कहो तो कह दूँ “दिनई दिन अइयो जइयो, रात में न रुकियो”-चैतन्य भट्ट

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आज से करीब पच्चीस बरस पहले यानि 1996 में एक फिल्म आई थी “यशवंत” हीरो थे “नाना पाटेकर” फिल्म का एक डायलॉग था जो उस वक्त जबरदस्त रूप से मशहूर हुआ. डायलॉग था “साला एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है” अपने मध्य प्रदेश में एक मच्छर ने आदमी को हिजड़ा तो नहीं बनाया हाँ एक बड़े अफसर को सस्पेंड करवा दिया और एक उससे भी बड़े अफसर के दो “इंक्रीमेंट” जरूर रुकवा दिए.

हुआ यूं की अपने मुख्यमंत्री यानि मामाजी सीधी गए थे, रात ज्यादा हो गयी सो उन्होंने सोचा चलो आज की रात यहीं काट लेते हैं ऐसा सोचकर सीधी के सर्किट हाउस में अपना डेरा जमा लिया, पर उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि सर्किट हाउस में कई बरसों से अपना कब्जा जमाये मच्छरों की फ़ौज उन पर टूट पड़ेगी, वैसे इसमें मच्छरों का कोई दोष नहीं था उन्होंने भी अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पहली बार देखा था. “वीवीआईपी” कैसा होता है ये देखने की उनके भीतर भी उत्कंठा थी सो सर्किट हाउस के सारे मच्छरों ने अपने दोस्तों यारों को भी दावत दे दी की आज ‘फीस्ट’ है आ जाओ, देखते ही देखते सीधी के सर्किट हॉउस में मच्छरों का जमावड़ा हो गया, वे रास्ता देख रहे थे कि जैसे ही मामाजी नींद के आगोश में जाए और वे उन पर आक्रमण करे और हुआ भी वही .

मामाजी की आँख भी नहीं लगी थी की चारों तरफ से मच्छर उन पर टूट पड़े मामाजी ने आसपास देखा कि कोई बचाव का साधन है कि नहीं पर वंहा कुछ नहीं मिला, कुछ देर मछरों से युद्ध करते हुए जब मामाजी हार गए तब उन्होंने अफसरों को बुलाया रात में ही मच्छरों के नाश के लिए दवा का छिड़काव किया गया और तब कंहीं जाकर मामाजी सो पाए इधर सैकड़ों मच्छर मामाजी के चक्कर में शहीद हो गए पर इस से ज्यादा दिक्कत तो तब सामने आई जब “ब्रह्म मुहूर्त” में सर्किट हाउस की टंकी “ओवरफ्लो” होकर बहने लगी उसके शोर से मामाजी की नींद खुलनी थी तो खुला गई, फिर अफसरों को बुलवाया गया और टंकी का “वाल्व” बंद किया या भोपाल पंहुचते ही मामाजी ने अफसरों की ऐसी क्लास ली कि कमिशनर साहेब ने बाकायदा एक आदेश निकाल कर पीडब्लूडी के उप यंत्री को सस्पेंड कर दिया और कार्यपालन यंत्री के दो इंक्रीमेंट रोकने के आदेश पारित कर दिए.

वैसे यदि मामाजी मानें तो अपनी मामाजी को एक सलाह है कि आजकल तो बाजार में “ओडोमॉस” के अलावा तरह तरह की “मच्छर नाशक” अगरबत्तियां बाजार में “अवेलेबल” हैं “कछुआ छाप” अगरबत्ती तो अब पुरानी हो गयी अब नए प्रोडक्ट भी बाजार में आ गए हैं जब भी बाहर टूर पर जाओ अपने बैग में ओडोमॉस और ये अगरबत्तियां जरूर डाल लिया करो या परमानेंट बैग में ही पड़े रहने दिया करो, साथ में एकाध मच्छरदानी भी रख लिया करो तो और फायदा होगा, वैसे जब से इन दो अफसरों पर कार्यवाही हुई है तब से हर जिले के सर्किट हॉउस के अफसर हाथ जोड़कर मामाजी से यही गुहार लगा रहे है “दिनई दिन अइयो जइयो, रात में न रुकियो”

“ऐसा स्ट्रिक्ट एक्शन बाप रे बाप”

अपनी मध्य प्रदेश की सरकार और उसके विभागों की कड़ाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ लिए गए आजतक के सबसे बड़े एक्शन को लेकर अपनी छाती गर्व से फूल गयी, अगर ऐसे एक्शन होने लगे तो आदमी सपने में भी भ्रष्टाचार करने के नहीं सोचेगा.आप पूछें ऐसा क्या ऐक्शन ले लिया गया तो हम बतलाये देते हैं, दसअसल “नमामि देवी नर्मदे” योजना के लिए डेढ़ लाख से भी ज्यादा पौधे रोपे गए थे लेकिन जब जांच पड़ताल हुई तो वे पौधे गायब मिले इन पौधों को खरीदने में विभाग ने “पचासी लाख रूपये” खर्च किये थे जाहिर है कि इतनी बड़ी रकम खर्च हुई और पौधों का दूर दूर तक पता नहीं है, बस क्या था उद्यानिकी विभाग के बड़े और ईमानदार अफ़सरों को ये सहन नहीं हुआ कि उनके रहते इतना बड़ा भ्रष्टाचार हो जाए और वे कोई एक्शन भी न लें तत्काल से पेश्तर बेहद कड़ा और “ड्रास्टिक” एक्शन लेकर विभाग के बड़े आला अफसरों ने इसके लिए पूरी तरह से दोषी मानते हुए विभाग के “माली” को सस्पेंड कर दिया अब आप ही बताओ इतना कडा एक्शन और वी भी “माली” जैसे इतने बड़े अधिकारी पर आज से पहले कभी हुआ है क्या? कितनी हिम्मत जुटाई होगी विभाग के अफसरों ने, इधर से उधर फाइल चली होगी सचिव से लेकर मंत्री और मुख्यमंत्री से सलाह मशविरा लिया गया होगा कि हुजूर ‘माली’ जैसी इतनी बड़ी पोस्ट वाले को हम लोग सस्पेंड कर रहे हैं देख लेना, समझ लेना, कंही कोई गड़बड़ न होने पाएl मानते है अपन उद्यानिकी विभाग और उसके अफसरों को, भगवान ऐसे स्ट्रिक्ट और दमदार अफसर हर विभाग को मिलें अपनी तो ईश्वर से यही प्रार्थना है ताकि भ्र्ष्टाचार का अंत हो सके और ‘माली’ जैसी बड़ी पोस्ट के अफसर गड़बड़ी करने से पहले सौ बार सोचें.