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शनि की महादशा कितने सालों तक रहती है, जीवन पर क्या होता हैं असर, और कैसे पाएं शांति?

Shani Mahadasha

अक्सर जब किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती आती है, तो एक डर का माहौल बन जाता है। लोग घबरा जाते हैं, मानसिक रूप से विचलित हो जाते हैं और इसे दुर्भाग्य का संकेत मान लेते हैं। लेकिन वास्तिवकता इससे काफी अलग है।

शनि केवल न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं, न कि अत्याचारी की। इस पूरे काल में सबसे अधिक ज़रूरी होती है, संयम, मेहनत और आत्मविश्लेषण।

शनि की दृष्टि में धर्म और कर्म ही निर्णायक होते हैं

शनि देव अधर्मी और कपटी व्यक्तियों को दंड अवश्य देते हैं, लेकिन जो व्यक्ति सच्चाई, परिश्रम और धर्म के पथ पर चलता है, उसके लिए शनि एक “कर्म संरक्षक” के रूप में कार्य करते हैं। वह आपके कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और उसी के अनुसार फल प्रदान करते हैं। इसलिए साढ़ेसाती के समय को एक अवसर की तरह देखा जाना चाहिए। यह समय आत्मचिंतन, अनुशासन और अध्यात्म से जुड़ने का होता है।

शास्त्रीय दृष्टिकोण से साढ़ेसाती के चरण और प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साढ़ेसाती की अवधि लगभग 7.5 वर्षों (लगभग 2800 दिन) की होती है, और यह कई चरणों में विभाजित होती है। ज्योतिषाचार्य राकेश मोहन गौतम के अनुसार, शनि के विभिन्न प्रभाव हर चरण में अलग-अलग रूपों में प्रकट होते हैं:

यह पूरी अवधि जातक को एक गहन आत्मचिंतन और परीक्षण की प्रक्रिया से गुजारती है। हर व्यक्ति पर इसका प्रभाव उसकी राशि, दशा और कर्मों के अनुसार अलग-अलग होता है, इसलिए सभी के लिए एक-सा निष्कर्ष निकालना गलत होगा।

साढ़ेसाती के संभावित लाभ, ये समय सिर्फ चुनौती नहीं, अवसर भी है

जहां एक ओर साढ़ेसाती को लेकर नकारात्मकता फैलाई जाती है, वहीं इसका एक उज्ज्वल पक्ष भी है। यदि सही दृष्टिकोण अपनाया जाए, तो यह समय कई रूपों में लाभदायक सिद्ध हो सकता है:

साढ़ेसाती में क्या करें ताकि शनि देव की कृपा बनी रहे?

शनि की साढ़ेसाती से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाते हैं, तो इस काल को सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है:

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।

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