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Navratri 2021: नवरात्रि के चौथे दिन स्कंदमाता की पूजा, जानिए महत्व, मंत्र और पूजन विधि

Navratri 2021

Navratri 2021:  शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन आज रविवार को नवदुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता का पूजन होगा ,कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है। यह माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं। इसलिए इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं। इसलिए इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है। इनका स्वरुप अत्यंत ममतामयी व परम सुखदायी है।

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स्कंदमाता की पूजा का फल:
नवरात्रि के पांचवे दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित रहता है। इस दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। ये सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके पूजन से साधक को आलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। इनका स्वरुप मोक्ष के द्वार खोलने वाला व परम सुखदायी है।

इनकी पूजा से भक्त की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती हैं और उसे परम शांति का अनुभव होता है। इनके पूजन के साथ कुमार कार्तिकेय के बालस्वरुप का पूजन भी हो जाता है, इसलिए साधक को इनकी पूजा का फल भी प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति के लिए भी स्कंद माता की पूजा बहुत शुभ फलदायी मानी गई है।

देवी के इस रूप का महत्व
स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं जो क्रोध का प्रतीक है। उनकी गोद में पुत्र रूप में भगवान कार्तिकेय हैं, जो पुत्र मोह का प्रतीक है. देवी का ये रूप हमें सीखाता है कि जब हम ईश्वर को पाने के लिए भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो क्रोध पर हमारा पूरा नियंत्रण होना चाहिए, जिस प्रकार देवी शेर को अपने काबू में रखती हैं।

स्कंद माता का आराधना मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंद माता का भोग:
स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करना चाहिए और भोग लगाने के बाद ब्रह्माणों को केले का दान करना चाहिए। इससे घर में समृद्धि आती है।

स्कंद माता पूजन विधि व आराधना मंत्र:
-मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर चुनरी चढ़ाएं।
-इसके बाद धूप-दीप प्रज्वलित करके पुष्प अर्पित करें।
-अब रोली या कुमकुम से माता का तिलक करें।
-इसके बाद पांच प्रकार के फल अर्पित करें और मां को मिष्ठान अर्पित करें।
-स्कंद माता की आरती उतारें व अंत में क्षमा याचना करें।

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