Mangla Gauri Vrat 2023: आज से हिंदू सनातन धर्म के पवित्र , पावन और शिव जी के अत्यंत प्रिय माह श्रावण की शुरुआत हो चुकी है। इस साल अधिकमास लगने के कारण सावन 2 महीने से अभिप्राय 59 दिनों का होगा। मंगलवार 4 जुलाई से सावन का आगाज हो गया है। जिसका समापन 31 अगस्त 2023 को होगा।
हिंदू धर्म में सावन महीने का अत्यंत विशेष महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा आराधना और व्रत के लिए विशेष फलदायी होता है। लेकिन इस महीने कई प्रमुख व्रत-त्योहार भी पड़ते हैं। इन्हीं में एक है मंगला गौरी व्रत जोकि सावन के प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगला गौरी अर्थात मां गौरी के लिए रखा जाता है। इस वर्ष मंगला गौरी व्रत के साथ ही सावन माह का आगाज हुआ है।
वहीं आपको बता दे कि मंगला गौरी व्रत को कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं दोनों ही करती हैं। साथ ही ऐसी मान्यता भी है कि इस उपवास को करने से मां मंगला गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे कुंवारी कन्याओं को मनवांछित वर की प्राप्ति होती हैं, एवं सुहागिन स्त्रियों के पतियों की आयु लंबी होती हैं। इस दिन पूजा-व्रत करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है और कुंवारी कन्याओं के विवाह के योग बनते हैं।
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मंगला गौरी व्रत शुभ योग (Mangla Gauri Vrat Shubh Yog)
वहीं सावन के पहले दिन और पहले मंगला गौरी व्रत पर आज शुभ त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में किए व्रत और पूजा-पाठ से तीन गुणा ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। मंगलवार 4 जुलाई दोपहर 01:38 से अगले दिन 5 जुलाई सुबह 05:28 तक यह योग रहेगा। इसके साथ ही आज मंगला गौरी व्रत में मित्र, पद्म, इंद्र और वैधृति जैसे शुभ योग भी बन रहे है।
मंगला गौरी व्रत 2023 तिथि सूची
पहला मंगला गौरी व्रत – 4 जुलाई 2023
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 11 जुलाई 2023
तीसरा मंगला गौरी व्रत -18 जुलाई 2023
चौथा मंगला गौरी व्रत – 25 जुलाई 2023
पांचवा मंगला गौरी व्रत – 1 अगस्त 2023
छठा मंगला गौरी व्रत – 8 अगस्त 2023
सातवा मंगला गौरी व्रत – 15 अगस्त 2023
आठवां मंगला गौरी व्रत – 22 अगस्त 2023
नौवां मंगला गौरी व्रत – 29 अगस्त 2023
मंगला गौरी व्रत की सही पूजन विधि
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
- अब इस पर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें।
- आटे का दीप जलाते हुए उपवास का प्रण लें।
- फल, फूल, धूप और नैवेद्य से मां गौरी अर्थात देवी पार्वती की पूजा करें।
- पूजा के समय सुहाग की सामग्री, माला, फूल, फल, मिठाई सहित 16 सामग्री अर्पित करें।
- आरती के साथ पूजा का समापन करें और क्षमा याचना अवश्य ही करें।