MP में बाढ़ से बचाव- शिव-नरेंद्र तोमर, सिंधिया की जुगलबन्दी और असफल अफसर

Akanksha
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मध्यप्रदेश अफसरों की जिस टीम से कोरोना से लड़ रहा है उसके कुछ अधिकारी कमजोर कड़ी बनकर उभरे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त कदम उठाते हुए उन्हें तत्काल मौके से रुखसत करना शुरू कर दिया है। चम्बल इलाके में मुख्यमंत्री खुद मोर्चा संभाल रहे हैं। कमजोर साबित होने वाले अधिकारियों में श्योपुर कलेक्टर- एसपी पहले शिकार बने हैं। इसके पीछे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बाढ़ पीड़ित इलाके के दौरान बदहाल प्रशासन और जनता की नाराजी बड़ी वजह है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की जनता के बीच सक्रियता ने भी नेताओं की एकजुटता दिखाई है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले वर्ष की भांति भारी बारिश और बाढ़ के बीच रात रात भर सक्रिय रह कर प्रशासन को पीड़ितों तक जाने और मदद करने की कमान सम्हाली है। लेकिन केंद्रीय मंत्री तोमर के बाढ़ पीड़ित श्योपुर जाने पर जनाक्रोश ने जमीनी स्तर पर कमजोर कलेक्टर और प्रशासनिक प्रबन्ध को उजागर कर दिया। इसे अत्यंत गम्भीरता लेते हुए कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव और एसपी संपत उपाध्याय को हटा दिया है। इसके साथ ही जिलावार प्रशासनिक व्यवस्था के मूल्यांकन का काम भी शुरू हो गया है। बाढ़ प्रभावित जिलों में पीड़ितों की मदद के साथ नुकसान का जायजा और मौके पर राजस्व अमले के साथ खाद्य सामग्री व दवा आदि के इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही चिकित्सकीय टीम को भी तैयार रहने के साथ जरूरत पड़ने पर मौके पर भेजा जा रहा है।

मंत्रालय में बैठे अफसरों को भी जिलों का दौर करने के अलावा आवश्यकता पड़ने पर जिलों में केम्प करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका ठीक से पालन हो इसके सम्बन्ध में मंत्रालय के साथ सीएम सचिवालय से फील्ड से मिलने वाली सूचनाओं को मैदानी टीम से साझा किया जा रहा है और इसका समन्वय खुद सीएम कर रहे हैं। गांव व कस्बाई स्तर पर ग्रामीणों के नुकसान व फसलों की बरबादी का आकलन भी तेजी से कराने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन सरकारी अमला कितना का काम कर रहा है इस पर भी नजर रखी जा रही है। शिकायत मिलने पर मदद मुहैया कराने और लापरवाहों को तत्काल दण्डित करने के लिए ऊपरी स्तर से निर्देश दिए गए है। उम्मीद की जानी चाहिए कि हालात सुधरेंगे…

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भावुक महामंत्री चुघ…
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने कोरोना के मामले में भोपाल में कह दिया कि ” जिस राज्य के मुख्यमंत्री शिव और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु हो तो उस राज्य का कोरोना क्या बिगाड़ लेगा ”  श्री चुघ कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के लिए भाजपा के स्वास्थ स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित करने के लिए आए हैं। भाजपा देश में चार लाख स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण देकर दो लाख गांवों में भेजने का काम करेगी।

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सदन में अब झूठ, पप्पू , मामू जैसे शब्द वर्जित
…ताकि सदन की गरिमा-संवेदनशीलता बनी रहे…
आठ अगस्त 2021 का रविवार संसदीय शब्दों व वाक्यांश की पुस्तक के विमोचन के कारण मप्र विधानसभा की सुखद स्मृतियों में दर्ज हो गया। सदन में कुछ ऐतिहासिक हुआ हो ऐसा कुछ नही बल्कि सोमवार याने कल 9 अगस्त से आरम्भ हो रहे विधानसभा के चार दिनी सत्र की चर्चा में असंसदीय शब्दावली से बचा जा सके। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भी इस समारोह से यह जता दिया कि सदन की गरिमा उनके लिए सर्वोपरि है। उन्होंने बताया कि सदन की कार्यवाही से विलोपित शब्दों को लिपिबद्ध कर उन्हें पुस्तक का रूप दिया है। इसके साथ ही प्रदेश इस तरह की पहल करने वाला प्रथम राज्य हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सदन की कार्यवाही देखने आने वाले स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों से चर्चा में उन्हें तब बेहद निराशा हुई थी जब उन्होंने अपने अनुभव अच्छे नही बताए और कहा कि सदन की कार्यवाही को मछली बाजार समझा जाता है।  नेताप्रतिपक्ष कमलनाथ इस अवसर पर कहते है हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। सदन की गरिमा और देश की संस्कृति को बनाए रखने सदन की जिम्मेदारी है।

संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है की असंसदीय शब्द व वाक्यांशों की पुस्तक निर्बाध संसदीय कामकाज और उसकी गरिमामय कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत प्रभावी होगी। सभी राजनेताओं की मंशा को देखते हुए आशा की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में सदन की कार्यवाही पहले से अधिक संवेदनशील,सकारात्मक और गरिमामय होने के साथ दिखेगी और उसे हम सब महसूस भी करेंगे… इस पहल के लिए विधानसभा अध्यक्ष के लिए साधुवाद और शुभकामनाएं कि सुधार का यह भाव हर दिन मजबूत होता रहे…