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ग्रहों के राजकुमार की कृपा से सवर जाता है जीवन, चल पड़ता हैं कारोबार, जानें कैसे करें इन्हे कुंडली में मजबूत

Budh Grah Ke Upay

वैदिक ज्योतिष में अक्सर देखा गया है कि बुध ग्रह कई बार अपने पिता सूर्य के साथ ही कुंडली में स्थित होता है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत पास आता है, तो उसकी आभा सूर्य की तीव्र ऊर्जा में दब जाती है, और वह ग्रह ‘अस्त’ हो जाता है। लेकिन बुध एक ऐसा ग्रह है, जो सूर्य के साथ रहते हुए भी अपना प्रभाव बनाए रखता है।

यह इस बात का प्रतीक है कि पिता और पुत्र का संबंध कुंडली में एक विशेष ऊर्जा और मजबूती प्रदान करता है। विशेषकर यदि बुध किसी दोष या पाप ग्रहों से पीड़ित न हो, तो उसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक रूप से उभरता है।

बुध: शिक्षा और बुद्धिमत्ता का कारक ग्रह

बुध ग्रह को वैदिक ज्योतिष में शिक्षा, तर्क, वाणी, व्यापार, संचार, सौंदर्य और मित्रता का प्रतीक माना गया है। इसे ग्रहों का ‘राजकुमार’ कहा जाता है। बुध की दशा कुल 17 वर्षों की होती है, और यह काल प्रायः उस समय आता है जब व्यक्ति की शैक्षणिक यात्रा या करियर की शुरुआत हो रही होती है। ऐसे समय में यदि बुध की स्थिति कुंडली में कमजोर हो या वह अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, तो शिक्षा और करियर में बाधाएं आने की संभावना बढ़ जाती है।

लेकिन यदि बुध कुंडली में मजबूत स्थिति में, शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो और नवांश या वर्ग कुंडलियों में भी अच्छा स्थान रखता हो, तो यह ग्रह जातक को बुद्धिमत्ता, वाकपटुता, तर्कशक्ति और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है।

बुध को मजबूत करने के प्रभावी उपाय (Budh Grah Ke Upay)

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध कमजोर है या उसका शुभ प्रभाव नहीं मिल पा रहा है, तो निम्न उपायों को अपनाकर बुध को प्रसन्न किया जा सकता है:


Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।

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