नई दिल्ली: देश में जिस तरह से विकास हो रहा है उसी तरह से महंगाई भी आसमान छूती नजर आ रही है, वर्तमान में पेट्रोल-डीजल के दामों ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है इतना ही नहीं देश में वित्तीय बजट पेश होने के बाद भी आम आदमी के लिए कोई ख़ास खबर नहीं है उल्टा कई राज्यों में तो पट्रोल की कीमतों ने शतक मार दी है। देश में बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर अपना निशाना साधा हुआ है इसके चलते कई राज्यों में तो प्रदर्शन भी होते नजर आये है।
बता दे कि देश में आसमान छु रहे ईंधन के दामों को लेकर शिवसेना ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर अपना निशाना साधा है। शिवसेना का कहना है वित्त मंत्री ने ईंधन के मूल्यों में तेजी से बढ़ोतरी के मुद्दे को ”धर्मसंकट” बताने की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि अगर वह इसका समाधान नहीं कर सकती हैं इस बात पर शिवसेना का कहना है उन्हें इस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने वित्त मंत्री पर आरोप लगाया है कि “ईंधन दामों के बढ़ने को लेकर मंत्री इस मुद्दे से बचने का प्रयास कर रही हैं, आगे उन्होंने कहां है कि ”आपको ‘धर्म’ के नाम पर वोट मिला, अगर पेट्रोल और डीजल के मूल्य कम करना धर्मसंकट है तो फिर धर्म की राजनीति मत कीजिए।”
साथ ही उनका कहना है कि सरकार की प्राथमिक जवाबदेही लोगों को महंगाई से बचाना है और निर्णय लेते समय उसे बनिया जैसा लाभ एवं हानि का नजरिया नहीं अपनाना चाहिए।
ईंधन के बढ़े दामों के लिए शिवसेना के वरिष्ठ नेता का कहना है कि ”(तत्कालीन) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी संप्रग के शासनकाल में इस तरह की स्थिति से रू-ब-रू होना पड़ा था लेकिन उन्होंने इसका सामना किया और आप बच रहे हैं।”
शिवसेना पार्टी के राज्यसभा सदस्य का कहना है “अगर पेट्रोल और डीजल के उच्च मूल्य ‘धर्मसंकट’ हैं तो सीतारमण को पद पर नहीं रहना चाहिए।” सात ही नेता ने दावा किया कि पड़ोसी श्रीलंका और नेपाल में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 40 फीसदी कम हैं। साथ ही इस विषय पर अहमदाबाद में बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में पूछा गया कि ‘क्या उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र ईंधन के उपकर एवं अन्य करों में कटौती पर विचार कर रहा है तो सीतारमण ने कहा कि इस सवाल ने उन्हें ”धर्मसंकट” में डाल दिया है।