नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन को सबसे पहले बनाने का दावा वाले रुस को अब अपनी ही वैक्सीन पर भरोसा नहीं रहा है। दरअसल बीते कई दिनों से रुस की इस वैक्सीन पर दुनियाभर से कई देशों ने सवाल उठाए हैं।
इस वैक्सीन को लेकर रूस की तरफ से दावा किया गया था कि ये लोगों में एंटीबॉडीज बनाने में सफल रही है और इसे जल्द ही आम लोगों को दिया जाएगा। लेकिन इतने दिन गुजर जाने के बाद भी यहां वैक्सीनेशन की प्रक्रिया बहुत धीमी है और पर्याप्त मात्रा में इसकी डोज भी नहीं तैयार की जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क्लिनिकल ट्रायल के अलावा अभी बड़ी आबादी को ये वैक्सीन नहीं दी गई है। हालांकि अब तक रुस ने इस बात को साफ नहीं किया है कि वैक्सीन को जल्द से जल्द लोगों तक ना पहुंचाने का क्या कारण है। इससे पहले खबर आ रही थी कि रूस की वैक्सीन लेने वाले हर 7 में से 1 वॉलंटियर में इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं।
इस बात का खुलासा खुद रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने किया है। बता दें कि रुस की इस वैक्सीन के डोज जल्द ही भारत भी आने वाले हैं। ऐसे में वैैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आने के बाद अब दुनिया को कोरोना से मुक्ति पाने के लिए ओर इंतजार करना पड़ सकता है।
विदेशी मीडिया के अनुसार रुस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि वैक्सीन लेने वाले करीब 14 फीसदी लोगों में इसके साइड इफेक्ट देखे गए हैं। कोरोना वैक्सीन लेने वाले एक शख्स ने बताया कि डोज लेने के बाद उसे कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द जैसी शिकायत मिली है। लेकिन यह तकलीफ अगले दिन ठीक हो जाती है।