देश में करीब एक महीने से अरविन्द केजरीवाल और ED का मुद्दा अपनी चरमसीमा पर है। हालांकि, अब सिर्फ देश नहीं बल्कि विदेशों तक यह मुद्दा पहुंच चूका है। पहले जर्मनी फिर अमेरिका ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए। दोनों देशों को भारत के विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब भी दिया है। आज भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की कार्यवाहक मिशन उपप्रमुख ग्लोरिया बेर्बेना को बैठक के लिए बुलाया था।
‘संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की आवश्यकता’
ANI के मुताबिक, विदेश मंत्रालय में करीब 40 मिनट तक यह बैठक चली। भारत ने अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर अमेरिका के बयान पर जवाब दिया है कि हम भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के संबंध में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। कूटनीति के लिए राज्यों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की आवश्यकता होती है।
‘लोकतंत्र के मामले में ये जिम्मेदारी और भी बड़ी’
विदेश मंत्रालय ने बयान में आगे कहा कि लोकतंत्र के मामले में ये जिम्मेदारी और भी बड़ी है। अन्यथा यह एक अस्वस्थ मिसाल कायम कर सकता है। भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं, जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणामों के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस पर आपत्ति जताना ठीक नहीं है।