यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, और सोमवार को यह मामला शीर्ष अदालतों में उठ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें पीथमपुर में कचरा जलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है। वहीं, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में राज्य सरकार अब तक की प्रगति रिपोर्ट पेश करेगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि कचरा भोपाल से पीथमपुर शिफ्ट करने की प्रक्रिया में क्या प्रगति हुई है। कचरा जलाने का विरोध बढ़ता देख, राज्य सरकार हाईकोर्ट से कुछ समय विस्तार की मांग कर सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सीएस अनुराग जैन ने कहा है कि जनता की राय लेकर कचरा जलाने के लिए कोर्ट से समय मांगा जाएगा।
इस बीच, एनजीटी में भी एक याचिका दायर की गई है, जिसमें प्रदेश के मुख्य सचिव से यह लिखित आश्वासन देने की मांग की गई है कि कचरा जलाने से पीथमपुर के निवासियों को कोई नुकसान नहीं होगा। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि कचरा पीथमपुर लाने से पहले वहां के लोगों से कोई सहमति नहीं ली गई थी और उन्हें रेडिएशन का खतरा हो सकता है, जबकि पीथमपुर में ऐसे खतरों से निपटने के लिए उचित चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
मप्र सरकार कचरा जलाने के लिए करेगी समय की मांग
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि कचरे के निपटारे को लेकर लोगों में फैल रही गलतफहमियों को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कचरे के निपटारे से किसी को भी कोई खतरा नहीं होगा, यह कार्य वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में किया जाएगा। सरकार अब तक कोर्ट के निर्देशों का पालन करती रही है और जनविरोध को ध्यान में रखते हुए कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। वर्तमान में कचरा पीथमपुर में डंप किया गया है, जबकि हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने का निर्देश दिया था। सोमवार को पेश होने वाली प्रगति रिपोर्ट में सरकार कचरे के निष्पादन के लिए कुछ समय की मांग करेगी। कचरा जलाने का निर्णय केवल आम सहमति के बाद लिया जाएगा।
एनजीटी में कचरे को लेकर दायर की गई याचिका
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल पीठ में जहरीले कचरे के निपटारे को लेकर एक याचिका दायर की गई है। याचिका में सरकार से यह आश्वासन मांगा गया है कि कचरा जलाने से आसपास के लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह याचिका जबलपुर स्थित नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच द्वारा दायर की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता ने सरकार से यह निर्देश देने की मांग की है कि वह कचरे को जलाने को लेकर जनता की चिंताओं को दूर करे। इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट मीडिया में प्रकाशित की जाए और साथ ही प्रदेश सरकार के अधिकारियों से यह शपथ पत्र लिया जाए कि कचरा जलाने से स्थानीय निवासियों को कोई हानि नहीं होगी। संगठन ने अपनी याचिका में यह भी बताया कि यूनियन कार्बाइड के 1984 के हादसे में हजारों लोग मारे गए थे और आज भी प्रभावित लोग उस त्रासदी के प्रभावों से जूझ रहे हैं।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर कचरा भेजा गया पीथमपुर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा दो से तीन जनवरी की रात को भोपाल से पीथमपुर भेजा गया था। इसके बाद, पीथमपुर में कचरा जलाने को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसमें दो लोगों ने आत्मदाह की कोशिश की, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, पुलिस पर भी पथराव किया गया। अब प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कचरा जलाने की प्रक्रिया केवल लोगों की सहमति से ही की जाएगी।