IT के उपयोग से राजस्व विभाग ने सेवाओं को बनाया और अधिक सुगम

Shivani Rathore
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भोपाल : एक किसान के लिए उसकी जमीन ही उसकी माँ है और बाप भी। वो अपनी जमीन के लिए ही जीता है और उसी के लिए मरता भी है परंतु किसान को अपनी जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए सिस्टम के ‘चक्रव्यूह’ से होकर गुजरना पड़ता है। उसका सारा जीवन पटवारी शब्द के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता था। कभी सीमांकन के लिए, कभी खसरे की नकल के लिए तो कभी किसी ओर कागज की पूर्ति के लिए।

अन्नदाता को अन्नदाता से कराया परिचय
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, जो स्वयं एक गाँव में जन्में और पले-बढ़े है, ने मुख्यमंत्री के रूप में किसान को तकलीफों के इस चक्रव्यूह से निकालने का मार्ग खोजा, जिससे पटवारी को भगवान समझने वाला किसान अब स्वयं को अन्नदाता महसूस करने लगा। मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप राजस्व मंत्री के रूप में मैंने किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए राजस्व कार्यों में तकनीकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से कभी भी और कहीं भी की तर्ज पर सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की।

पिछले एक वर्ष में राजस्व सेवाओं को और अधिक सुगम एवं सहज बनाने एवं इन सेवाओं को किसानों और आम नागरिकों तक आसानी से पहुँचाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का राजस्व अभिलेखों के लिये अधिक से अधिक उपयोग किया गया है। इसका ही परिणाम है कि वर्ष 2020-21 में भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण में नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की रिपोर्ट में पूरे भारत में मध्यप्रदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

आज की स्थिति में प्रदेश के समस्त 56 हजार 761 ग्रामों के लगभग एक करोड़ 51 लाख भूमि स्वामियों के 3 करोड़ 97 लाख खसरा नंबरों का इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। प्रदेश में राजस्व विभाग की सेवाएँ एम पी ऑन लाइन, लोक सेवा केन्द्र एवं ऑन लाइन पोर्टल से प्रदान की जा रही हैं। भूमि के नक्शे का डिजिटाइजेशन एवं भू-अभिलेखों, खसरा, नक्शा एवं बी-1 की कम्प्यूटरीकृत प्रतियॉ ‘कभी भी, कहीं भी’ की तर्ज पर प्राप्त की जा सकती है।

भूमि-बंधक की प्रक्रिया को ऑन लाइन कर किसानों को आसानी से ऋण प्राप्त करने, ऑन लाइन डायवर्सन मॉडयूल द्वारा डायवर्सन की सुविधा दी गई है। साथ ही नामांतरण और बँटवारे की प्रक्रिया को भी एकदम सरल बना कर उसे कम्प्यूटरीकृत किया है।

कभी भी और कहीं भी प्राप्त करें भूमि के अभिलेख
राजस्व विभाग की इस पहल से अब नागरिक घर बैठकर कभी भी और कहीं भी की तर्ज पर अपनी भूमि के खसरे, नक्शे एवं बी 1 की कॉपी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एमपीऑनलाईन के 30 हजार से भी ज्यादा केन्‍द्र और लोक सेवा केन्द्रों से भी यह सेवा प्राप्त की जा सकती है। अब तक लगभग दो करोड़ दस्तावेज ऑनलाइन डिलीवर किये जा चुके हैं। भू-अभिलेख सेवाओं से इस वर्ष दिसंबर 2020 तक 23 करोड़ रूपये का राजस्व अर्जित किया गया ।

5 करोड़ दस्तावेज होंगे डिजिटाइज
राज्य सरकार के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा प्रचलित दस्तावेजों के अलावा पुराने दस्तावेज भी ऑनलाईन उपलब्ध कराये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस दिशा में अभी तक 15 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। जिसके तहत वर्ष 2020-21 में 5 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का लक्ष्य रखा गया है। अगले तीन वर्षों में डिजिटाइजेशन का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा। इसके अलावा अतिरिक्त पुराने अभिलेखों की स्केनिंग एवं बारकोडिंग का कार्य भी कराया जा रहा है।

फसल गिरदावरी में उपयोगी सारा एप
प्रदेश स्तर पर फसल का डाटा संकलित करने के लिए सारा एप के माध्यम से 6 माह में होने वाले काम को एक माह में और वो भी सटीक जानकारी के साथ किया जा रहा है।इसमें कितने क्षेत्र में, किस खसरे में कौन-सी फसल है, उत्पादन की मात्रा आदि डाटा सिंगल क्लिक पर उपलब्ध है। सारा एप से किसान अब अपनी फसल की जानकारी खुद दर्ज कर सकता है। फसल की क्षति की जानकारी, कृषि एवं उद्यानिकी की जानकारी एक ही स्थान पर एकत्र की जा रही है।

मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण में सभी वर्गों की आवश्यकताओं के साथ किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के उदेश्य से मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना शुरू की। पिछले वर्ष 22 सितंबर 2020 को प्रारंभ की गई इस योजना में वित्तीय वर्ष में दो समान किश्तों में कुल राशि 4 हजार का भुगतान किया जाना है। पहली किस्त के रूप में 25-26 सितंबर को 2020 को प्रदेश के साढ़े सात लाख किसानों को 150 करोड़ रूपये, नवंबर 2020 में 5 लाख किसानों को 100 करोड़ एवं 30 जनवरी 2021 को 20 लाख किसानों को 400 करोड़ एवं 27 फरवरी 2021 को 20 लाख किसानों को 400 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। इस प्रकार प्रदेश के 57 लाख 50 हजार किसानों को एक हजार 150 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है।

नागरिकों के लिए वरदान बना आरसीएमएस पोर्टल
आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से नागरिक घर पर बैठकर ही विभिन्न शुल्क जमा करा सकते हैं। इस पोर्टल से आवेदन एवं सेवा शुल्क जमा कर प्रकरण दर्ज करा सकते हैं। अब कोर्ट फीस एवं बार-बार तलवाना जमा करने की आवश्यकता नहीं है। यह सेवाएँ आम नागरिक मोबाइल एप से भी प्राप्त कर सकते हैं।

स्वामित्व योजना में होगा आबादी क्षेत्रों का सर्वे
प्रदेश में आबादी भूमि पर बने हुए मकानों के कोई अभिलेख नहीं थे। शासन द्वारा 25 अप्रैल 2020 से स्वामित्व योजना के रूप में इसे लागू किया गया। इस योजना में प्रदेश के 20 जिलों के 22 हजार 500 गॉवों में संपत्ति सर्वे का काम किया जा रहा है। संपत्ति सर्वे से ऐसे संपत्तिधारक लाभान्वित होंगे, जिनके पास मकान तो है परंतु मकान के दस्तावेज नहीं हैं। हक दस्तावेज होने से संपत्तिधारक बैंक लोन आदि ले सकेगा।संपत्तियों के व्यवस्थित दस्तावेज होने से पारिवारिक विभाजन और संपत्ति हस्तांतरण का काम सुगम होने से पारिवारिक विवाद के मामलों में भी कमी आएगी। अभी तक 2 हजार 800 गाँवों में आबादी सर्वे में 2 हजार गाँवों के नक्शे तैयार कर लिए गए हैं और 500 गाँवों के 38 हजार 473 भू-स्वामियों के अधिकार अभिलेख तैयार कर लिए गए हैं।

कोर्स नेटवर्क से सटीक सीमांकन
समय पर एवं सटीक सीमांकन के लिए राज्य सरकार द्वारा सीमांकन की कोर्स पद्धति के माध्यम से सीमांकन का कार्य प्रारंभ किया या है। इससे अब 12 महिने में कभी भी एक्यूरेट सीमांकन किया जा सकता है। अभी तक सीमांकन निश्चित माहों में ही किया जा सकता था क्योंकि बरसात के मौसम एवं खड़ी फसलों में सीमांकन करना संभव नहीं था। कोर्स नेटवर्क की स्थापना के लिए भोपाल, हरदा, सीहोर एवं देवास में कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। इसके लिए प्रदेश में 35 करोड़ की लागत से 90 स्टेशन स्थापित किये जाने हैं। इनमें से 27 स्टेशन स्थापित किये जा चुके हैं। सभी स्टेशन जून 2021 तक स्थापित कर लिए जायेंगे।

सटीक सीमांकन के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण नक्शों की उपलब्धता को नकारा नहीं जा सकता है । आज की स्थिति में कुछ नक्शे जीर्ण-शीर्ण हैं तो कहीं नक्शा, मौका एवं खसरे में विसंगति है, नक्शे काफी पुराने हैं। इन नक्शों को जीआईएस आधारित नक्शों में बदला जायेगा। जिससे नक्शे एवं खसरे की विसंगतियाँ दूर हो सकेंगी।

इस तरह प्रदेश में पिछले एक साल में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप किसानों और आम नागरिकों की समस्याओं के हल के लिये राजस्व विभाग के अधीन बहुआयामी कार्य किये गये हैं। आने वाले समय में भी विभाग किसानों और अन्य जनों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करेगा। हमारी कोशिश यह होगी कि प्रदेश में राजस्व प्रकरणों का निराकरण तेज, समय पर और आसान से आसानतर हो।