धार्मिक उत्सव में सबसे उत्साह वाला त्यौहार गणेशोत्सव का इंतजार हर भक्त को बेसब्री से रहता है। इस बार गणेशोत्सव पर शनिवार से खास संयोग बन रहा है। क्योंकि इस बार भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी शनिवार को है। वहीं गणेश जी का विसर्जन भी डोल ग्यारस को है। जो एकादशी शनिवार को ही है। इस दिन 29 अगस्त है। लेकिन इस बार 1 सितम्बर को गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार, इस साल गणेशोत्सव में काफी शुभ संयोग बन इस बार शनिवार को उत्सव का आरंभ और शनिवार को ही विसर्जन निश्चित ही विशेष योग कारक है।
जैसा कि आप सभी जानते है शनिदेव जनता के कारक है तो भगवान गणपति भक्तों के विघ्नहर्ता है। इन दोनों के संयोग से भक्तों का संताप हरने वाला है। बताया गया है कि घोर कलियुग में भगवान गणेश धूम्रकेतु के रूप में भक्तों के संताप हरेंगे। दरअसल, नीले रंग के घोड़े पर सवार धूम्रकेतु का यह स्वरूप श्रीहरि विष्णु के कल्कि अवतार के अवतार समान है। जिसके चलते भक्तों क संकट को हरने के लिए धूम्रकेतु के देह से नीली ज्वालाएं उठेंगी। वहीं पापियों का विनाश होगा। आपको बता दे, शनिदेव भी नीलवर्णी हैं वह पापियों को दंड देते है। वहीं इस गणेश चतुर्थी को शनिदेव का यह संयोग भी समस्त पाप, दुख और संताप हरने वाला है।
परेशानियों को दूर करने के लिए जरूर पढ़े ये मंत्र –
श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ.
ऊँ वक्रतुण्डाय नम:
श्री महागणपति प्रणव मूलमंत्र: ऊँ गं ऊँ.
महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्.।
ऊँ गं गणपतये नम:।
ऊँ श्री गणेशाय नम:.
ऊँ नमो भगवते गजाननाय.
ऊँ वक्रतुण्डाय हुम्.
श्री गणेशाय नम:
महाकर्णाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्.।
ऊँ श्री गणेशाय नम:
ऊँ गं गणपतये नम:।