Sawan 2021: बैजनाथ महादेव मंदिर के निर्माण से जुड़ा है ये बड़ा रहस्य

Ayushi
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बैजनाथ महादेव मंदिर आगर जिला मुख्यालय से 4 किमी दूर इंदौर-कोटा हाईवे पर है। यहां दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इंदौर,उज्जैन शाजापुर के अलावा राजस्थान से भी भक्त आते हैं। आपको बता दे, ज्योतिर्लिंगों के अलावा देश के गिने-चुने प्राचीन शिवालयों के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर सावन के आखिरी सोमवार वाले दिन भोलेनाथ की शाही सवारी निकाली जाती है। इसके साथ ही मंदिर में अखंड रामायण पाठ 48 सालों से जारी है। तीर्थ के रूप में विकसित करने की कोशिश जारी है।

बता दे, यहां का शिवलिंग करीब हजार वर्ष पुराना है। दरअसल, 16वीं शताब्दी में मठ के रूप में था। उसके बाद शिवालय बना। 1883 में मठ के स्थान पर कलात्मक शिखरयुक्त आकर्षक मंदिर बनाया गया। ऐसे में इस दौरान यहां अंग्रेजों की छावनी थी। कर्नल मार्टिन की अगुवाई में मंदिर का निर्माण हुआ था।मान्यताओं के अनुसार, यहां आम दिनों में अलसुबह से ही भक्त पूजा-अर्चना के लिए पहुंच जाते हैं। लेकिन भक्त गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन करते हैं। सावन में ऐसा पहली बार होगा जब कोरोना की वजह से भक्त शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ा पा रहे हैं। श्रावण सेामवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

इसको लेकर नवनीत पालीवाल, नियमित भक्त ने बताया कि मैं करीब 60 वर्षों से बाबा के दर्शन के लिए नियमित आता रहा हूं। बाबा का प्रतिदिन शाम और श्रावण में हर सोमवार को विशेष श्रृंगार किया जाता है। स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। वहीं पं. सुरेंद्र शास्त्री ने बताया कि बाबा बैजनाथ का स्थान कई मायनों में विशेष है। यहां से जुड़े परम भक्त वैराग्य धारण कर छोटे बापजी के रूप में प्रसिद्ध हुए स्व.जयनारायण शर्मा की प्रतिमा की पूजा भी सभा मंडप में की जाती है। अन्य प्रांतों के साथ ही विदेशी भी यहां आते हैं।