इंदौर : पं बद्रीप्रसाद जी पुजारी ज्योतिष संस्थान✌ संस्थापक स्व. पंराधेश्याम जी शर्मा द्वारा बताया गया है कि शिव भक्त विशेष ध्यान दे। भगवान पर अर्पण पुष्प व समस्त पूजा सामग्री जो पूजा के बाद शिरोधार्य करके उतारे जाती है उसे निर्माल्य कहते है। शिव पूजन से बड़ा महत्व पूजन के बाद शिव जी पर अर्पण होने वाले जल दूध बिल्वपत्र पुष्प माला व अन्य अर्पण वस्तुओ का सुव्यवस्थित विसर्जन होना जिसे निर्माल्य कहते है। विगत कुछ वर्षोसे हम 90% शिव मंदिरो मे तीर्थो मे देख रहे है कि शिवजी पर अर्पण होने वाला जल दूध या तो गंदी नालियो मे जा रहा हे ।
पुष्प बिल्वपत्र गंदे कचरे मे जा रहे हे या इधर-उधर बिखरकर पैर मे आते है। शिव निर्माल्य पर गलती से भी पेर लग जाये या उसका अपमान किसी से हो जाये तो उसकी समस्त सिद्धि शक्ति तप पुण्य उसी समय पूर्ण नष्ट हो जाते हे । उसे कष्टो का सामना करना पड़ता है। प्रयाचित करना पड़ता है। श्री पुष्पदंत जी जो कि शिवजी के उपासक है उनसे एक बार गलती से शिव जी के निर्माल्य पर गलती से पैर लग गया था उसी समय उनकी समस्त शक्ति भक्ति पुण्य सिद्धि नष्ट हो गई थी।
उसी समय उन्होंने शिव महिम्न स्रोत की रचना करके पाठ किया। पुन उन्हे शिव कृपा प्राप्त हुई। इसलिए शिव निर्माल्य का हमे विचार करना चाहिए। तीर्थ ज्योतिर्लिंग हो हम देखते है प्रवेश द्वार से ही पत्र पुष्प बिखरा रहता हे पैरो मे आता है। वहां के व्यवस्थापकों इस विषय पर गहन चिंतन करना चहिए। नहीं तो इसका कुप्रभाव सभी पर पडेगा। बहुत से भक्त व मंदिर पुजारी तो शिव निर्माल्य को कचरा वाहन मे भी फेक रहे है। शहर के गंदे नाले मे छोड़ रहे है। सभी शिव भक्तो को अपने क्षेत्र के शिव मंदिर के निर्माल्य के लिए आगे आये।
1) शिवजी से आने वाले जल को मंदिर परिसर या उसके आसपास 5 या 10 फीट बोरिंग जैसा गड्ढा करकर शिव जी पर अर्पण होने जल का निकास उसमें करें।
2) शिवजी पर अर्पण पत्र पुष्प को नदी तालाब सरोवर कुआ को दूषित न करते हुए या तो आज की पद्धति से खाद बनाये या गड्ढा खोदकर उसमे डाले जो कि स्वत खाद बन जायेगा। जो निर्माल्य नदी तालाब सरोवर कुआ आदि मे दूषित न करे वह निर्माल्य ही पानी मे छोड़े।
3) शिव भक्तो से विशेष आग्रह है कि इस श्रावण मास पर शिव निर्माल्य का दोष न हो इसी कदम मै अपने आसपास के शिवालय मे यह व्यवस्था करे । यही श्रावण मास पर शिवजी की सबसे बड़ी सेवा होगी । हमे सभी देवी-देवताओ की पूजन हवन अनुष्ठान मे घर मे प्रतिदिन पूजन के निर्माल्य का ध्यान रखना चाहिये । नही तो सम्पूर्ण पूजन शून्य है ।
विसर्जितस्य देवस्य गंधपुष्पनिवेदनम् ।
निर्माल्यं तदविजानीयाद् वर्ज्यं वस्त्रविभूषणम् ।
अर्पयित्वा तु ते भूयश्चंडेशाय निवेदयेत् ।।
स्कंद पुराण के अनुसार शिवलिंग पर समर्पित पत्र, पुष्प, जल एवं नैवेद्य को ग्रहण नही करना चाहिए हैं।सिर्फ भूमि, वस्त्र, आभूषण, सोना-चांदी, तांबा छोड़कर सभी वस्तुऐ फल जलादि निर्माल्य होता है। उसे कुएं में डाल देना चाहिए, शिव निर्माल्य पर महादेव के चंड नामक गण का चंडाधिकार होता है, अगर शिव नैवेध ( प्रसाद भोग ) लेना हो तो को शालिग्राम जी स्पर्श करके प्रसाद ग्रहण करे ।
मंदिर पुजारी पं राजाराम शर्मा 9826057023