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Sawan 2025: सावन में शिवलिंग पर चढ़ते हैं ये 3 विशेष तेल, जानें क्या हैं इनके चढ़ाने के आध्यात्मिक लाभ

तेल से रुद्राभिषेक

तेल से रुद्राभिषेक

Sawan 2025: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे श्रेष्ठ समय माना जाता है। इस दौरान भक्त बेलपत्र, गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि के साथ-साथ विशेष रूप से तेल से भी शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करते हैं।

हालांकि अधिकतर लोग शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाते हैं, लेकिन कुछ खास तरह के तेल चढ़ाने की परंपरा भी प्राचीन है, जो विशेष रूप से ग्रह दोष, रोग, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। तेल से अभिषेक करने को खासकर तांत्रिक साधना, शनि दोष निवारण, और संकट हरने की प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है।

कौन-कौन से तेल चढ़ाए जाते हैं शिवलिंग पर?

शिवपुराण और स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि कुछ विशेष अवसरों पर शिवलिंग पर तेल अर्पण करना शुभ होता है। सावन माह में विशेषत 3 प्रकार के तेल चढ़ाए जाते हैं

तिल का तेल
यह सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला तेल है। तिल का तेल चढ़ाने से शनि दोष, कालसर्प योग, और पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। यह मानसिक तनाव को शांत करता है और शरीर की बीमारियों, विशेषकर त्वचा व हड्डियों की समस्याओं को दूर करता है।

सरसों का तेल:
सरसों के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करने से भूत-प्रेत बाधा, नजर दोष, और नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी माना गया है जिनके जीवन में बार-बार विघ्न, कर्ज या रुके हुए कार्य हो रहे हों।

लौंग युक्त तेल:
लौंग युक्त तेल से अभिषेक करना तंत्र-मंत्र बाधाओं, रोग, और अचानक आने वाली समस्याओं को दूर करता है। यह शिवजी को विशेष प्रिय माना गया है क्योंकि लौंग अग्नि तत्व से जुड़ा होता है और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

तेल अभिषेक करने की विधि और सावधानियां

सावन माह में किसी भी सोमवार को या प्रदोष काल में निम्नलिखित विधि से तेल अभिषेक किया जा सकता है। सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। फिर तांबे या पीतल के पात्र में चुना गया तेल लें। उसमें एक-दो बूंद गंगाजल, काले तिल, या लौंग डाल सकते हैं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए धीरे-धीरे शिवलिंग पर तेल अर्पित करें। अभिषेक के बाद बेलपत्र, धतूरा, और अक्षत अर्पित करें। अंत में दीपक जलाकर शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।

क्या बरतें सावधानियां

मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर तेल चढ़ाना हर स्थान पर मान्य नहीं होता। इसलिए अपने घर में या किसी विशेषत: शनि मंदिर या रुद्र मंदिर में ही यह अभिषेक करें। सार्वजनिक शिवालय में तेल अर्पण से पहले पंडित या पुजारी से अनुमति अवश्य लें। शिवलिंग पर तेल और जल एक साथ नहीं चढ़ाएं।

क्या हैं इन तेलों के चमत्कारी लाभ?

तेल अभिषेक केवल धार्मिक कृत्य नहीं बल्कि एक गहन ऊर्जा संतुलन प्रक्रिया है। शनि दोष से राहत के लिए तिल का तेल विशेष रूप से शनि देव को प्रसन्न करता है। शिव के साथ शनि का भी आशीर्वाद मिलता है। रोगों से मुक्ति के लिए सरसों व लौंगयुक्त तेल शरीर की दुर्बलता, मानसिक तनाव, और पुरानी बीमारियों से राहत दिलाते हैं। नकारात्मक ऊर्जा के नाश के लिए इन तेलों की प्रकृति उष्ण होती है, जो वातावरण से नकारात्मकता को खींचकर नष्ट करती है। कर्ज, बाधा और भय दूर करने के लिए खासकर सरसों और लौंगयुक्त तेल आर्थिक परेशानियों, डर और दुर्भाग्य से मुक्ति देते हैं।

श्रद्धा, विधि और विवेक से करें तेल अभिषेक

सावन के पवित्र माह में शिव की उपासना जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही महत्वपूर्ण है पूजन की शुद्ध विधि और मनोभाव। यदि सही प्रकार से तेल अभिषेक किया जाए, तो यह भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की धाराओं को प्रवाहित कर सकता है। ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ जब तेल की हर बूंद शिवलिंग से टकराती है, तब न केवल बाहरी समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि अंतर्मन भी शांत और पवित्र हो उठता है।

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