अभय छजलानी को याद करते हुए

Share on:

अर्जुन राठौर

इसमें कोई दो मत नहीं है कि अभय छजलानी इंदौर की पत्रकारिता के आधार स्तंभ रहे हैं नई दुनिया के स्वर्णिम काल में अभय जी का रुतबा देखने लायक था एक अखबार मालिक के साथ-साथ जागरूक पत्रकार की भूमिका भी उन्होंने निभाई । नई दुनिया के गौरवशाली दिनों में वहां पर स्वर्गीय राजेंद्र माथुर स्वर्गीय राहुल बारपुते, शरद जोशी, वेद प्रताप वैदिक, रणवीर सक्सेना से लेकर अनेक बड़ी हस्तियां जुड़ी हुई थी सचमुच वह पत्रकारिता का एक अनोखा दौर था जहां इतने सारे दिग्गज एक साथ मौजूद थे ।

इंदौर में लेखक कवि पत्रकार बनने की इच्छा रखने वाले युवा नई दुनिया को अपना आदर्श मानते थे और अभय जी की किसी पर मेहरबानी होना तो बहुत बड़ी बात मानी जाती थी उन दिनों नई दुनिया में पत्र संपादक के नाम छपना भी बड़ी प्रतिष्ठा की बात मानी जाती थी यदि किसी का पत्र छप गया है तो वह शहर में चर्चा का विषय बन जाता था उन दिनों वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र कुमार सिंह जिन्हें एनके सिंह कहा जाता है पत्र संपादक के नाम स्तंभ देखते थे इसमें भोपाल के अनिल कुमार से लेकर नीमच के विषपाई और तमाम अनेक ऐसे लेखक थे जिनके पत्र छपते और उस पर लंबी बहस चलती सचमुच यह नई दुनिया में ही संभव था ।

Read More : लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव, बदले गए कई राज्यों में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष

इंदौर में 70 के दशक से लेकर आज तक जो लोग राजनीति साहित्य संस्कृति और धर्म से जुड़े हुए हैं वह सब अभय जी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से परिचित रहे उनके विकास में नईदुनिया ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । अभय जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में इंदौर के इतिहास को लेकर कई पुस्तकों का प्रकाशन किया था जिनमें इंदौर की स्थापना से लेकर उसके क्रमिक विकास पर विभिन्न लेखकों के आर्टिकल प्रकाशित किए गए थे ।

Read More : IAS Interview Question: वह कौन सा कुत्ता है जो इंसानों को नहीं काटता लेकिन इंसान उसे काटता है?

इंदौर में वे अनोखी धरोहर छोड़ गए हैं । नई दुनिया में अपने स्वर्णिम काल में सैकड़ों पत्रकार लेखक और कलाकारों को विकसित होने का मौका दिया उन्हें मंच प्रदान किया जो आज देशभर में कहीं न कहीं पहचाने जा रहे हैं । सचमुच अभय जी का इंदौर की पत्रकारिता और इंदौर के विकास में योगदान सदैव याद किया जाएगा ।