान ने प्रदेश की तरक्की में बहुत बड़ा योगदान दिया ।
किसानों के साथ कुठाराघात
शिवराजसिंह चैहान बतौर मुख्यमंत्री आजाद भारत के इतिहास में किसानों के लिए सबसे क्रूर और संवेदनहीन मुख्यमंत्री के रूप में पहचाने जायेंगे । षडयंत्रपूर्वक कमलनाथ सरकार गिराने के बाद शिवराज सिंह चैहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मिलकर प्रदेश के किसानों के साथ बहुत बड़ा षडयंत्र रचा । कमलनाथ सरकार की तुलना में 2020-21 के एग्रीकल्चर बजट में ना सिर्फ 53.64 प्रतिशत बजट में कमी कर दी । अपितु किसानों के हित की बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर ताला भी लगा दिया ।
1. कृषक समृद्धि योजना- इस योजना में किसानों की फसलों पर समर्थन मूल्य के उपर जो प्रोत्साहन राशि निर्धारित की जाती थी उसका प्रावधान किया जाता था । दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इस योजना के तहत शिवराज सरकार ने इस बजट में सिर्फ 3000 रूपये का प्रावधान किया है, जबकि 1 अप्रेल 2020 से कमलनाथ सरकार ने 160 रूपये क्विंटल गेहूं पर प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी जिसमें किसानों के खातों में लगभग 1200 करोड़ रूपये डाले जाने थे । ऐसा प्रतीत होता है कि शिवराज सरकार किसानों को पूर्व घोषित प्रोत्साहन राशि नहीं देना चाहती ।
2. सूरजधारा योजना- शिवराज सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ धोखा करते हुए सूरजधारा योजना में बजट प्रावधान शून्य रखा है । अर्थात ऐसा प्रतीत होता है कि यह योजना समाप्त कर दी गई है । इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 प्रतिशत तक बीज के लिए अनुदान दिया जाता था ।
3. कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी-जहां एक तरफ एग्रीकल्चर सेन्सेस में मध्यप्रदेश देश का वो राज्य है जहां 2011-16 के बीच कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक बढ़ी है, वहीं शिवराज सरकार ने कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी योजना में बजट का प्रावधान शून्य कर दिया है, इस योजना के तहत महिलाओं को सरकारी खर्च पर प्रशिक्षण, नई कृषि तकनीक से अवगत कराना, महिला कृषकों के जीवन स्तर में सुधार इत्यादि सम्मिलित है । ऐसा प्रतीत होता है कि शिवराज और सिंधिया जी ने मिलकर प्रदेश की महिला कृषकों से प्रतिशोध लिया है ।
4. मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना- इस योजना को भी शिवराज जी ने बजट का प्रावधान जीरों करते हुए समाप्त कर दिया है । इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को खेती की नई तकनीक से साक्षात्कार कराया जाता था, कृषि विज्ञान की प्रर्दशनियां तथा कृषि शोध और अनुसंधान संस्थाओं का दौरा तथा किसानों को देश और प्रदेश में खेती की नई तकनीक से अवगत कराने के लिए दौरा कराया जाता था ।
5. अन्नपूर्णा योजना- ऐसा प्रतीत होता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लघु और सीमान्त किसानों से शिवराज सरकार द्वेषतापूर्ण व्यवहार कर रही है । अन्नपूर्णा योजना के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लघु और सीमान्त कृषकों को विपुल उत्पादन देने वाली खाद्यान्न किस्मों के बीज उपलब्ध कराये जाते थे । इस योजना में बजट का प्रावधान जीरो कर दिया गया ।
6. इतना ही नहीं कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन और ट्रेक्टर और कृषि उपकरणों पर अनुदान जैसी योजनाओ ंमें भी बजट का प्रावधान आधा कर दिया।
जय किसान फसल ऋण माफी योजना
आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में हुआ बडा खुलासा- भाजपा सरकार द्वारा विधानसभा में रखे आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में एकसाथ शिवराज सिंह चैहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया को बेनकाब कर दिया। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि प्रदेश में 49.10 लाख किसानों द्वारा ऋण माफी हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किये गए थे, इस योजना के प्रथम चरण में चालू ऋण खाते में राशि 50 हजार रूपये, एवं कालातीत (एन.पी.ए.) ़ऋण खातों पर राशि 2 लाख तक का फसल ऋण माफ किया गया ।
पहला चरण
1. जिसमें चालू ऋण खातों की संख्या 992245 की राशि 2464 करोड रूपये
2. कालातीत (एन.पी.ए.) खातों की संख्या 1030486 की राशि 4690 करोड रूपये़
3. कुल ऋण खातो की संख्या 2022731 की राशि 7154 करोड़ रूपये
उपरोक्त तथ्य में यह संज्ञान में लाया जाना जरूरी है कि एनपीए खातों में बैंकों से 50 प्रतिशत के आधार पर करार किया गया है, अर्थात एनपीए खातों में किसानों का लगभग 9000 करोड़ रूपये ऋण माफ हुआ है ।
दूसरा चरण
1.के लिए बताया गया है कि 1202078 ऋण खातों में राशि 11.675 करोड़ रूपये स्वीकृति संभावित है ।
वहीं मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री जयवर्धनसिंह के एक प्रश्न के जवाब में मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री ने विधानसभा में जवाब दिया हैं कि प्रथम और द्वितीय चरण में 2695381 लाख किसानों का 11646 करोड़ रूपया माफ किया गया ।
जबकि सच्चाई यह है कि कालातीत खातों में बैंकों से 2 लाख रूपये तक के किसानों के ऋण माफी में 50 प्रतिशत परसेटलमेंट किया गया है अर्थात किसानों का वास्तविक कर्ज लगभग 15 हजार करोड़ रूपये माफ हुआ है ।