नई दिल्ली: आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश के दफ्तर को सूचना का अधिकार के कानून के अंतर्गत लाया जाना चाहिए या नहीं इस पर अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीजीआई दफ्तर सार्वजनिक कार्यालय है, इसलिए यह आरटीआई के दायरे में आएगा.
पांच सदस्यीय पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सीजीआई दफ्तर सार्वजनिक कार्यालय हैं इसलिए यह आरटीआई के दायरे में आएगा. पीठ ने कहा कि सीजीआई दफ्तर सार्वजनिक कार्यालय है.
सीजेआई रंजन गोगोई ने पहले यह कहा था कि “पारदर्शिता के नाम पर एक संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। नवंबर 2007 में आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआई याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से जजों की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी थी जो उन्हें देने से इनकार कर दिया गया.”