नितिनमोहन शर्मा
देश मे शायद ही ऐसा कोई बस अड्डा और रेलवे स्टेशन होगा जहां रात को आने जाने वाले मुसाफिरो को दाल रोटी तो दूर, चाय-पानी तक नसीब न हो। प्यास लग जाये तो पानी की बोतल तक नही मिले। भूख लगे तो कोई भोजनालय खुला नही। बच्चो के लिए दूध भी नही। बस बस से उतरो ओर रात के सन्नाटे के हवाले हो जाओ। साथ मे महिला हो या बच्चे, डरते रहो। भयावह वातावरण। सब दुकानें बंद। एकमात्र ऑटो रिक्शा स्टैंड हिम्मत बन्धाता है लेकिन कब तक? जब कोई सुविधा ही नही तो, रात पाली वाले ऑटो भी चल देते है वहा, जहा रतजगे के लिए कम से कम दो घुट चाय मिल जाए और पीने का पानी। रेलवे स्टेशन के बाहर भी हूबहू ये ही सन्नाटा वाला नजारा।
ये हाल है स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले इन्दौर के सरवटे बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन का। देश दुनिया के किसी भी शहर में जाओ, सब तरफ भले ही बन्द हो लेकिन रात में बस अड्डा ओर रेलवे स्टेशन पर रौनक रहती है। ताकि बाहर से आने जाने वाले यात्रियों को कोई परेशानी न हो। यहाँ एकदम उलटा है। रात की 11 बजते ही सरवटे बस स्टैंड क्षेत्र में ऐसा पुलिसिया डंडा चलना शुरू होता हैं, जैसे अगले चोराहे पर दंगा हो गया हो।
डंडे का जोर बीआरटीएस पर चल नही सकता तो सारा जोर बस अड्डे इलाके पर निकल रहा है। उस तरफ रसूखदार है। इस तरफ सामान्यजन। तरफ ऐशमौज के लिए रात रोशन की जा रही है तो उस तरफ जरूरतमंद मुसाफ़िर जरूरत इतना पानी चाय भी नही ले पाता। भोजनालय तो दूर की बात, रात में इंदौर आने वाला पानी की बोतल तक को तरस जाता है। दुकानें ऐसी बन्द करवाई जाती है जैसे कर्फ़्यू लग गया हो।
ये सिलसिला 4-5 साल से चल रहा है। पहले नया बस अड्डा के नाम से पूरा इलाका 2 साल से भी ज्यादा समय उजाड़ पड़ा रहा। बसों का संचालन नही होने से सरवटे और रेलवे स्टेशन क्षेत्र का करोड़ो का व्यापार पूरी तरह जमीदोज हो गया। बाद के 2 साल कोरोना निगल गया। अब जबकि नया बस स्टैंड बना तो क्षेत्र के व्यापार की आस उम्मीद जाग उठी लेकिन पुलिस प्रशासन की सख्ती ने इस क्षेत्र के व्यापार और व्यापारियों की कमर तोड़ दी है।
शहर के एक हिस्से को नाईट लाइफ की ” सौगात ” देने वाले जिम्मेदारो के जेहन में बस स्टैंड ओर रेलवे स्टेशन आये ही नही। 500 से ज्यादा बसों की आवाजाही वाले सरवटे बस स्टैंड ओर उससे लगे रेलवे स्टेशन की एक एक दुकान रात में चल नही सकती। जबकि शहर को शर्मसार करती नंगाई ओर घटनाएं तो उसी हिस्से में हो रही है जिसे नाईट लाइफ के तहत पूरी रात खोला गया है। दूसरी तरफ सरवटे बस स्टैंड रेलवे स्टेशन है जहां यात्री रात 11-12 बजे से सुबह 5 बजे तक परेशान होते हैं चाय नाश्ता और पानी के लिए।
व्यापारी कहते है कि दुकानें ऐसी बन्द कराई जाती है जैसे हम कोई आतंकवादी है व्यापारी नहीं।अधिकारी सरवटे बस स्टैंड को खत्म करना चाहते हैं। लॉकडाउन के पहले 24 घंटा अबाद रहने वाला सरवटे बस स्टैंड 12 बजे पूरा सन्नाटे डूबा दिया जाता है। बस स्टैंड रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए ना कोई लाइट की व्यवस्था है। बस से उतरता है यात्री तो उसको रेलवे स्टेशन का रास्ता नहीं दिखता ओर रेलवे स्टेशन से उतरता है तो बस स्टैंड का रास्ता नहीं दिखता। कई बार स्थानीय विधायक आकाश विजयवर्गीय और सांसद शंकर लालवानी से भी व्यापारी गुहार लगा चुके हैं मगर कोई सुनवाई नहीं होती है। भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को भी ब्यापारी दुखड़ा सुना चुके है।
एसोसिएशन- मुख्यमंत्री …हम पर रहम कीजिये
मुख्यमंत्री जी हम पर रहम कीजिये। इतनी राहत दी जाए कि जैसे पहले बस स्टैंड रेलवे स्टेशन खुला रहता था वैसे खुला रहे। यहां पर कोई विवाद नही होता है ना किसी प्रकार की नशाखोरी। लड़का लड़की नशा करके उत्पात भी नही मचाते हैं। सरवटे बस स्टैंड रेलवे स्टेशन इतने सालों में कभी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, कभी भी किसी लड़की को नशा करके बस स्टैंड के बाहर रेलवे स्टेशन के बाहर किसी भी प्रकार का हंगामा करते आज तक नही देखा। मुख्यमंत्री जी हम व्यापारी एसोसिएशन आप से अपील करते है कि रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड के सामने की दुकानों को खोला जाए।
हम चरस गांजा बेच रहे है क्या – यादव
बस स्टैंड व्यापारी एसोसिएशन के प्रतिनिधि सोनू यादव का कहना है कि रोज दुकानदारों को पुलिसिया दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है जैसे हम चरस गांजा बेच रहे हैं। 5 साल में यहां का व्यापार 25 फीसदी भी नही रहा। ऐसा ही रहा तो बस स्टैंड क्षेत्र का पूरा हिस्सा उजाड़ हो जाएगा। बस स्टेंड रेलवे स्टेशन के आसपास कमाई का जरिया भोजन पानी चाय पान ही होता है। अब हम सबका धैर्य जवाब दे गया है। समस्या का निराकरण नही होता है तो क्षेत्र के व्यापारी आंदोलन की राह पकड़ेंगे।