शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर किया शुरू

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इंदौर. लिवर का ढंग से काम करना हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। विगत कुछ वर्षो में बदलती जीवन शैली की वजह से लिवर की बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं, लिवर सिरोसिस उन में से एक है। लिवर सिरोसिस लिवर की लंबे समय चलने वाली बीमारियों में से एक है जो समय के साथ लिवर के लगातार खराब होने से होती है लिवर सिरोसिस के लगभग 10 से 15 लाख नये मरीज़ प्रतिवर्ष भारत में पाए जाते हैं तथा इसमें से लगभग 30000 से 40000 मरीज़ को लिवर प्रत्यारोपण (लिवर ट्रांसप्लांट) की जरूरत पड़ती है। लिवर प्रत्यारोपण अंतिम चरण के लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर से पीड़ित रोगी के लिए एकमात्र विकल्प है। समय पर निदान और इलाज से मृत्यु को रोका जा सकता है।

विश्व लिवर दिवस के अवसर पर, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर ने लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू करने की घोषणा की। सेंटर का नेतृत्व डॉ. निशांत शिव, कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, डॉ. गौरव चौबल एवं डॉ. आदित्य जे नानावटी, ग्लोबल हॉस्पिटल्स, मुंबई, डॉ. इकबाल नबी कुरैशी, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, हेपेटोलॉजिस्ट और एंडोस्कोपिस्ट आदि विशेषज्ञो के साथ करेंगे। शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के लिए बुनियादी ढांचे के साथ विशेषज्ञो टीम मरीज की तेजी से और सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित करेगी। नर्सों की एक विशेषज्ञ और अच्छी तरह से प्रशिक्षित टीम, ऑपरेशन के बाद की देखभाल करने वाले विशेषज्ञ और पैरामेडिक्स लिवर ट्रांसप्लांट के रोगियों की रिकवरी प्रक्रिया में सहायता करेंगे जिससे की बेहतर परिणाम सुनिश्चित होंगे।

डॉ. निशांत शिव, कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा, “विश्व लिवर दिवस के अवसर पर, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर ने लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर शुरू होने पर हमें गर्व हो रहा है। हमारे देश में लगभग 80 से 90% लिवर प्रत्यारोपण लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट होता है जिस में सफलता का प्रतिशत 92 से 95% तक होता है। इस में दाता का लगभग 50 से 60% जिगर का हिस्सा निकालकर ग्रहण कर्ता में लगाया जाता है और इस में डोनर को कोई भी खतरा नहीं होता है और वह एक सामान्य जिंदगी जीता हैl शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, इंदौर में सर्जनों की सबसे अनुभवी और अच्छी तरह से प्रशिक्षित टीम है। अनुमान है कि राज्य में एक वर्ष में औसतन लगभग 300 लोग केडेवरिक लिवर का इंतजार करते हैं। सैकड़ों रोगी अंग दाताओं की प्रतीक्षा करते हैं और अंत में अंग प्राप्त करने में असमर्थता के कारण अपनी जान गंवा देते हैं।”

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डॉ. इकबाल नबी कुरैशी, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, हेपेटोलॉजिस्ट और एंडोस्कोपिस्ट, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा – ‘इस वर्ष (2023) वर्ल्ड लिवर डे की थीम है “सतर्क रहें, लिवर की नियमित जांच कराऐं, फैटी लिवर किसी को भी प्रभावित कर सकता है”। इसलिए हमें अपने लीवर की जाँच नियमित रूप से करवानी चाहिए और ऐसी चीजों से बचना चाहिए जो आपके लिवर को नुकसान पहुचाती हो, जैसे अत्यधिक शराब का सेवन, हेपेटाइटिस बी का वैक्सीन ना लगवाना, असुरक्षित यौन संबंध और ड्रग्स से बचें, आदि। नियमित व्यायाम करें और मोटापे से बचने के लिए एक्सरसाइज या दिनचर्या में सुधार करें ताकि लिवर में चर्बी जमा ना हो।’

लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर के बारे में डॉ. विवेक जोशी, चिकित्सा अधीक्षक, शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा, “गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और लिवर की समस्या वाले सभी मरीज शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में आ सकते हैं और सर्वोत्तम उपचार का लाभ उठा सकते हैं। हमारे यहाँ टीम हॉस्पिटल इंडस्ट्री में प्रचलित सभी नवीनतम डायग्नोस्टिक्स और तकनीकों से लैस है और गंभीर मामलों को संभालने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की पैनल भी है। स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी होने के नाते, हमारा मानना है कि अस्पताल सही बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता के साथ अधिक गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना जारी रखेगा।”

शैल्बी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के “लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट” में निम्नलिखित परामर्श और उपचार उलब्ध है :
• लिवर प्रत्यारोपण
• गॉल ब्लैडर कैंसर
• पित्त की नली का कैंसर
• लिवर कैंसर (एचसीसी / हेपेटो ब्लास्टोमा)
• अग्न्याशय का कैंसर (पेनक्रियाज कैंसर)
• अग्न्याशय में पथरी (क्रोनिक कैल्सीफिकेशन ऑफ़ पेनक्रियाज)
• ताप तिल्ली