नई दिल्ली: भाजपा ने एक बार फिर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है । राज्य में शनिवार से शुरू हुआ सत्ता का उठापटक ने अपनी रफ्तार और तेज पकड़ हो गई है । राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार रात से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं । यानी पायलट भाजपा की ‘छत्रछाया’ में पहुंच चुके हैं । यही नहीं उनके साथ कम से कम 15 विधायक भी मौजूद हैं ।
भाजपा के इस सत्ता परिवर्तन के प्लान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस कदर तिलमिलाए हुए हैं कि रविवार सुबह से ही अपने विधायकों को संभालने और भारतीय जनता पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या करने जैसे आरोप लगा रहे हैं। हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि सचिन पायलट दिल्ली में भाजपा के किस बड़े नेताओं के संपर्क में है ।
दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि सचिन पायलट और गहलोत के बीच चली आ रही तनातनी को लेकर वह कांग्रेसी आलाकमान से मिलने राजधानी गए हुए हैं । हम आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस समय दिल्ली में मौजूद हैं । इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा आलाकमान ने सचिन पायलट को अपने खेमे में मिलाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह जिम्मेदारी सौंपी हो ।
गौरतलब है कि सिंधिया और पायलट की गहरी दोस्ती है । भले ही सिंधिया भाजपा में आ गए हैं लेकिन दोनों के बीच पुराने रिश्ते आज भी बरकरार है । इन चर्चाओं को तब और बल मिला जब शनिवार रात गहलोत की बुलाई बैठक में उनके समर्थक कई मंत्री शामिल नहीं हुए। पूरे सियासी घटनाक्रम पर पायलट की तरफ से अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है। दूसरी ओर भाजपा के कुछ नेताओं ने इसे कांग्रेस और सचिन और गहलोत के बीच अंदरूनी खींचतान का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है । लेकिन बीजेपी राजस्थान की सत्ता में अपने मोहरे भी फिट करने में लगी हुई है ।
बगावती नेताओं को अपने पाले में करना और सत्ता पलट में भाजपा को है महाराथ—
कांग्रेस की सरकार पलटने और असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में मिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने महारथ हासिल कर लिया है । भाजपा संगठन में एक तंत्र ऐसा भी है, जो जिन राज्यों में कांग्रेस सरकार है या अन्य दलों की है वहां दिन-रात निगाहें लगाए रहता है । वह इस बात पर ज्यादा ध्यान देता है कि कौन नेता बगावत कर सकता है और कौन हमारे पाले में आ सकता है ।
इसके बाद भाजपा का यह तंत्र बाकायदा पूरी रिपोर्ट तैयार करके पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भेजता है । उसके बाद शुरू होती है ‘भीतर की राजनीति’ यानी सत्ता पलट का खेल । अगर भाजपा को किसी की सरकार गिरानी है या बगावती नेता को अपने पक्ष में करना है तो उसे कोई जल्दी नहीं रहती है, धीरे-धीरे करके वह आगे कदम बढ़ाती है ।
भाजपा की कांग्रेस सरकार गिराने की यह जो धीरे-धीरे विचारधारा है इसलिए कही जा सकती है क्योंकि आज के लोकतंत्र में वह अपने आप को राजनीति में स्वच्छ छवि भी बनाए रखना चाहती है । यह प्रयोग भाजपा अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, गोवा, कर्नाटक और हाल में ही मध्यप्रदेश में कर चुकी है । अब वह राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार को गिराने में जुट गई है । बीजेपी के सरकार गिराने के ‘राजनीतिक हथकंडे’ इतने इतने गहरे होते हैं कि देश की जनता कई मामलों में कांग्रेस की ही गलती मानने को बाध्य हो जाती है ।
फिलहाल, भाजपा इसे गहलोत और पायलट के बीच खींचतान का मामला बता रही है—
भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार से मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराई थी वह राजस्थान में उन हालातों को पैदा होना नहीं देना चाहती है । भाजपा के शीर्ष नेता जो गहलोत सरकार के सत्ता को हिलाने में लगे हुए हैं वह चाहते हैं कि कांग्रेस की आपसी खींचतान के बाद ही सरकार अल्पमत में आ जाए बाकी काम फिर हम कर लेंगे ।
रविवार को एक चैनल से बात करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम माथुर ने इसे कांग्रेस के आपसी खींचतान का मामला बताकर जनता का ध्यान डायवर्ट कर दिया है । अशोक गहलोत बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर अपनी सरकार गिराने की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं, तो बीजेपी ठीक वैसे ही इसे कांग्रेस की आपसी खींचतान बता रही है, जैसे 4-5 महीने पहले मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर बोल रही थी। बीजेपी इसे कांग्रेस की आपसी गुटबंदी से ध्यान भटकाने की कवायद करार दे रही है ।
2018 विधानसभा चुनाव के वक्त सिंधिया और पायलट दोनों ही मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार थे। लेकिन बाजी हाथ लगी थी कमलनाथ और गहलोत के नाम। तभी से सिंधिया कमलनाथ से तो सचिन पायलट गहलोत से नाराज चल रहे थे, लेकिन सिंधिया ने तो कमलनाथ को सत्ता से बेदखल करके उसका बदला ले लिया है । अब सचिन पायलट की बारी है।
40 मिनट तक हुई ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की मुलाकात
सचिन पायलट के समर्थन में ट्वीट कर चुके हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया
राजस्थान में गहराते राजनीतिक संकट के बीच सूबे के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की है. दोनों नेताओं की ये मुलाकात दिल्ली में हुई है. 40 मिनट तक चली ये मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया के आवास पर हुई।