सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दौरान शिवभक्त पूरे भारत में स्थित उन 12 ज्योतिर्लिंगों की जानकारी और यात्रा की योजना बनाते हैं, जो शिव के सबसे जागृत और दिव्य स्वरूप माने जाते हैं। मान्यता है कि ये वे स्थान हैं जहां भगवान शिव स्वयं प्रकाश रूप में प्रकट हुए थे।
क्या हैं ज्योतिर्लिंग?
‘ज्योतिर्लिंग’ दो शब्दों से बना है- ‘ज्योति‘ यानी प्रकाश और ‘लिंग‘ यानी प्रतीक। यानी वह स्थान जहां शिव का तेजस्वी रूप स्वयं प्रकट हुआ। शिव पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा से इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
भारत में कहां-कहां स्थित हैं ये 12 ज्योतिर्लिंग?
भारत में स्थित इन 12 ज्योतिर्लिंगों की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग से होती है। इसे पहला और सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंग माना जाता है, जिसकी स्थापना चंद्रदेव ने की थी।
इसके बाद आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है, जो पर्वतों के बीच दिव्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है।
मध्य प्रदेश में दो प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं- उज्जैन का महाकालेश्वर, जो मृत्यु पर नियंत्रण देने वाला माना जाता है और खंडवा का ओंकारेश्वर, जो नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है।
उत्तराखंड का केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय की गोद में स्थित है और इसे सबसे कठिन लेकिन सबसे पुण्यदायी तीर्थ यात्रा कहा जाता है।
महाराष्ट्र राज्य में तीन ज्योतिर्लिंग आते हैं- भीमाशंकर (पुणे के पास), त्र्यंबकेश्वर (नासिक) और घृष्णेश्वर (एलोरा के पास)। ये तीनों स्थल आध्यात्मिकता और वास्तुकला दोनों दृष्टि से बेहद खास हैं।
काशी विश्वनाथ उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है और माना जाता है कि शिव स्वयं इस नगरी की रक्षा करते हैं। झारखंड के देवघर में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसे ‘बैद्यनाथ धाम’ के नाम से भी जाना जाता है।
इसके अलावा, गुजरात के द्वारका में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और तमिलनाडु के रामेश्वरम में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भी अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं। रामेश्वरम वह स्थान है, जहां भगवान राम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी।
ज्योतिर्लिंगों की यात्रा का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है। इन्हें “द्वादश ज्योतिर्लिंग” कहा जाता है और जीवन में एक बार इनका दर्शन करना पुण्यकारी माना गया है। सावन के महीने में इन धामों पर विशेष भीड़ देखने को मिलती है।