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दुनिया का एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहां शेर आते है मां के दर्शन करने, इस अद्भुत मंदिर में होते है कई बड़े चमत्‍कार

दुनिया का एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहां शेर आते है मां के दर्शन करने, इस अद्भुत मंदिर में होते है कई बड़े चमत्‍कार

वैसे तो आम तौर पर भक्तों द्धारा या फिर पंडितों के द्धारा या बड़े ज्योतिष विद्वानों द्धारा नवरात्रि को लेकर कई चमत्कार और मैया रानी के आशीर्वाद की कई कहानियां सुनी हैं। नवरात्रि में देवी के भक्‍त रोज मंदिर में मां अंबे के दर्शन-पूजन करने आते हैं। वहीं देश के प्रमुख देवी मंदिरों में तो भक्तों की काफी भीड़ उमड़ पड़ती है, फिर चाहे वह वैष्‍णो देवी मंदिर हो या मनसा देवी मंदिर। कई प्राचीन मंदिरों में भी श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं, जो अपने चमत्‍कारों और मनोकामना पूर्ति के लिए विश्व प्रसिद्द हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्‍यप्रदेश की हिल स्‍टेशन पचमढ़ी में है। पचमढ़ी में 175 वर्ष पुराना अंबा माई मंदिर है, जहां हर वर्ष में बड़ी तादाद में लोग अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं।

उल्‍टे शेर पर विराजमान हैं मां बगुलामुखी

हिल स्टेशन पचमढ़ी के इस अति प्राचीन अंबा माई मंदिर में चैत्र नवरात्रि में श्रद्धालु की बड़ी मात्रा में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां 9 दिन तक विशेष अनुष्‍ठान होते हैं। आमतौर पर भक्त यहां मैया रानी से संतान सुख पाने की कामना लेकर दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में देवी मां उल्टे शेर पर बैठी है और इस कारण साफतौर पर तांत्रिकों की आस्‍था बहुत अधिक है। इस मंदिर में बड़ी संख्‍या में तांत्रिक आकर पूजा पाठ और विशेष अनुष्ठान करते हैं।

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बाघ आते हैं मां के दर्शन करने

इससे भी बड़े चमत्‍कार की बात यह है कि पचमढ़ी के इस अद्भुत मंदिर में शेर मातारानी के दर्शन करने आते हैं। हर वर्ष नवरात्रि में कम से कम एक बार शेर इस मंदिर में जरूर आते हैं और मैयारानी के अलौकिक दर्शन करते हैं। नवरात्रि में मां के दर्शन करने आए शेरों को सैंकड़ों लोग देख चुके हैं। कमाल की बात है कि ये खतरनाक जंगली प्राणी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और देवी मां के दर्शन करके चले जाते हैं।

संतान सुख का मिलता है वरदान

इस अद्भुत अंबा माई मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है यहां संतान पाने के लिए मांगी गई मनोकामना अवश्य ही पूरी होती हैं। नि:संतान जोड़ा यहां से कभी भी निराश होकर नहीं लौटते हैं। वहीं मनोकामना पूरी होने पर लोग यहां फिर से प्रसाद चढ़ाने और मातारानी का आशीर्वाद लेने आते हैं।

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