सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे विशेष माना जाता है। इस पावन माह में भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह की पूजा-पद्धतियों का पालन करते हैं।
इन्हीं में से एक अत्यंत पुण्यदायी विधि है पार्थिव शिवलिंग की स्थापना और पूजन, जिसमें मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है। इस पूजा की प्रभावशीलता तभी पूर्ण होती है जब इसके नियमों का सही पालन किया जाए। आइए विस्तार से जानते हैं पार्थिव शिवलिंग बनाने, स्थापित करने और पूजन करने की विधि।
पार्थिव शिवलिंग निर्माण की प्रक्रिया
पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए सबसे पहले शुद्ध मिट्टी एकत्र करना जरूरी होता है। यह मिट्टी किसी पवित्र जल स्रोत जैसे नदी, तालाब या सरोवर की होनी चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो अपने गमले की मिट्टी भी प्रयोग की जा सकती है। ध्यान रहे कि यह मिट्टी दो हाथ गहराई से ली गई हो।
इस मिट्टी को पहले छानकर साफ किया जाता है, फिर उसमें गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर गूंथा जाता है ताकि यह एक समान रूप में आकार लेने योग्य हो जाए। जब मिट्टी तैयार हो जाए तो उसमें से एक छोटा शिवलिंग बनाएं, जो अंगूठे की ऊंचाई से अधिक न हो।
शिवलिंग बनाने से पहले किसी पात्र में तीन पत्तियों वाला बेलपत्र रखें, जो कटा-फटा न हो। उस पर गंगाजल छिड़कें और फिर शिवलिंग को उस पर स्थापित करें। इसके चारों ओर जलहरि बनाना भी जरूरी है।
पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कैसे करें
स्थापना के लिए एक लकड़ी की चौकी या फट्टा लें और उसे पूजा स्थल पर रखें। अब इस चौकी को गेरू और गंगाजल से लीपकर शुद्ध करें। इसके बाद तैयार शिवलिंग को उस पर स्थापित करें।
अगर आप सामर्थ्य रखते हैं तो एक नहीं, बल्कि 108 या 1008 पार्थिव शिवलिंग भी बना सकते हैं और उन्हें मुख्य शिवलिंग के साथ क्रमबद्ध स्थापित कर सकते हैं। स्थापना के समय सबसे पहले शिवलिंग पर भस्म अर्पित करें। इसके दौरान “ॐ शूलपाणये नमः” मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव से निवेदन करें कि वे इस पार्थिव शिवलिंग में विराजमान हों। इसके बाद तीन ताली बजाकर शिव का आह्वान करें।
कैसे करें शिव की आराधना
स्थापना के पश्चात पूजन की शुरुआत जलाभिषेक से करें। इसके बाद पारंपरिक पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, पुष्प, धूप, दीप, गंध और नैवेद्य जैसी वस्तुएं श्रद्धा से शिवलिंग पर अर्पित करें।
पूजन के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें। आरती करके शिव की स्तुति करें और अंत में प्रार्थना करें कि शिव आपकी भक्ति स्वीकार करें और आशीर्वाद प्रदान करें।
पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन
पूजा संपन्न होने के बाद पार्थिव शिवलिंग को विसर्जित करना आवश्यक होता है। इसके लिए उसे किसी पवित्र जलस्रोत जैसे नदी, तालाब या पोखर में प्रवाहित करें। यदि ऐसा करना संभव न हो तो इसे किसी साफ पात्र में विसर्जित करके उस जल को किसी पेड़ या गमले में चढ़ा दें। ध्यान रहे इस जल को तुलसी के पौधे में कभी न चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी पूजन में शिव से जुड़े अवशेष या सामग्री चढ़ाना वर्जित माना गया है।
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