आंखों के करीब से स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों में स्क्विंट आंखें या भेंगापन का खतरा – डॉ.अमित सोलंकी

Deepak Meena
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इंदौर. बच्चो के बढ़ते स्क्रीन टाइम की वजह से स्क्विंट आई या आँखों के तिरछेपन विषय पर क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा शांति आई टेक के सभागार में पालकों से आई स्पेशलिस्ट डॉ अमित सोलंकी ने परिचर्चा की। आई सर्जन डॉ अमित सोलंकी के बताया लंबे समय तक आंखों के बहुत करीब स्मार्टफोन का उपयोग करने की आदत से स्क्विंट आंखें या भेंगापन का खतरा बढ़ सकता है। कम समय में, स्मार्ट मोबाइल तकनीक ने भारत सहित वैश्विक स्तर पर समाज में महत्वपूर्ण रूप से प्रवेश किया है।कुछ समय पहले एक रिसर्च के अनुसार कोरोनाकाल से पहले और कोरोनाकाल के बाद में मोबाइल की बढ़ती हुई आदत के कारण बच्चो की आंखे का भेंगापन 40 परसेंट तक बढ़ा है एवं 18 परसेंट से ज्यादा बच्चो की आंखे काफी कमजोर हुई है साथ ही 30 परसेंट से ज्यादा लोगो की आंखे स्क्रीन की वजह से सूख या ड्राई हो गई है और यह वो डाटा है जिन्होंने समय पर आंखे चेक कराई है जबकि असल पर्सेंटेज इससे काफी ज्यादा है।

डॉ अमित सोलंकी ने बताया लंबे समय तक मोबाइल के पास लगातार रहने की ऐसी आदत, विशेष रूप से आंखों के करीब स्मार्टफोन का उपयोग करने से स्क्विंट आई यानी एक्यूट एक्वायर्ड कॉमिटेंट ईसोट्रोपिया एएसीई , का खतरा बढ़ सकता है। माता-पिता और पब्लिक हेल्थ अथॉरिटीज को युवा आबादी के नेत्र स्वास्थ्य पर इस नकारात्मक प्रभाव पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। आज का समाज स्मार्टफोन या स्क्रीन टाइम की लत जैसी संभावित गंभीर सामाजिक समस्याओं से जुड़ा है। इसके अलावा, किशोरों और उनके ट्वेंटीज के व्यक्तियों में तीसवें और चालीसवें वर्ष की तुलना में स्मार्टफोन की लत की दर अधिक दिखाई देती है स्मार्टफोन की लत अत्यधिक नजदीकी काम में एक प्रमुख योगदानकर्ता है क्योंकि स्मार्टफोन हमारे दैनिक जीवन की अधिकांश गतिविधियों से निकटता से जुड़ा हुआ है जैसे मोबाइल फोन के रूप में कार्य करना, इंटरनेट एक्सेस के साथ पोर्टेबल कंप्यूटर, एमपी3 या वीडियो प्लेयर एवं बहुत से लोग अपने स्मार्टफोन को टटोलते हुए काफी समय बिताते हैं।

स्क्विंट आई के लक्षण पूरे समय भी रह सकते हैं और आते-जाते भी हो सकते हैं जैसे देखने में मुश्किल होना, ऑंखें क्रॉस दिशा में दिखना, तिरछी आँखें होना, दोहरी दृष्टि होना, आँखों का एक साथ न घूम पाना, आंखे जो एक दिशा की और अपना लक्ष्य तय न कर पायें, दृष्टि की या गहराई के अनुमान लगाने में हानि। कुछ सलाह एवं सुझाव देते हुए उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई की तरह ई-लर्निंग की अवधि को कम करना,स्क्रीन समय के कुल घंटों की संख्या कम करना, छोटी स्क्रीन की जगह वाइडस्क्रीन जैसे टेलीविजन, डेस्कटॉप आदि पर शिफ्ट होना, लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करते समय बार-बार ब्रेक लेना, हाइड्रेटेड रहे, कम से कम ढाई लीटर पानी रोज पिएं स्वस्थ जीवन शैली की आदतों को बढ़ावा देना, जैसे आउटडोर खेल को बढ़ाना, ऑनलाइन की जगह अपनो से बैठ कर बाते करना।