इंदौ । हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में जब हम घर लौटते हैं तो मां’ पूछती है बेटा कैसा था आपका दिन ? खाना खाया ? तो ये एक सवाल नही बल्कि अपने आप में पूरी “थेरेपी” है जो हमेशा बिन रुकावट चौबीस घंटे सातो दिन मौजूद है मां हमारे जीवन की सबसे बेस्ट काउंसलर है , इस पूरे जीवन में उनसे बेहतर हमे कोई नही जानता कला के रंग के समापन पर मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी ने यह बात अपने संबोधन में कही। क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी की प्रदर्शनी कला के रंग का समापन रविवार को हुआ । संयोजक दीपक शर्मा ने बताया की इसमें 75 कलाकारों की 151 कलाकृतियां प्रदर्शित की गई थी । समापन पर मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी ने ’ मां ’ हमारी सबसे अच्छी काउंसलर होती है एवं आर्ट एंड मेंटल हेल्थ विषय पर संबोधित किया ।
मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी ने बताया मां हमारे जीवन से सबसे बेस्ट काउंसलर है इस पूरे जीवन में उनसे बेहतर हमे कोई नही जानता । मां से जितना सीखो उतना कम है और जो सीखो तो जीवन के लिए उत्तम है । आपकी माँ आपकी पहली और शायद आपकी सबसे अच्छी परामर्शदाता या काउंसलर हैं । मां , हमारी सबसे बेस्ट काउंसलर है , तो, मां को बताओ कि तुम उससे कितना प्यार करते हो और तुम उसके प्रति कितने आभारी हो । मां सब कुछ ध्यान से सुनती है, भले ही उसका उससे कोई लेना-देना न हो। वह आपकी बाते सुनने के लिए आपको घंटों फोन पर रखेगी ।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि आपको आपकी मां से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। वह एक जासूस की तरह है। वह ठीक-ठीक जानती है कि आप कब खुश हैं और कब नहीं।क्या सब ठीक है बातचीत के लिए आइसब्रेकर होगा जब वह आपको परेशान देखती है और चाहे आप कितनी भी बार जवाब दें, “हां, मैं ठीक हूं”, वह जानती है कि आप ठीक नहीं हैं! जब कोई नहीं होगा तब भी आपकी माँ आपको आशावाद और आशा प्रदान करेगी।
दिन भर काम के बाद या स्कूल कॉलेज से जब आप घर लौटते है तो दरवाजा खोलते ही मुस्कराते हुए आपकी मां जब पूछती है बेटा कैसा था आपका दिन ? खाना खाया ? तो ये एक सवाल नही बल्कि अपने आप में पूरी थेरेपी है जो रोज आपको चौबीस घंटे सातों दिन आपके साथ बिन रुकावट मौजूद है। सूदिंग , कंफर्टिंग, केयरिंग , लविंग , इनक्वायरिंग , रिलैक्सिंग एंड हीलिंग है , ये कोई नही कर सकता मां के अलावा।आपके पैदा होने से लेके तो आज तक जो एक व्यक्ति पूरी तरह समर्पित है आपके लिए ख़ुशिया बटोरने में वह है आपकी माँ एक अच्छे काउंसलर की कुछ खूबियां होती है जो हर मां में बाय डिफॉल्ट रहती है और वही उन्हे बेस्ट काउंसलर का ताज दिलाती है जैसे धैर्य , अच्छा श्रोता और गैर-न्यायिक., भावनात्मक , उत्साहवर्धक , मार्गदर्शन ।
इसी के साथ आर्ट एंड मेंटल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं कि आपको क्रिएटिव बनने के लिए एक्सपर्ट आर्टिस्ट होना पड़े या डिग्रिया लेनी पड़े , आप चाहें तो बिना सीखे भी रंगों या पेंसिल की मदद से कुछ नया बनाने का प्रयास कर सकते हैं। आपका ये प्रयास आपको मानसिक रूप से बहुत सुकून देगा और आप किसी भी परिस्थिति में खुद को अधिक उर्जावान महसूस करेंगे ।
एक शोध में यह पाया गया है कि जो लोग क्रिएटिव चीजों से खुद को जुड़ा रख पाते हैं उनमें स्ट्रेस हार्मोन की जगह हैप्पी हार्मोन्स अधिक ऐक्टिव रहता है जिस वजह से वे हर परिस्थिति में खुद को सकारात्मक बनाकर रख पा रहे हैं । पेंटिंग हमारे दिमाग को शार्प बनाता है एवं इसकी मदद से हम किसी चीज को बेहतर तरीके से विजुअलाइज कर पाते हैं और उसका इंप्लिमेंट कर पाते हैं । यही नहीं, इससे मेमोरी बूस्ट होता है जो लोग राइटिंग, पेंटिंग, ड्रॉइंड आदि आर्ट से जुड़े हैं उन्हें बढ़ती उम्र के बावजूद भूलने की बीमारी नहीं होती ।