मंदिर प्रसाशन द्वारा तिरुपति बालाजी के लड्डू में मिलावट का मामला सामने आने के बाद घी के टेंडर और उसकी खरीद प्रक्रिया पर बड़ा सवाल उठ रहा है? इस बीच लेकिन बड़ा सवाल ये है कि की दो महीने पुरानी जिस रिपोर्ट को लेकर यह पूरा बवाल मचा हुआ है। कंपनी के टेंडर को उसकी जानकारी के बाद भी तत्काल रद्द नहीं किया गया। क्यों आज तक भी भक्तों को उसी कंपनी से आ रहे घी में बने लड्डू प्रसाद दिए जा रहे हैं?
कर्नाटक नंदिनी कंपनी ने घी के टेंडर के लिए एल-1 के तौर पर अपने नये दाम कोट किए वहीं एल-2 के तौर पर दिल्ली अल्फा कंपनी सामने थी। 530 रूपये प्रति किलो की दर से सबसे पहले अल्फा कंपनी ने घी के दाम कोट किए वहीं कर्नाटक के सीएम सिद्दरामेय्या से बात के बाद डेयरी कंपनी ने भी नियमानुसार हर 6 महीने में होने वाली निविदा में भाग लेते हुए अपने नये दामों में थोड़ा कमी करते हुए पुराने दाम से महज 20 रूपये ज्यादा कोट करते हुए 475 रुपये किलो में गाय का घी देने की पेशकश कर दी।
सीवीसी नियमों के अनुसार दर कम करने वाली पुरानी और विश्वसनीय एल-1 को ही ठेका देना चाहिए था। जगन रेड्डी की सरकार में अब उसी अल्फा कंपनी के घी की लैब जांच में गोमांस होने की पुष्टि हुई है। जबकि कई लैब जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है की गाय के घी में नंदिनी ब्रांड का गुणवत्ता में इसे मात करने वाली कोई कंपनी नहीं है।