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MP Ujjain History : बाबा महाकाल की नगरी है हिंदू पंचांग का आधार? जानें क्यों कहते हैं काल गणना का केंद्र

MP Ujjain History

MP Ujjain History : मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर अक्सर सुर्ख़ियों में रहता है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग मौजूद है जो काफी ज्यादा चमत्कारी और प्रसिद्ध है। यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए आते हैं। बाबा महाकाल को कालो का काल कहा जाता है। यहां दर्शन करने मात्र से ही भक्तों की सभी समस्या खत्म होने लगती है। जब से उज्जैन महाकाल को महाकाल लोक बनाया गया है तब से यहां भक्तों का तांता देखने को मिल रहा है। लाखों की संख्या में भक्त उज्जैन आते हैं। इसी वजह से अब उज्जैन में भी भक्तों की सुविधाओं को देखते हुए तमाम इंतजाम किये जा रहे हैं।

आज हम आपको उज्जैन से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं जो आप शायद ही जानते होंगे। उज्जैन कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है। यहां तमाम मंदिर होने के साथ-साथ कई ऐसी चीजें मौजूद है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। उज्जैन को हिन्दू पंचांग का आधार माना जाता है। अब ऐसा क्यों तो चलिए जानते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं क्यों उज्जैन को काल गणना का केंद्र माना जाता है और क्यों उज्जैन को कहा जाता है हिन्दू पंचांग का आधार –

ऐसे हुई हिन्दू पंचांग की शुरुआत

उज्जैन कई विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। उज्जैन समय की गणना के लिए जाना जाता है। दरअसल, यहीं से कर्क रेखा भी गुजरती है। साथ ही ये नगरी शून्य रेखा पर स्थित है। इसी वजह से इस जगह को काल-गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। उज्जैन में हर 12 बारह साल में एक बार कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। वहीं हर 6 साल में एक बार अर्धकुंभ लगता है। यहां की मान्यता काफी ज्यादा है। उज्जैन को आध्यात्मिक की नगरी माना जाता है।

जानकारी के मुताबिक, उज्जैन में ही हिन्दू पंचांग ‘विक्रम संवत’ की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी। यही से ही हर त्यौहार, मुहूर्त साथ ही उत्तरी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में व्रत और त्योहार का पंचांग निकाला जाता है। इसी वजह से उज्जैन को काल गणना का केंद्र भी माना जाता है। बता दे, उज्जैन में कई प्रसिद्ध मंदिर मौजीद है जहां भक्तों का तांता देखने को मिलता है।

 

 

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