स्वामित्व योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राजस्व विभाग की कार्यशाला आयोजित

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इंदौर 26 अक्टूबर, 2021
कलेक्टर श्री मनीष सिंह के मार्गदर्शन में मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में स्वामित्व योजना के प्रभावी क्रियान्वयन तथा योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी का सर्वेक्षण कर अधिकार अलिलेखो के निर्माण के लिये आबादी सर्वे प्रक्रिया के संबंध में राजस्व विभाग की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में जिले के सभी एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे। कार्यशाला में एमपीजीडीसी जबलपुर द्वारा स्वामित्व योजना के संबंध में विस्तृत प्रेजेन्टेशन दिया गया। इस दौरान एसएएआरए पोर्टल, आबादी भूमि की सर्वे प्रक्रिया, आबादी सर्वे से ग्रामवासियों को होने वाले लाभ आदि के बारे में उपस्थित अधिकारियों को जानकारी दी गयी।

उल्लेखनीय है कि ‘स्वामित्व योजना’ भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की एक योजना है, जिसमें नोडल राजस्व विभाग है। योजना क्रियान्वयव का विभागीय दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग का है। इसमें मध्यप्रदेश को पायलट राज्य के रूप में शामिल किया गया है। योजना के अंतर्गत म.प्र.भू.रा.संहिता की धारा 107 (1) (ख) के अंतर्गत कार्यवाही की जाना है। सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा वर्तमान उपलब्ध नक्शों को प्राप्त कर ड्रोन के माध्यम से इमेजरी तैयार कर प्रारूप नक्शा तैयार किया जायेगा। ड्रोन के उड़ान भरने के लिये खुले स्थान का चयन किया जायेगा, जिससे आमजन या सार्वजनिक संपत्तियों को कोई नुकसान न पहुंचे। सेटेलाइट इमेज को आबादी भूमि की सीमा पर सुपर इंपोज कर नक्शे की इमेज बनाई जायेगी। ड्रोन द्वारा निर्मित प्रारूप नक्शा संपत्ति धारक की जानकारी से लिंक करने हेतु सर्व सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जायेगा। नक्शों को सुधार के लिये पुन: राजस्व विभाग को दिया जायेगा। नक्शे का अंतिम प्रकाशन विभाग करेगा।

आबादी सर्वे से ग्रामवासियों को कई लाभ होंगे। ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख होगा, प्रत्येक संपत्ति धारक को उसकी संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र मिलेगा, संपत्तियों पर बैंक से ऋण लेना आसान होगा, संपत्तियों के पारिवारिक विभाजन, संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया सुगम होगी और पारिवारिक सम्पत्ति के विवाद कम होंगे। इससे ग्राम पंचायतों को भी लाभ होगा, जैसे संपत्ति शुल्क के रूप में पंचायत को स्थानीय आय के साधन प्राप्त होंगे, पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधा होगी, शासकीय एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा एवं रख रखाव आसान होगा, संपत्ति सम्बंधित विवादों में कमी आयेगी और संपत्ति के नामांतरण एवं बटवारा का प्रत्यक्ष अधिकार मिलेगा।